ओडिशा ट्रेन हादसा: परिवार वालों को अब तक नहीं मिले अपनों के शव…

भुवनेश्वर: ओडिशा में दो जून को हुए ट्रेन हादसे के शिकार लोगों के परिवार वालों का दुख दर्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस घातक दुर्घटना के करीब चार सप्ताह बाद भी कुछ परिवार वालों को अपनों के शव मिलने का इंतजार है। इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी।

बिहार के बेगुसराय जिले के बारी-बलिया गांव की बसंती देवी अपने पति का शव पाने के लिए पिछले 10 दिन से एम्स के पास एक सुनसान इलाके में स्थित ‘गेस्ट हाउस’ में डेरा डाले हुए है। नम आंखों के साथ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं यहां अपने पति योगेन्द्र पासवान के लिए आई हूं। वह मजदूर थे, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से घर लौटते समय बहनागा बाजार में दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। ’’ उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने कोई समय नहीं बताया है कि कब तक शव मिल पाएगा।

देवी ने कहा, ‘‘ हालांकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि इसमें पांच दिन और लगेंगे, अन्य का कहना है कि इसमें और समय लग सकता है। प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टता नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पांच बच्चे हैं। तीन बच्चे घर पर हैं और दो बेटों को मैं साथ लाई हूं। मेरे पति घर में अकेले कमाने वाले थे। मुझे नहीं पता कि अब हमारा गुजारा कैसे हो पाएगा।’’

ऐसी ही स्थिति पूर्णिया के नारायण ऋषिदेव की है जो चार जून से अपने पोते सूरज कुमार के शव का इंतजार कर रहे हैं। सूरज कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहा था। अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सूरज नौकरी की तलाश में चेन्नई जा रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘ अधिकारियों ने मेरे डीएनए के नमूने लिए है, लेकिन अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है।’’ पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के शिवकांत रॉय ने बताया कि जून के अंत में उनके बेटी की शादी थी जिसके लिए वह तिरुपति से घर लौट रहा था।

शिवकांत रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरे बेटे का शव केआईएमएस अस्पताल में था, लेकिन मैं बालासोर के अस्पताल में उसे ढूंढ रहा था। मुझे बाद में बताया गया कि केआईएमएस अस्पताल ने बिहार के किसी परिवार को उसका शव दे दिया है, जो उसे ले गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया।’’

इसी तरह बिहार के मुजफ्फरपुर की राजकली देवी अपने पति के शव का इंतजार कर रही हैं। उनके पति चेन्नई जा रहे थे, जब यह हादसा हुआ। डीएनए रिपोर्ट आने में देरी के कारण कम से कम 35 लोग ‘गेस्ट हाउस’ में डेरा डाले हुए हैं, जबकि 15 अन्य लोग घर लौट गए हैं।

‘पीटीआई-भाषा’ की ओर से एम्स के निदेशक आशुतोष बिस्वास को किए गए फोन नहीं उठाए गए और न ही किसी संदेश का जवाब मिला। रेलवे के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वे दावेदारों से अपने डीएनए नमूने उपलब्ध कराने की अपील कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम एम्स और राज्य सरकार के बीच केवल एक पुल हैं।’’ इस बीच, भुवनेश्वर एम्स में तीन कंटेनर में संरक्षित 81 शव की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। अब तक कुल 84 परिवारों ने डीएनए के नमूने दिए हैं। चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जाने वाली एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी दो जून को बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन के पास एक घातक दुर्घटना का शिकार हो गई थी। इसमें करीब 300 लोगों की मौत हुई थी।

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