अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा; प्रधानमंत्री मोदी ने अलौकिक क्षण बताया

राम अग्नि नहीं बल्कि ऊर्जा हैं: मोदी

अयोध्या/नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सोमवार को अयोध्या के मंदिर में रामलला की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. मोदी ने इस क्षण को नए युग के आगमन का प्रतीक करार दिया. लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही आयोजित इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लाखों लोगों ने अपने घरों और पड़ोस के मंदिरों में टेलीविजन पर देखा.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मध्याह्न में 12 बजकर 29 मिनट पर रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गयी.
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने और समान नागरिक संहिता लागू करने के साथ-साथ, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण दशकों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एजेंडे में रहा है. ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के दौरान सेना के हेलीकॉप्टरों ने नवनिर्मित जन्मभूमि मंदिर पर फूलों की वर्षा की. साथ ही राम नगरी के कुछ हिस्सों में लोगों ने गायन और नृत्य के साथ जश्न मनाया.

मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “आज, हमारे राम आ गए हैं. युगों के लंबे इंतजार के बाद हमारे राम आ गए हैं. हमारे रामलला अब तंबू में नहीं रहेंगे. हमारे रामलला एक भव्य मंदिर में रहेंगे.” उन्होंने याद दिलाया कि ऐसा समय था जब कुछ लोगों ने कहा था कि अगर मंदिर बनाया गया तो देश में आग लग जाएगी.

मोदी ने कहा, “मैं उन लोगों से पुर्निवचार करने का आग्रह करूंगा. राम अग्नि नहीं बल्कि ऊर्जा हैं. राम कोई विवाद नहीं हैं, बल्कि समाधान हैं. राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, बल्कि सभी के हैं. राम सिर्फ वर्तमान नहीं हैं, बल्कि अनंत काल हैं.” प्रधानमंत्री ने 84 सेकंड के ‘अभिजीत मुहूर्त’ के दौरान ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के साथ ‘गर्भगृह’ में कई अनुष्ठान किए. अंत में मोदी ने राम के बाल रूप की 51 इंच की मूर्ति को साष्टांग प्रणाम किया.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. अयोध्या निवासी अनिल सिंह ने इसे एक “अमूल्य क्षण” करार देते हुए कहा कि वह इसे हमेशा याद रखेंगे. उन्होंने कहा, ”अयोध्या का निवासी होने के नाते मुझे गर्व है कि मैं इस आध्यात्मिक शहर में रहता हूं.” प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मंदिर का उद्घाटन हो गया है और इसके मंगलवार से आम जनता के लिए खुलने की संभावना है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”अयोध्या धाम में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अलौकिक क्षण हर किसी को भाव-विभोर करने वाला है. इस दिव्य कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरा परम सौभाग्य है. जय सियाराम !” सुनहरे रंग का कुर्ता, क्रीम रंग की धोती और उत्तरीय पहने प्रधानमंत्री मोदी नवनिर्मित राम मंदिर के मुख्य द्वार से पैदल चलकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और गर्भगृह में प्रवेश किया. प्रधानमंत्री इस दौरान अपने हाथ में लाल रंग के कपड़े में लिपटा हुआ चांदी का एक छत्र भी लेकर आए थे.

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान संपन्न होने के बाद मोदी कुबेर टीला भी गए और राम मंदिर के निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिकों से बातचीत की.
प्रधानमंत्री ने मंदिर न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि द्वारा दिए ‘चरणामृत’ को पीकर समारोह से पहले शुरू किए गए 11 दिन के उपवास को तोड़ा. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण देखा.

लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले हुए इस समारोह की तैयारी के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के बीच कई बार नोकझोंक हुई.
विपक्ष के शीर्ष नेताओं ने इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का कार्यक्रम बताया और इसमें शामिल नहीं हुए. मगर हिमाचल प्रदेश कि कांग्रेस सरकार के मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह आयोजन स्थल पर पहुंचे.

कई राज्यों ने सोमवार के लिए एक दिन के अवकाश की घोषणा की थी ताकि लोग टीवी पर समारोह को देखने के साथ ही आसपास के मंदिरों में कार्यक्रमों में भाग ले सकें. अयोध्या में राम मंदिर में विराजमान नयी प्रतिमा भगवान राम की पांच वर्ष की आयु को दर्शाती है और यह मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने काले पत्थर से बनायी है.

मूर्ति को पीले रंग की धोती और रत्न जड़ित आभूषण पहनाए गए थे. मूर्ति के गले में पीले, लाल और बैंगनी रंग के फूलों की माला भगवान की बाल छवि को सुशोभित कर रही थी. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान बजायी गयी मधुर ”मंगल ध्वनि” में देशभर के 50 पारंपरिक वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया गया. अयोध्या के प्रसिद्ध कवि यतींद्र मिश्र द्वारा संचालित इस भव्य संगीतमय प्रस्तुति को नयी दिल्ली की संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से संपन्न किया गया.

