‘विकसित भारत’ के लिए राज्यों को 75,000 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज: सीतारमण

नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने ‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए राज्यों के स्तर पर किए जाने वाले सुधारों के लिए राज्यों को 50 साल के लिए 75,000 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज देने का प्रस्ताव किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते समय यह घोषणा की. सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है.

सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने के लिए राज्यों में वृद्धि एवं विकास-प्रोत्साहक सुधारों को लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ”राज्य सरकारों के स्तर पर किए जाने वाले सुधारों का समर्थन करने के लिए 50 वर्ष के ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करने का इस साल प्रस्ताव है.” बजट दस्तावेजों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्यों के हिस्से के हस्तांतरण, अनुदान एवं ऋण के तौर पर राज्यों को कुल 22,22,264 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाने वाले हैं.

यह वित्त वर्ष 2022-23 के वास्तविक आंकड़ों से 4,13,848 करोड़ रुपये अधिक है. सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार सर्वांगीण, सर्वव्यापी और सर्व-समावेशी विकास के नजरिये के साथ काम कर रही है जिसमें सभी जातियों और सभी स्तरों के लोगों को शामिल किया गया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि ‘विकसित भारत’ का दृष्टिकोण प्रकृति के साथ सामंजस्य, आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ समृद्ध भारत और सभी नागरिकों एवं सभी क्षेत्रों को उनकी क्षमता तक पहुंचने के अवसर प्रदान करना है. इसके साथ ही सीतारमण ने कहा, ”जुलाई में पेश किए जाने वाले पूर्ण बजट में हमारी सरकार ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश करेगी.”

अंतरिम बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को 90,658 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 2024-2025 के अंतरिम बजट में 90,658.63 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2023-2024 के बजट (संशोधित अनुमान) के 80,517.62 करोड़ रुपये से 12.59 प्रतिशत अधिक हैं. सरकार ने घोषणा की है कि आयुष्मान भारत बीमा योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल का दायरा सभी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायकों तक भी बढ.ाया जाएगा.
मंत्रालय के 90,658.63 करोड़ रुपये के आवंटन में से 87,656.90 करोड़ रुपये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को जबकि 3001.73 करोड़ रुपये स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को आवंटित किए गए हैं. आयुष मंत्रालय के लिए बजट आवंटन 3,000 करोड़ रुपये से बढ.ाकर 3,712.49 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

यूजीसी के लिए आवंटन में 60 प्रतिशत की कटौती, स्कूली शिक्षा को अधिक धन

केंद्र सरकार ने इस वर्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बजट में 60 प्रतिशत की कटौती की है. इसके साथ ही लगातार दूसरे वर्ष भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईएमएम) के आवंटन में कटौती की गयी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बृहस्पतिवार को संसद में पेश किए गए 2024-25 के अंतरिम बजट में स्कूली शिक्षा के आवंटन में 500 करोड़ रूपये की वृद्धि की गयी है जबकि उच्च शिक्षा के लिए पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 9600 करोड़ रूपये से अधिक की कटौती की गयी है.

अंतरिम बजट में यूजीसी का आवंटन पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में घटाकर 2500 करोड़ रूपये कर दिया गया है जो इससे पिछले साल 6409 करोड़ रूपये था. इसमें 60.99 प्रतिशत की कमी की गयी है. इसी प्रकार भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) संस्थानों का आवंटन घटाकर 212.21 करोड़ रूपये कर दिया गया है जबकि पिछले साल इसका संशोधित अनुमान 331 करोड़ रूपये था. वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का अनुदान 10,384.21 करोड़ रूपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 10324.50 करोड़ रूपये कर दिया गया. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए बजट 12000.08 करोड़ रूपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 15,472 करोड़ रूपये किया गया.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने, बालिकाओं के टीकाकरण पर जोर देने को सराहा

स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अस्पतालों के मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके और अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की केंद्र की योजना की बृहस्पतिवार को प्रशंसा की और कहा कि यह कदम स्वास्थ्य के प्रति ‘समग्र प्रतिबद्धता’ को दर्शाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को 2024-25 के लिए अंतरिम बजट प्रस्तुत करते हुए घोषणा की कि सरकार की योजना विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा अस्पताल अवसंरचना का इस्तेमाल करते हुए और अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की है.

