संदेशखालि जा रहे भाजपा-कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने रोका, एनसीएससी की राष्ट्रपति शासन की मांग

कोलकाता/नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने शुक्रवार को अशांत संदेशखालि जाने से रोक दिया, जिसे लेकर राजनीतिक विवाद और बढ़ गया है. नेताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर ”अराजकता वाली स्थिति” पैदा करने और मुद्दे को ”सांप्रदायिक” बनाने का आरोप लगाया.

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के प्रमुख अरुण हलदर ने शुक्रवार को कहा कि आयोग ने संदेशखालि में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा महिलाओं का कथित उत्पीड़न किए जाने के बारे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है. आरोप है कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के गांव संदेशखालि में कुछ तृणमूल नेताओं ने महिलाओं के यौन शोषण सहित कथित अत्याचार किए. इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.

इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच जमकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस भाजपा विरोधी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन कांग्रेस इस मामले में ममता बनर्जी की आलोचना करने वालों के साथ है.

केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक और अन्नपूर्णा देवी के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने संदेशखालि जाने के दौरान रामपुर गांव में रोक दिया. इस पर मंत्रियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और तृणमूल पर ”अराजकता वाली स्थिति” उत्पन्न करने का आरोप लगाया. बाद में, प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से संदेशखालि के मुद्दे पर मुलाकात की.

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में संदेशखालि जा रहे प्रतिनिधिमंडल को भी पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए रोक दिया. पुलिस के साथ कहासुनी के बाद चौधरी ने ममता बनर्जी पर मुद्दे का “राजनीतिकरण और सांप्रदायीकरण” करने का आरोप लगाया.

भाजपा के प्रतिनिधिमंडल की संयोजक केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने रामपुर गांव में रोके जाने के बाद संवाददाताओं से कहा, ”पुलिस ने भाजपा की केंद्रीय टीम को अशांत संदेशखालि का दौरा करने से रोक दिया. पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला दिया. हमने कहा कि हममें से केवल चार लोग जाएंगे, लेकिन हमें इसकी अनुमति नहीं दी गई.” रामपुर में रोके जाने के बाद भाजपा के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वहीं धरना दिया. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री भौमिक ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ”दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है” और स्थिति से निपटने के उनके तरीके की आलोचना की.

अन्नपूर्णा देवी ने कहा, ”हम केंद्रीय मंत्री और सांसद हैं, तथा कुछ प्रोटोकॉल हैं. राज्य पुलिस और प्रशासन को उन प्रोटोकॉल की परवाह नहीं है. अगर पुलिस ने शाहजहां शेख को गिरफ्तार करने में इतनी ही तत्परता दिखाई होती, तो स्थिति अलग होती.” केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तथ्य अन्वेषण टीम को संदेशखालि जाने की अनुमति नहीं दी. टीम ने दो प्रतिनिधियों के इलाके में जाने का प्रस्ताव दिया जिससे इनकार कर दिया गया.

भाजपा की राज्य महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने सवाल किया, ”क्या हम अपराधी हैं जिसकी वजह से हमें क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका गया है.” भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने संदेशखालि का दौरा करने के लिए पार्टी सांसदों की छह सदस्यीय समिति का गठन किया है, जहां महिलाएं तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं द्वारा उन पर कथित अत्याचार किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.
भौमिक और अन्नपूर्णा देवी के अलावा, सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल टीम के सदस्य हैं.

कांग्रेस नेता चौधरी ने राजनीतिक दलों को रोकने को लेकर सरकार के तर्क पर भी सवाल उठाया. उन्होंने सवाल किया, ”क्यों विपक्षी दलों को संदेशखालि में प्रवेश से रोका जा रहा है? राज्य सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है? क्यों वे मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं?” चौधरी ने ममता बनर्जी नीत पश्चिम बंगाल सरकार की निंदा की और आरोप लगाया कि सरकार मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है.

बनर्जी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की संदेशखालि और सांप्रदायिक झड़पों वाले इलाके में उपस्थिति है. इस बारे में पूछे जाने पर बनर्जी के मुखर आलोचक रहे चौधरी ने सवाल किया कि हिंसा में संघ की क्या प्रासंगिकता है. उन्होंने सवाल किया, ”संदेशखालि में अशांति का संघ से क्या संबंध है? उत्तम सरकार या शिबू हजारा हिंदू हैं या मुसलमान?” भाजपा प्रतिनिधिमंडल को रोके जाने पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर ‘राज्य का माहौल खराब करने’ की कोशिश करने का आरोप लगाया.

तृणमूल नेता शांतनु सेन ने दावा किया, ”भाजपा प्रतिनिधिमंडल को रोककर पुलिस ने सही काम किया. उसका इरादा राज्य का माहौल खराब करने का है. जब प्रशासन शांति बहाल करने के लिए सबकुछ कर रहा है, तो भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए उसे भंग करने की कोशिश कर रही है.” उन्होंने चौधरी पर भी निशाना साधा और ”बंगाल कांग्रेस को भाजपा की बी-टीम” करार दिया. संदेशखालि में बड़ी संख्या में महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.

तृणमूल नेता शाहजहां शेख से जुड़े लोगों ने राशन घोटाले के सिलसिले में छापा मारने गए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर कथित तौर पर हमला किया था, जिसके बाद से शाहजहां फरार है. महिलाएं शाहजहां को गिरफ्तार करने की मांग कर रही हैं.
इस बीच, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने संदेशखालि में बदमाशों द्वारा एक बच्चे को फेंके जाने की खबर पर संज्ञान लिया और जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर मामले की शीघ्र जांच के लिए कहा.

उत्तर 24-परगना जिले के जिला मजिस्ट्रेट को भेजे नोटिस में एनसीपीसीआर ने कहा कि उसने पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में बदमाशों के एक समूह द्वारा एक महिला निवासी पर हमला करने की दुखद घटना से संबंधित समाचार पत्र संज्ञान लिया है.
आयोग ने कहा कि खबर में बताया गया है कि बदमाश जबरन उसके घर में घुसे और मारपीट की, और चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने उसकी नवजात बेटी को छीनकर बेरहमी से फेंक दिया.

Related Articles

Back to top button