नीतीश कुमार नीत राजग सरकार ने बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया

पटना. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित राजग सरकार ने सोमवार को विधानसभा में ‘महागठबंधन’ के सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया. बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 129 वोट पड़े जबकि विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया. मत विभाजन के समय आसन पर उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी थे.

हजारी ने संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने की घोषणा के बाद सदस्यों की गिनती का आदेश दिया. कुमार ने पिछले दिनों महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख घटक दल है. नीतीश फिर से राजग में लौट आए और उन्होंने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई. इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए जदयू अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राजद राज्य में अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार में लिप्त थी और नई राजग सरकार इस मामले में जांच कराएगी. कुमार ने दावा किया कि राजद के कार्यकाल में बिहार में अनेक सांप्रदायिक दंगे हुए.

उन्होंने कहा, ”कोई कानून व्यवस्था नहीं थी. राजद अपने शासनकाल में (2005 से पहले) भ्रष्टाचार में लिप्त थी. मैं इसकी जांच कराऊंगा.” राजद नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा कि वह कुमार को हमेशा ‘पिता तुल्य’ मानते थे और उन्हें नहीं पता कि किस वजह से वह ‘महागठबंधन’ छोड़कर भाजपा नीत राजग में लौटने के लिए मजबूर हुए.

विधानसभा में कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान तेजस्वी ने रिकॉर्ड नौवीं बार और पांच साल के कार्यकाल के भीतर तीसरी बार शपथ लेने को लेकर भी मुख्यमंत्री पर तंज कसा और कहा कि ऐसा उदाहरण पहले कभी नहीं देखा गया. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ”मैंने नीतीश कुमार को हमेशा ‘दशरथ’ (महाकाव्य रामायण के प्रमुख चरित्र) की तरह माना. मुझे नहीं पता कि किस वजह से वह महागठबंधन को धोखा देने को मजबूर हुए.”

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