राष्ट्रपति जरदारी ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, कश्मीर मुद्दा उठाया

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने बृहस्पतिवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कश्मीर मुद्दा उठाया और दक्षिण एशिया में शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए इसका समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के सांसदों द्वारा सरकार के खिलाफ की जा रही नारेबाजी के बीच, राष्ट्रपति जरदारी ने राजनीतिक नेताओं से नकदी संकट से जूझ रहे देश के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति छोड़ने का आग्रह किया.

जरदारी ने कश्मीर को लेकर कहा कि भारत को पांच अगस्त, 2019 के बाद से उठाए गए सभी कदमों को वापस लेना चाहिए और कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य निर्धारित करने के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में विकास के लिए शांति का माहौल आवश्यक है और कश्मीर मुद्दे का समाधान शांति की कुंजी है.

भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश के अभिन्न और अविभाज्य हिस्से हैं. भारत ने यह भी कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर में सामाजिक-आर्थिक विकास और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए संवैधानिक कदम भारत का आंतरिक मामला है. दूसरी बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए जरदारी ने अपने संबोधन में कहा कि वह एकजुट होकर सभी चुनौतियों से निपटने में राष्ट्र की ताकत में विश्वास करते हैं.

जरदारी ने कहा, ”देश को अब ध्रुवीकरण से हटकर समसामयिक राजनीति की ओर बढ.ने की जरूरत है. इस संयुक्त सदन को संसदीय प्रक्रिया में जनता का विश्वास बहाल करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.” पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष जरदारी गठबंधन सरकार के उम्मीदवार थे और उन्होंने पिछले महीने 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी.

जरदारी ने सभी प्रांतों के लिए अवसरों की समानता पर आधारित एक समावेशी विकास मॉडल विकसित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश को आर्किषत करना देश का प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए. उन्होंने सरकार से मौजूदा नियमों को सरल बनाने और घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए एक माहौल बनाने के लिए कहा. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसदों ने राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान विरोध जताया और ”जरदारी जाओ” के नारे लगाए, लेकिन राष्ट्रपति ने आत्मविश्वास के साथ अपना संबोधन जारी रखा.

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