उन्होंने कहा कि इस विषय का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी जो इस बाबत सिफारिश करेगी. सीतारमण ने यह घोषणा भी की है कि सरकार गर्भाशय कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 साल की आयुवर्ग की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहन देगी.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ आदर पूनावाला ने सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए ‘एक्स’ पर कहा, ”एचपीवी (‘ूमन पैपिलोमावायरस) को रोकने और टीकाकरण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने का संकल्प लें. आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार, अधिक मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं को सुव्यवस्थित करना स्वास्थ्य के प्रति समग्र प्रतिबद्धता को प्रर्दिशत करता है.” अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि देश में और अधिक मेडिकल कॉलेजों की स्थापना महत्वपूर्ण है.

सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि कई युवाओं की आकांक्षा डॉक्टर बनने की है और वे उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से लोगों की सेवा करना चाहते हैं. भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ रोडेरिको एच ओफरिन ने आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों तक आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कवरेज का दायरा बढ.ाने की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये लोग जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के मोर्चे पर सबसे आगे रहते हैं.

उन्होंने कहा, ”डब्ल्यूएचओ सभी के लिए स्वास्थ्य और रोग उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत सरकार का समर्थन करता रहेगा.” एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (भारत) के संस्थापक निदेशक डॉ गिरधर ज्ञानी, रीजेंसी अस्पताल के सीईओ अभिषेक कपूर, नयी दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में मुख्य रणनीति अधिकारी सुगंध अहलूवालया और फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और सीईओ डॉ आशुतोष रघुवंशी ने भी वित्त मंत्री की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी विभिन्न घोषणाओं का स्वागत किया.

जनगणना, एनपीआर की कवायद इस साल भी होने की संभावना नहीं; अंतरिम बजट में 1,277 करोड़ रुपये मिले

वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में जनगणना के लिए 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो 2021-22 के आवंटन की तुलना में काफी कम हैं जब 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इससे संकेत मिलता है कि तीन साल की देरी के बाद भी इस साल इसे कराये जाने की संभावना नहीं है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 दिसंबर, 2019 को हुई बैठक में 8,754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना-2021 करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अद्यतन करने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था.
जनगणना में आवास की सूची बनाने का चरण और एनपीआर को अद्यतन करने की कवायद 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक देश भर में की जानी थी, लेकिन कोविड??-19 के कारण स्थगित कर दी गई. सरकार ने अभी तक जनगणना के नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है.

अधिकारियों ने कहा कि आम चुनाव इस साल होने वाले हैं, इसलिए 2024 में जनगणना होने की संभावना नहीं लगती. अंतरिम बजट के अनुसार, जनगणना सर्वे और सांख्यिकी के लिए 1,277.80 करोड़ रुपये का आवंटन किये गये हैं, जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए यह आवंटन 520.96 करोड़ रुपये का किया गया. अधिकारियों के अनुसार, जनगणना और एनपीआर की पूरी कवायद पर सरकार को 12,000 करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ सकता है. यह कवायद जब भी होगी, पहली डिजिटल जनगणना होगी जिसमें नागरिकों को स्वयं हिस्सेदारी करके जानकारी देने का अवसर मिलेगा.

सरकार ने 2024-25 के लिए फेम आवंटन में 44 प्रतिशत से अधिक कटौती का प्रस्ताव किया

सरकार ने भारत में हाइब्रिड और इले्ट्रिरक वाहन को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम) की योजना के मद में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2,671.33 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया है. गौरतलब है कि यह राशि इस योजना के लिए चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 44 प्रतिशत से अधिक कम है.

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या सरकार मौजूदा फेम-2 योजना को एक फिर बढ.ाएगी या एक नयी फेम-3 योजना लाई जाएगी.. सरकार इस योजना को पहले ही दो साल के लिए बढ.ा चुकी है. बृहस्पतिवार को जारी अंतरिम बजट 2024-25 दस्तावेजों के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष के लिए फेम योजना के तहत 2,671.33 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

चालू वित्त वर्ष के बजट में इस योजना के लिए 5,171.97 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. बाद में इस राशि को संशोधित का 4,807.4 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस तरह संशोधित अनुमान की तुलना में 2024-25 के लिए योजना परिव्यय 44 प्रतिशत से अधिक की कटौती का संकेत देता है.