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश से बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, पंजाब से अलगोजा, ओडिशा से मर्दला, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ से तंबूरा, बिहार से पखावज, दिल्ली से शहनाई और राजस्थान से रावणहत्था बजाने वाले कलाकर शामिल हुए.

इस अवसर पर देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु यह जानते हुए भी इस मंदिर नगरी में पहुंचे कि वे मुख्य समारोह में भाग नहीं ले सकेंगे.
रंगबिरंगे फूलों और रोशनी से ‘जय श्री राम’ का चित्रण करने वाले औपचारिक द्वार शहर की आभा को बढ़ा रहे हैं. मंदिर-मस्जिद विवाद पर 2019 में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे संबंधी विकास हुआ है.

छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. कई हिंदुओं का मानना है कि यह मस्जिद भगवान राम की जन्म स्थली पर बनायी गयी थी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2019 में मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया. उसने मस्जिद के निर्माण के लिए मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश भी दिया था.

अयोध्या में सोमवार सुबह पहुंचे आमंत्रित अतिथियों में अनुपम खेर, कैलाश खेर, जुबिन नौटियाल, प्रसून जोशी, सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, रविशंकर प्रसाद और अनिल अंबानी शामिल रहे. हेमा मालिनी, कंगना रनौत, श्री श्री रविशंकर, मोरारी बापू, रजनीकांत, मधुर भंडारकर, सुभाष घई और सोनू निगम रविवार को ही अयोध्या पहुंचे गए थे.

इस दौरान अयोध्या जिले में सुरक्षार्किमयों का कड़ा पहरा रहा और सुबह से ही सड़कों पर ‘रामधुन’ बजनी शुरू हो गई थी. समारोह में आमंत्रित अतिथियों को ‘राम पटका’ दिया गया और ‘तिलक’ लगाकर उनका स्वागत किया गया. सभी अतिथियों को एक घंटी दी गयी जो उन्होंने ‘आरती’ के दौरान बजायी. पारंपरिक नागर शैली में बना मंदिर परिसर 380 फुट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा है. मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची और उसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं.

मंदिर के स्तंभ और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनायी गयी हैं. प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान 16 जनवरी को सरयू नदी के तट से शुरू हुए और सोमवार दोपहर को संपन्न हुए. देशभर के मंदिरों ने इस अवसर पर विशेष कार्यक्रमों की घोषणा की है. वाशिंगटन से लेकर पेरिस और सिडनी तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विश्व हिंदू परिषद या हिंदू प्रवासी समुदाय ने कार्यक्रम आयोजित किए.

प्रधानमंत्री ने राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में राम ज्योति जलाई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में सोमवार को सात, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर राम ज्योति जलाई. मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इसकी तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “राम ज्योति.” प्रधानमंत्री ने सोमवार दोपहर अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा, “आज गांव-गांव में एक साथ कीर्तन, संकीर्तन हो रहे हैं. आज मंदिरों में उत्सव हो रहे हैं, स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं. पूरा देश आज दिवाली मना रहा है. आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है.” इससे पहले, उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में देशवासियों से अपने घरों में राम ज्योति जलाने की अपील भी की थी.

राम मंदिर से जुड़ा घटनाक्रम
अयोध्या के राम मंदिर में सोमवार को रामलला की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाले इस कार्यक्रम को देश-विदेश के लाखों लोगों ने अपने घरों और मंदिरों में टेलीविजन पर देखा.

अयोध्या राम मंदिर मुद्दे का घटनाक्रम इस प्रकार है: –

वर्ष 1528 : मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बकी द्वारा बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया.

वर्ष 1885 : महंत रघुवर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर एक चबूतरा बनाने की अनुमति मांगी. अदालत ने याचिका खारिज कर दी.

वर्ष 1949 : विवादित ढांचे के बाहर मध्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति रखी गई.

एक फरवरी, 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू भक्तों के लिए स्थल खोलने का आदेश दिया.

14 अगस्त, 1989 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

छह दिसंबर, 1992 : 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद, जिसके बारे में कई हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम के जन्मस्थान स्थल पर बनाई गई थी, को ‘कार सेवकों’ ने ध्वस्त कर दिया.

तीन अप्रैल, 1993 : केंद्र द्वारा विवादित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र का अधिग्रहण अधिनियम’ पारित किया गया.

अप्रैल 2002 : विवादित स्थल के मालिकाना हक का निर्धारण करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुनवाई शुरू की.

30 सितंबर, 2010 : उच्च न्यायालय ने 2:1 के बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया.

9 मई, 2011 : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगायी.

जनवरी 2019 : उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया.

छह अगस्त, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने भूमि विवाद पर रोजाना सुनवाई शुरू की.

16 अक्टूबर, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई पूरी की, आदेश सुरक्षित रखा.

9 नवंबर, 2019 : एक ऐतिहासिक फैसले में, उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को दे दी, जमीन का कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर को सौंपा. शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मस्जिद बनाने के लिए मुसलमानों को किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया.

पांच फरवरी, 2020 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की घोषणा की.

पांच अगस्त, 2020 : प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर की नींव रखी.

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