पाकिस्तान की विशेष अदालत ने इमरान खान, कुरैशी की जमानत अर्जियों पर सुनवाई स्थगित की

कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर ने नौ मई की हिंसा को 'तख्तापलट की कोशिश' बताया

इस्लामाबाद. पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक करने से संबंधित एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके करीबी सहयोगी शाह महमूद कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद की जमानत अर्जियों पर सुनवाई स्थगित कर दी है.
अदालत ने इसके अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाये जाने तक सुनवाई स्थगित की है.

कथित राजनयिक दस्तावेज में पिछले साल दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के उप विदेश मंत्री डोनाल्ड लू सहित अमेरिकी विदेश विभाग के अन्य अधिकारियों और पाकिस्तानी राजदूत असद माजिद खान के बीच हुई एक बैठक का विवरण शामिल था.
अमेरिकी मीडिया संस्थान द इंटरसेप्ट द्वारा इस दस्तावेज की एक कथित प्रति के प्रकाशन के बाद इमरान खान के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ गया है. शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के कई नेताओं ने दस्तावेज लीक के लिए खान पर उंगली उठाई है.

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खान के करीबी सहयोगी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के उपाध्यक्ष कुरैशी (67) को अमेरिका स्थित पाकिस्तानी दूतावास द्वारा विदेश कार्यालय को भेजे गए आधिकारिक दस्तावेज की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए 19 अगस्त को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. राजनयिक दस्तावेज जब भेजा गया था, उस समय कुरैशी विदेश मंत्री थे.

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, यहां की एक विशेष अदालत ने राजनयिक दस्तावेज मामले में खान और कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद की जमानत अर्जियों की सुनवाई तब तक के लिए स्थगित कर दी है, जब तक कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय निचली अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला नहीं सुना देता. लाहौर उच्च न्यायालय सात अलग-अलग मामलों में खान (70) की अग्रिम जमानत अर्जियों को खारिज किये जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर ने नौ मई की हिंसा को ‘तख्तापलट की कोशिश’ बताया

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों द्वारा नौ मई को की गई हिंसा को ”तख्तापलट और गृहयुद्ध का प्रयास” करार दिया है. स्थानीय मीडिया की खबरों में रविवार को यह जानकारी दी गई. हालांकि, काकर ने इस बात से इनकार किया कि हिंसा के आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई करने के पीछे बदला लेने का मकसद है.

अर्धसैनिक बल रेंजर्स द्वारा इमरान खान की गिरफ्तारी किए जाने के बाद नौ मई को हुई हिंसा के दौरान रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित दर्जनों सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों पर हमला कर दिया गया था. काकर ने ‘जियो न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ”नौ मई को हुई आगजनी और गुंडागर्दी को पूरी दुनिया ने देखा और अंतरराष्ट्रीय समाचारपत्रों ने इसे त्रासदी बताया. इस तरह की छल योजना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि नौ मई की हिंसा ”तख्तापलट और गृहयुद्ध का प्रयास था” जिसका निशाना सेना में सेवारत सेना प्रमुख और उनकी टीम थी.

काकर ने कहा कि सरकार यह धारणा नहीं बनाना चाहती कि नौ मई की हिंसा के आरोपियों से बदला लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर देश के कानूनों का उल्लंघन करने वालों और हिंसा का सहारा लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो ”हमें इस मामले में एक पक्ष के रूप में देखा जाएगा”.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को दूसरों पर पत्थर फेंकने, उनके साथ दुर्व्यवहार करने और इमारतों को जलाने का अधिकार नहीं है. इस हिंसा में कथित तौर पर संलिप्तता पाए जाने पर इमरान खान के सैकड़ों समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था.

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