अंतरिम बजट में राष्ट्रपति कार्यालय के लिए 144.18 करोड़ रुपये आवंटित, पिछले साल की अपेक्षा 47.5 प्रतिशत अधिक

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बृहस्पतिवार को संसद में पेश अंतरिम बजट (2024-25) में राष्ट्रपति कार्यालय के लिए 144.18 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में निर्धारित 97.69 करोड़ रुपये से 46.49 करोड़ रुपये (करीब 47.5 प्रतिशत) अधिक है.

वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश अंतरिम बजट के दस्तावेजों के अनुसार राष्ट्रपति सचिवालय के लिए 90.87 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जबकि ‘अन्य व्यय’ मद में 52.71 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए. दस्तावेज के अनुसार कुल आवंटन में से 60 लाख रुपये राष्ट्रपति के वेतन और अन्य भत्तों के लिए हैं और इनमें पिछले बजट से कोई बदलाव नहीं किया गया है. राष्ट्रपति सचिवालय मद के तहत आवंटित राशि स्थापना और संबंधित अन्य खर्चों के लिए प्रदान की जाती है जिसमें राष्ट्रपति संपदा परिसर में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय के लिए अनुदान सहायता भी शामिल है.

केंद्रीय मंत्रियों, अतिथियों के सत्कार, प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए 1249 करोड़ रुपये का आवंटन

संसद में बृहस्पतिवार को प्रस्तुत अंतरिम बजट में मंत्रिपरिषद, कैबिनेट सचिवालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और राजकीय अतिथियों के आतिथ्य और मनोरंजन पर होने वाले खर्च के लिए 1,248.91 रुपये आवंटित किए गए. वित्त वर्ष 2023-24 में इस मद में 1,803.01 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आवंटन में 832.81 करोड़ रुपये मंत्रपरिषद के खर्च के लिए दिए गए हैं.

यह प्रावधान कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के वेतन, सत्कार और अन्य भत्तों तथा यात्रा पर व्यय के लिए है. इसमें वीवीआईपी के लिए विशेष अतिरिक्त सत्र उड़ान संचालन का प्रावधान भी शामिल है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

यह प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के प्रशासनिक खर्च और अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए है. प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के लिए 76.20 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. कैबिनेट सचिवालय को 70 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री कार्यालय को 65.30 करोड़ रुपये का आवंटन प्रशासनिक व्यय के लिए किया गया है. बजट में सत्कार और मनोरंजन व्यय के लिए चार करोड़ रुपये दिए गए हैं.

‘रूफटॉप’ सौर संयंत्र के लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान, परिवारों को सालाना 18,000 रुपये की बचत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना से एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिल सकेगी जिससे उन्हें सालाना 18,000 रुपये तक की बचत होगी. वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने बजट पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”बजट में रूफटॉप सोलर (योजना) के लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.” सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि छतों पर सौर इकाई लगाने से एक करोड़ परिवार हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली पाने में सक्षम होंगे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिन पहले छतों पर सौर ऊर्जा इकाई लगाने के लक्ष्य के साथ ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ शुरू किए जाने की घोषणा की थी. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से लौटने के बाद एक करोड़ घरों में सौर इकाई लगाने की योजना लाने की बात कही थी.

सीतारमण ने कहा, ”मुफ्त सौर बिजली के इस्तेमाल और बची हुई बिजली वितरण कंपनियों को बेचने से परिवारों को सालाना 15,000-18,000 रुपये तक की बचत होगी.” यह योजना इले्ट्रिरक वाहनों की चार्जिंग में भी सहायता करेगी. इसके अलावा सौर इकाइयों की आपूर्ति एवं स्थापना के लिए बड़ी संख्या में विक्रेताओं के लिए उद्यमशीलता के अवसर और तकनीकी कौशल वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

वित्त मंत्री ने वर्ष 2070 तक ‘शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन’ के लिए भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए कहा कि अपतटीय पवन ऊर्जा के उपयोग के लिए परियोजना को व्यावहारिक बनाने को लेकर वित्तपोषण किया जाएगा. उन्होंने कहा, ”एक गीगावाट की शुरुआती क्षमता के लिए अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता के उपयोग को लेकर परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए निधि मुहैया कराई जाएगी.” केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 73 गीगावाट से अधिक है. इसी तरह देश में पवन ऊर्जा क्षमता लगभग 45 गीगावाट है.

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा हुआ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को अपने अभिभाषण में कहा था कि पिछले 10 वर्षों में गैर-जीवाश्म ईंधन यानी हरित ऊर्जा आधारित ऊर्जा क्षमता 81 गीगावाट से बढ.कर 188 गीगावाट हो गई है.

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