पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में संतुलन की जरूरत: मुख्यमंत्री धामी
उत्तरकाशी. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में संतुलन की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद ऐसी सभी परियोजनाओं की समीक्षा का निर्णय लिया है. एक साक्षात्कार में धामी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनकी दिवाली मंगलवार को आई जब सुरंग के अंदर 16 दिन तक फंसे रहे 41 श्रमिकों को बाहर निकाला गया. उन्होंने कहा कि श्रमिकों के निकलने से वह उतने ही प्रसन्न हैं जितना कि उनके परिवारवाले हैं.
धामी ने कहा, ‘ मेरी दिवाली, इगास या देव दिवाली कल हुई जब श्रमिक बाहर आए .’ उत्तराखंड में दिवाली के दस दिन बाद इगास मनाया जाता है .
उन्होंने कहा कि श्रमिक उनके परिवार की तरह हैं. उन्होंने कहा, ‘आखिरकार वे हमारे लिए काम करते हैं…देश के लिए काम करते हैं .’ मुख्यमंत्री ने सफल बचाव अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों, देश विदेश के विशेषज्ञों तथा स्थानीय बौखनाग देवता का भी आभार जताया.
उन्होंने कहा, ‘ मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में कई चुनौतियों का सामना किया है लेकिन यह अब तक सबसे कड़ी चुनौती थी .” मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की दैनिक निगरानी और बचाव कार्यों के लिए बड़ी मशीनें उपलब्ध करवाकर दिए गए समर्थन ने उन्हें बहुत ताकत दी. उन्होंने सुरंग में फंसे रहने के दौरान जबरदस्त धैर्य का परिचय देने के लिए भी श्रमिकों की तारीफ की.
धामी ने कहा कि श्रमिकों से मिले इस भरोसे कि वे ठीक हैं और बचाव दलों द्वारा कार्य पूरा किए जाने तक इंतजार करने के लिए तैयार हैं, से भी उनके संकल्प को और मजबूती मिली. मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में सभी सुरंग परियोजनाओं की समीक्षा करने का फैसला लिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ राज्य में ऐसी कई परियोजनाएं चल रही हैं . हमने उनकी समीक्षा करने का निर्णय किया है . हमें विकास चाहिए लेकिन पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन होना चाहिए .’ हाल में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा था कि सरकार सभी निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करेगी. चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही साढ.े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह जाने से उसमें 41 श्रमिक फंस गए थे जिन्हें युद्धस्तर पर चलाए गए बचाव अभियान के बाद मंगलवार को सकुशल बाहर निकाल लिया गया.
श्रमिकों से सबसे पहले मिलने वाले बचावर्किमयों ने कहा: श्रमिकों ने हमें कंधों पर उठा लिया व गले लगाया
‘रैट होल खनन’ तकनीक विशेषज्ञ फिरोज कुरैशी और मोनू कुमार मलबे के आखिरी हिस्से को साफ कर उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों से मिलने वाले पहले व्यक्ति थे. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए गए व्यापक बचाव अभियान के बाद मंगलवार शाम को सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
दिल्ली निवासी कुरैशी और उत्तर प्रदेश के कुमार ‘रैट-होल खनन’ तकनीक विशेषज्ञों की 12-सदस्यीय टीम का हिस्सा थे, जिन्हें रविवार को मलबे को साफ करने के दौरान अमेरिकी ‘ऑगर’ मशीन को समस्याओं का सामना करने के बाद खुदाई के लिए बुलाया गया था.
दिल्ली के खजूरी खास के रहने वाले कुरैशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”जब हम मलबे के आखिरी हिस्से तक पहुंचे तो वे (मजदूर) हमें सुन सकते थे. मलबा हटाने के तुरंत बाद हम दूसरी तरफ उतर गए.” उन्होंने कहा, ”मजदूरों ने शुक्रिया अदा किया और मुझे गले लगा लिया. उन्होंने मुझे अपने कंधों पर भी उठा लिया.” कुरैशी ने कहा कि उन्हें मजदूरों से कहीं ज्यादा खुशी हो रही थी. कुरैशी दिल्ली स्थित रॉकवेल एंटरप्राइजेज के कर्मचारी हैं और सुरंग बनाने के काम में विशेषज्ञ हैं.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के निवासी कुमार ने कहा, ”उन्होंने (मजदूरों ने) मुझे बादाम दिए और मेरा नाम पूछा. इसके बाद हमारे अन्य सहकर्मी भी हमारे साथ जुड़ गए और हम लगभग आधे घंटे तक वहां रहे.” उन्होंने कहा कि उनके बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मी सुरंग के भीतर गए.
कुमार ने कहा, ”एनडीआरएफ र्किमयों के आने के बाद ही हम वापस आये.” उन्होंने कहा, ”हमें बहुत खुशी है कि हम इस ऐतिहासिक अभियान का हिस्सा बने.” रॉकवेल एंटरप्राइजेज की 12-सदस्यीय टीम के प्रमुख वकील हसन ने कहा कि चार दिन पहले बचाव अभियान में शामिल एक कंपनी ने उनसे मदद के लिए संपर्क किया था.
हसन ने कहा, ”मलबे से ‘ऑगर’ मशीन के हिस्से को हटाने के कारण काम में देरी हो गई. हमने सोमवार को दोपहर तीन बजे काम शुरू किया और मंगलवार शाम छह बजे काम खत्म किया.” उन्होंने कहा, ”हमने कहा था कि काम 24 से 36 घंटे में खत्म हो जाएगा और हमने वही किया.” उन्होंने यह भी कहा कि बचाव अभियान में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया.