एक जनवरी को प्रक्षेपित पीएसएलवी एक्सपोसैट बेहतर काम कर रहा : इसरो प्रमुख

हैदराबाद. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस.सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि एक जनवरी को प्रक्षेपित पीएसएलवी एक्सपोसैट ‘बहुत अच्छा’ काम कर रहा है. सोमनाथ हैदराबाद स्थित जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जेएनटीयू) के दीक्षांत समारोह से इतर संवादाताओं से बातचीत कर रहे थे. यहां विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की मानद उपाधि से सम्मानित किया.

सोमनाथ ने कहा, ”पहली जनवरी को हमने पीएसएलवी एक्सपोसैट को प्रक्षेपित किया था. उपग्रह अच्छा काम कर रहा है. अब उसके सभी उपकरणों को काम करने के लिए धीरे-धीरे ऑन किया गया है. हमें जल्द परिणाम की जानकारी मिलेगी.” उन्होंने कहा कि 2024 व्यस्त होने वाला है और कई प्रक्षेपण किए जाने हैं.

सोमनाथ ने कहा, ”अगला प्रक्षेपण जीएसएलवी, इनसैट-3डीएस और मौसम उपग्रह का किया जाना है ताकि चक्रवात पर नजर रखी जा सके,बारिश, सूखे और कई मौसमी गतिविधियों का आकलन किया जा सके. यह उपग्रह इसी महीने या संभवत? फरवरी की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाना है.” उन्होंने कहा कि गगनयान मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत भी कई प्रक्षेपण किए जाने है और 2024 ‘गगनयान साल’होने जा रहा है. अन्य प्रक्षेपणों में वाणिज्यिक प्रक्षेण और जीएसएलवी का प्रक्षेपण शामिल है.

उन्होंने अंतरिक्ष एजेंसी के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 की कक्षा में बदलाव के लिए किए जाने बारे में भी बात की जो छह जनवरी को किया जाएगा. इस बदलाव से आदित्य-एल1 अपनी तय कक्षा में पहुंच जाएगा. सोमनाथ ने कहा, ”कल, हम आदित्य-एल1 को उसकी अंतिम कक्षा में भेजने का प्रयास करेंगे … यह कल होगा. उसके बाद, उपग्रह वहीं आसपास रहेगा, सूर्य को देखेगा और सभी माप करेगा. इस प्रकार वह करीब-करीब 15 लाख किलोमीटर की अपनी यात्रा पूरी करने वाला है.” इसरो अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 15 किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा. एल-1 बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.

सोमनाथ ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वे (छात्र) अपने कार्यों से समाज को मिलने वाले लाभों के प्रति भी उत्सुक रहें. हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी कृषि, मौसम और अन्य को लाभ पहुंचाने के लिए अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों पर केंद्रित करती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उनमें से एक चनौती अधिक आर्थिक गतिविधि लाना है. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन ने दुनिया के अन्य मिशनों की तुलना में काफी कम लागत पर अपने लक्ष्य को हासिल किया.

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