प्रधानमंत्री ने संसद की कार्यवाही स्थगित कराने के लिए अपने ही लोगों से ‘ढोल बजवाए’ : जयराम रमेश

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने कथित अपारदर्शी वित्तीय लेन-देन से जुड़े ‘विनोद अडाणी की शेल कंपनियों के नेटवर्क’ को लेकर सोमवार को सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद की कार्यवाही स्थगित करवाने के लिए अपने ही लोगों से ढोल बजवाए, ताकि अडाणी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग नहीं उठ सके. रमेश ने पिछले कई दिनों की तरह आज अपने सवालों की श्रृंखला ‘हम अडाणी के हैं कौन’ की उप श्रृंखला ‘दिख रहा है विनोद’ के तहत कुछ सवाल किए.

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आज संसद की कार्यवाही को स्थगित करवाने के लिए अपने लोगों से ढोल बजवाए, ताकि अडाणी महाघोटाले में जेपीसी की मांग न उठ सके, लेकिन वह हमें सवाल पूछने से नहीं रोक पाएंगे.’’ रमेश ने दावा किया, ‘‘आज के सवाल गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी और अपारदर्शी वित्तीय लेन-देन में शामिल शेल कंपनियों के उनके नेटवर्क की केंद्रीय भूमिका से संबंधित हैं. अडाणी समूह ने बार-बार विनोद अडाणी से संबंधित सवालों को नजÞरअंदाजÞ किया है और दावा किया है कि वे समूह के प्रबंधन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर विनोद अडाणी की अडाणी समूह से इतनी ही दूरी है तो अडाणी एंटरप्राइजज के प्रबंधकर्ता अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में वरिष्ठ प्रबंधक कैसे बन गए? भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग दृढ़तापूर्वक क्यों कहता है कि यह ‘अडाणी समूह का हिस्सा है’?’’ उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियां क्या कभी जांच करेंगी कि ये धन कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है? आप कब अपने मित्रों और वित्तदाताओं को संरक्षण देना बंद करेंगे और कÞानून को अपना काम करने देंगे?’’

कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है. उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे. अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है.

उम्मीद है कि सरकार वन्यजीव विधेयक में हाथियों के प्रतिकूल संशोधनों के साथ आगे नहीं बढ़ेगी: रमेश

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने वृत्तचित्र ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर पुरस्कार मिलने पर खुशी जताते हुए सोमवार को कहा कि ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि सरकार शायद ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ में उन संशोधनों के लिए आगे नहीं बढ़ेगी जो हाथियों के प्रतिकूल हैं.

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘यह अद्भुत है कि ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर मिला है. शायद अब इससे मोदी सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में हाथियों के प्रतिकूल माने जाने वाले उन संशोधनों को लेकर आगे नहीं बढ़े जिनका व्यापक स्तर पर विरोध हुआ है.’’ वन्यजीव (संरंक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 को पिछले साल दिसंबर में जब पारित किया गया था तो रमेश ने इसके कई प्रावधानों का पुरजोर विरोध किया था.

इस विधेयक में संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन के जरिए वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा पर जोर दिया गया है. इसके साथ ही विधेयक में उन अनुसूचियों को युक्तिसंगत बनाने पर भी जोर दिया गया है जिनमें वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है.

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