संप्रग के कार्यकाल की चुनौतियों पर राजग ने काबू पाया, अर्थव्यवस्था उच्चवृद्धि की राह पर: श्वेत पत्र
नयी दिल्ली. आम चुनाव से पहले संसद के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बृहस्पतिवार को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के आर्थिक क्रियाकलापों की आलोचना करते हुए एक श्वेत पत्र पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक ‘श्वेत पत्र’ संसद में पेश किया. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने अंधाधुंध राजस्व व्यय, बजट के अतिरिक्त उधारी और बैंकों के एनपीए के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था.
श्वेत पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है. इसके साथ ही भारत को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ‘कड़े फैसले’ भी किए हैं.
कुल 59 पृष्ठों वाले ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ के मुताबिक, जब 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी और सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था. इसके साथ ही आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार का भी बोलबाला था.
श्वेत पत्र में कहा गया है कि संप्रग शासन के 10 वर्षों में किए गए कई गलत फैसलों के कारण 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दिशाहीन स्थिति में थी. ऐसे में मोदी सरकार पर चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था में गति एवं आशावाद को बहाल करने की जिम्मेदारी आ गई.
लोकसभा में पेश दस्तावेज के मुताबिक, ”यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी. अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी.” श्वेत पत्र के मुताबिक, संप्रग सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप देने में बुरी तरह विफल रही. संप्रग सरकार ने बाधाएं भी खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था पीछे रह गई.
इस दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि 2014 में राजग सरकार को विरासत में बेहद कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी. चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद मोदी सरकार के सुधारों से लगभग एक दशक में भारत ‘पांच कमजोर’ अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से निकलकर दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में शामिल हो गया.
श्वेत पत्र में इस पर खेद जताया गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद किसी भी तरह से उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए संप्रग सरकार ने व्यापक आर्थिक नींव को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया. बैंकिंग संकट संप्रग सरकार की सबसे बदनाम विरासतों में एक थी.
श्वेत पत्र पर शुक्रवार को लोकसभा में बहस होने की संभावना है. चार घंटे की बहस के बाद वित्त मंत्री के जवाब देने की उम्मीद है.
दस्तावेज में संप्रग सरकार के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन, 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी, राष्ट्रमंडल खेल एवं सारदा चिट फंड सहित 15 घोटालों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों ने अर्थव्यवस्था में लोगों के विश्वास को हिला दिया था.
इसके मुताबिक रक्षा तैयारियों को भी नीतिगत पंगुता का खामियाजा उठाना पड़ा. कमजोर नेतृत्व, इरादे तथा कार्रवाई की कमी से रक्षा तैयारियां पिछड़ गईं.
श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2013 में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से 1991 के भुगतान संतुलन संकट के एक बार फिर पैदा होने की आशंका पैदा हो गई थी. विदेशी मुद्रा भंडार केवल छह महीने के आयात के लिए ही पर्याप्त था. श्वेत पत्र में कहा गया कि मोदी सरकार ने व्यापक आर्थिक बेहतरी के लिए कठोर निर्णय लेने की जरूरत को समझा. इसके मुताबिक, ”हमारी सरकार ने अपनी पिछली सरकार के विपरीत एक मजबूत ढांचा बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया.”
श्वेत पत्र में कहा गया, ”पिछले दस वर्षों के कामकाज को देखते हुए हम विनम्रता और संतुष्टि से यह कह सकते हैं कि हमने पिछली सरकार द्वारा छोड़ी गईं चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है.” श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को ‘कर्तव्य काल’ बताते हुए कहा गया कि अभी मीलों चलना है और वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है.