उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी की मिसाइल का परीक्षण किया

सियोल. उत्तर कोरिया ने लगभग पांच के अंतराल के बाद सोमवार को अपना पहला अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण किया. इसे परमाणु गतिविधियां रोकने के लिए अमेरिका और दक्षिण कोरिया द्वारा उठाये गये कदम के बदले दबाव की रणनीति के तौर पर उत्तर कोरिया का जवाब माना जा रहा है.

दक्षिण कोरियाई सरकार ने उत्तर कोरिया की ‘ह्वासोंग-18 आईसीबीएम’ का संदर्भ देते हुए मिसाइल को ठोस ईंधन वाला हथियार बताया है. कहा जाता है कि तरल-ईंधन वाले हथियारों की तुलना में विरोधियों के लिए इसके प्रक्षेपण का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कुछ समय पहले ‘ह्वासोंग-18’ को अपने परमाणु आयुध का सबसे शक्तिशाली हथियार बताया था.

दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि उत्तर कोरियाई मिसाइल ने कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के बीच पानी में उतरने से पहले लगभग 1,000 किलोमीटर (620 मील) की उड़ान भरी. उसने कहा कि मिसाइल का प्रक्षेपण उंचाई की तरफ किया गया था. इससे साफ है कि पड़ोसी देशों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए ऐसा किया गया था. जापान के सांसद मासाहिसा सातो ने जापान के रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए कहा कि मिसाइल ने छह हजार किलोमीटर (3,730 मील) की ऊंचाई तक उड़ान भरी.

बताया गया कि यह परीक्षण जुलाई में उत्तर कोरिया के ‘ह्वासोंग-18’ मिसाइल के दूसरे परीक्षण जैसा ही था. उत्तर कोरिया ने पहली बार अप्रैल में मिसाइल का परीक्षण किया था. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और उनके दक्षिण कोरियाई तथा जापानी समकक्षों ने उत्तर कोरियाई प्रक्षेपण की निंदा की. व्हाइट हाउस ने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबद्धताओं का ”घोर” उल्लंघन है.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने अधिकारियों को मजबूत दक्षिण कोरियाई-अमेरिका संयुक्त रक्षा समन्वय बनाए रखने और दक्षिण कोरियाई क्षेत्र में उत्तर कोरिया की किसी भी गतिविधि का जवाब देने का आदेश दिया. वरिष्ठ अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने सप्ताहांत में वाशिंगटन में मुलाकात कर उत्तर कोरिया की परमाणु गतिविधियों को रोकने की रणनीति पर चर्चा की थी. उत्तर कोरिया इसका विरोध कर रहा है और लगातार मिसाइल दाग रहा है.

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