छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मिला दुर्लभ नारंगी रंग का चमगादड़

जगदलपु: छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में नारंगी रंग का एक दुर्लभ चमगादड़ देखा गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को चमगादड़ों की विभिन्न प्रजातियों का घर कहा जाता है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले चमगादड़ों की प्रजातियों का पता लगाने के लिए जल्द ही एक सर्वेक्षण किया जाएगा।

राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पिछले तीन वर्षों में तीसरी बार ‘पेंटेड बैट्स’ नामक चमकीले नारंगी रंग का चमगादड़ देखा गया है। गणवीर ने बताया कि इस वर्ष नारंगी चमगादड़ सोमवार को पराली बोदल गांव में केले के खेत में देखा गया है।

उन्होंने बताया कि लगभग दो सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला उद्यान जैव विविधता से समृद्ध है। यहां कई बार जीवों की दुर्लभ प्रजातियों को देखे जाने की सूचना मिली है। अधिकारी ने बताया कि नारंगी रंग के इस चमगादड़ का वैज्ञानिक नाम ‘कैरिवॉला पिक्टा’ है। यह लुप्त होती प्रजाति है तथा आमतौर पर यह बांग्लादेश, बर्मा, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम में देखा जाता है।

गणवीर ने बताया, ‘‘भारत में यह अब तक पश्चिमी घाट, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी में देखा गया है।’’ उन्होंने बताया कि इससे पहले यह 2020 और 2022 में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में देखा गया था। गणवीर ने बताया, ‘‘ये चमगादड़ सूखे इलाकों में रहना ज़्यादा पसंद करते हैं तथा केले पत्तों के नीचे विश्राम करते हैं। पेंटेड बैट एरियल हॉकर है मतलब यह हवा में उड़ते हुए ही कीड़े पकड़ते हैं।’’

अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने उद्यान में पाए जाने वाले चमगादड़ों की प्रजातियों का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू करने और उसके अनुसार संरक्षण का उपाय करने का फैसला किया है।’’ बस्तर के एक पक्षी विज्ञानी रवि नायडू ने बताया कि नारंगी चमगादड़ पहली बार नवंबर 2020 में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में घायल हालत में पाया गया था। इसे बचाया गया और बाद में इसे इसके आवास में छोड़ दिया गया था।

नायडू ने कहा कि कांगेर घाटी में मिले नारंगी चमगादड़ पर उनका शोध पत्र 2020 में जर्नल आॅफ द वाइल्ड लाइफ प्रिजर्वेशन सोसायटी – ‘चीतल’ में प्रकाशित हुआ था। नायडू वर्तमान में मुंबई ट्रांस हार्बर ंिलक परियोजना के लिए परियोजना सहायक के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में चमगादड़ों की 26 प्रजातियों को देखा है और जल्द ही इस पर उनका शोध पत्र प्रकाशित होगा।

‘पेंटेड बैट्स’ की विशेषता चमकीले नारंगी और काले पंख तथा पीठ पर घने नारंगी फर है। उनके चेहरे पर बड़े-बड़े बाल होते हैं तथा कान बड़े और कीप के आकार के होते हैं। नायडू ने बताया कि भारत में चमगादड़ों की लगभग 131 प्रजातियां हैं, जिनमें से 31 मध्य भारत में पाई जाती हैं।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी चूना पत्थर की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है जो चमगादड़ों को उपयुक्त आवास प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले एक जीव विविधता सर्वेक्षण के दौरान बस्तर जिले में चमगादड़ों की 20 प्रजातियों की सूचना मिली थी। जिनमें से ज्यादातर कांगेर घाटी में थी।

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