
नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रामनाथ गोयनका व्याख्यान में आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आह्वान दोनों था. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के अपनी संस्कृति पर गर्व का भाव जगाने के लिए प्रधानमंत्री ने 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की अपील की. थरूर का कहना था कि काश! प्रधानमंत्री ने यह भी स्वीकार किया होता कि कैसे रामनाथ गोयनका ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज. उठाने के लिए अंग्रेजी का इस्तेमाल किया था.
थरूर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”कल रात इंडियन एक्सप्रेस के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रामनाथ गोयनका व्याख्यान में शामिल हुआ. उन्होंने विकास के लिए भारत की ‘रचनात्मक अधीरता’ पर बात की और उपनिवेशवाद-विरोधी मानसिकता पर ज.ोर दिया.” उन्होंने कहा, ”कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के संबोधन ने एक आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आ”ान, दोनों का काम किया, जिसमें राष्ट्र को प्रगति के लिए आतुर रहने का आग्रह किया गया. बुरी तरह सर्दी-ज.ुकाम से जूझने के बावजूद दर्शकों में शामिल होकर खुशी हुई.”
थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज.ोर दिया कि भारत “अब सिफ.र् एक ‘उभरता हुआ बाज.ार’ नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक ‘उभरता हुआ मॉडल’ है, और उन्होंने इसकी आर्थिक क्षमता का ज.क्रि किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन पर हर समय ‘चुनावी मोड’ में रहने का आरोप लगाया जाता रहा है, लेकिन असल में वे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘भावनात्मक मोड’ में थे.” उनके अनुसार, प्रधानमंत्री के भाषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मैकाले की 200 साल पुरानी “गुलाम मानसिकता” की विरासत को पलटने पर केंद्रित था.
कांग्रेस नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान की व्यवस्था में गौरव बहाल करने के लिए 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की अपील की. ??काश, उन्होंने यह भी स्वीकार किया होता कि कैसे रामनाथ गोयनका ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज. उठाने के लिए अंग्रेज.ी का इस्तेमाल किया था.” इससे कुछ दिन पहले, थरूर ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर बधाई देने के बाद कहा था कि उनके लंबे सार्वजनिक जीवन और सेवा को एक घटना तक सीमित करना अनुचित है.



