‘हिंदी, हिंदुत्व, हिंदुस्तान के प्रभुत्व की तलाश’ : शशि थरूर ने भाजपा की आलोचना की

चुनावों में दक्षिण में भाजपा के 'अनुकरणीय' प्रदर्शन का दावा उसके दुष्प्रचार तंत्र का नतीजा : थरूर

नयी दिल्ली/तिरुवनंतपुरम. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बृहस्पतिवार को लोकसभा चुनावों में दक्षिण भारत में मजबूत प्रदर्शन के भाजपा के दावे को उसके “दुष्प्रचार” का परिणाम बताया और कहा कि सत्ताधारी दल उत्तर में साम्प्रदायिकता, धार्मिक और सामाजिक विभाजन जैसे जो विमर्श गढ़ता है, वे वहां लागू नहीं होते.

थरूर ने दक्षिण में आक्रामक सियासी रणनीति अपनाने वाली भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक ऐसी पार्टी जो ‘विकास’ पर ध्यान केंद्रित करने का दावा करती है, उसके एजेंडे की उस क्षेत्र में स्वीकार्यता सबसे कम है जो वास्तव में सबसे अधिक ‘विकसित’ क्षेत्र है.

‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में थरूर ने कहा कि “हिंदी, हिंदुत्व, हिंदुस्तान” के प्रभुत्व की तलाश वास्तव में हमारी बहुलवादी चेतना की नींव के लिए सबसे प्रमुख खतरा है. कांग्रेस नेता ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता देश की संस्कृति के ‘डीएनए’ में अंर्तिनहित है और यह इतनी आसानी से गायब नहीं होगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह धर्मनिरपेक्षता के लिए ‘करो या मरो’ का चुनाव है, कांग्रेस नेता ने कहा, “नहीं, क्योंकि राष्ट्रीय एकता की ताकतें हमेशा भारत की आवश्यक धर्मनिरपेक्षता के लिए पहले की चुनौतियों पर हावी रही हैं.” थरूर ने हालांकि कहा कि यह लोकसभा चुनाव भारत की आत्मा के लिए चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण चरण है. देश में राम मंदिर की लहर से भाजपा को फायदा मिलने की संभावना पर, कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य ने कहा, “भाजपा का धर्म का राजनीतिकरण तब बहुत आगे बढ़ गया जब प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की, जिसके लिए वह स्पष्ट रूप से पात्र नहीं हैं.”

थरूर ने कहा, “राम के आजीवन भक्त के रूप में, जिनकी तस्वीर हमेशा मेरे घर के पूजा कक्ष में एक प्रमुख स्थान पर सुशोभित रहती है, मुझे यह पूछने का पूरा अधिकार है कि मुझे अपने राम को भाजपा को क्यों सौंप देना चाहिए. किसने भगवान राम पर कॉपीराइट भाजपा को दिया.” उन्होंने कहा, हालांकि, राम मंदिर लहर का पूर्वानुमान मामले को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है.

थरूर ने कहा कि मतदाता वास्तविक मुद्दों के महत्व को जानते हैं – बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिक नफरत उनमें प्रमुख हैं – और उन्हें एहसास है कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारियां हैं. उन्होंने कहा कि लोग धर्म के लिए नहीं बल्कि अपने कल्याण के लिए सरकार चुनते हैं, और यदि वे अपने हित के लिए मतदान करते हैं तो वे भाजपा को सत्ता से बाहर कर देंगे.

थरूर ने कहा, “हम जब अगले कुछ हफ्तों में चुनाव के लिए जाएंगे तो भारतीय एकजुट होकर नए भारत का समर्थन कर सकते हैं, या सांप्रदायिक नफरत से विभाजित भारत का समर्थन कर सकते हैं. हम भविष्य की समावेशी दृष्टि का समर्थन कर सकते हैं, या ऐसी दृष्टि का समर्थन कर सकते हैं जो बहिष्कृत और शक्तिहीन हो.” केरल के तिरुवनंतपुरम से चौथी बार चुनाव लड़ रहे थरूर ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा दक्षिण में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस क्षेत्र में हालिया “परिभ्रमण” इसका स्पष्ट संकेत है.

उन्होंने कहा, चूंकि वे 2019 में हर जगह चरम पर रहे इसलिए यह एकमात्र क्षेत्र बचा है जहां उन्हें उम्मीद है कि वे आगे बढ़ सकते हैं.
दक्षिणी राज्यों में शानदार प्रदर्शन करने के भाजपा के दावों के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा, ” शानदार प्रदर्शन का दावा भाजपा के प्रचार तंत्र का एक और हथकंडा है.” उन्होंने दावा किया कि कहीं भी लागू होने वाली राष्ट्रीय योजनाओं के अलावा, भाजपा के पास अपने दस साल के शासन में केरल में बताने के लिए वस्तुत? कुछ भी नहीं है.

थरूर ने कहा, “उन्होंने राज्य से तीन वादे किये और सभी को तोड़ दिया. उन्होंने केरल को एम्स देने का वादा किया; कोई एम्स नहीं आया. मुझे दिए जवाब में उनके आयुष मंत्री ने हमसे एक राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय का वादा किया; इसके बजाय उन्होंने इसे गुजरात में स्थापित किया. 2015-16 के अपने बजट में, उन्होंने तिरुवनंतपुरम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग को राष्ट्रीय दिव्यांगता अध्ययन विश्वविद्यालय में उन्नत करने के मेरे अनुरोध को स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया. संसद में इस गंभीर प्रतिबद्धता के बावजूद, उन्होंने ऐसा विश्वविद्यालय उत्तर-पूर्व में स्थापित करने का निर्णय लिया.”

उन्होंने कहा, “तीन टूटे वादों के बाद, बल्लेबाजी औसत शून्य है, जो स्पष्ट रूप से उनके ‘शानदार’ प्रदर्शन का विचार है? कोई भी केरलवासी भाजपा के किसी भी वादे पर भरोसा क्यों करेगा?” थरूर ने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि क्यों मोदी की भाजपा की दक्षिण में कोई अपील नहीं है.

उन्होंने कहा, “हमारा इतिहास भी अलग रहा है: उदाहरण के लिए, केरल ने सहस्राब्दियों से यहां हर धर्म के अनुयायियों का स्वागत किया है, और सभी शांति से आए हैं, तलवार के बल पर नहीं. इसलिए भाजपा उत्तर में जो बातें दोहराती है – सांप्रदायिकता, धार्मिक विभाजन, इतिहास के बारे में बातें, सामाजिक विभाजन – यहां कारगर साबित नहीं होतीं.” भाजपा द्वारा विपक्ष पर उत्तर-दक्षिण विभाजन पैदा करने का आरोप लगाए जाने के संदर्भ में थरूर ने कहा कि अगर कोई तथाकथित उत्तर-दक्षिण विभाजन सहित सांप्रदायिक, भाषाई या क्षेत्रीय मुद्दों पर देश को विभाजित कर रहा है, तो वह भाजपा है.

उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार को अधिक धनराशि देने का उनका अहंकार और गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों को वित्तीय सहायता नहीं देने से बड़ी चिंता पैदा हो गई है. यदि यह सरकार किसी तरह से दोबारा सत्ता में आती है, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं है, तो इस बात का वास्तविक डर है कि 2026 में 91वें संशोधन की समाप्ति के बाद वे दक्षिण को कैसे संभालेंगे, और वे हिंदी पट्टी के लिए लोकसभा सीटें बढ़ाने की अपनी परियोजना शुरू करेंगे.”

थरूर ने कहा, “जब दक्षिण उनसे सवाल करता है कि क्या उसे मानव विकास और परिवार नियोजन में अच्छा काम करने के लिए दंडित किया जा रहा है, तो क्या उनके पास कोई समझदार नीतिगत प्रतिक्रिया है? पूर्ण सत्ता की अपनी तलाश में, क्या वे निर्वाचन क्षेत्रों को विभाजित करके खुद को दो-तिहाई बहुमत देंगे, और दक्षिण को अशक्त महसूस करते हुए छोड़ देंगे?”

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