खुली जेल स्थापित करना जेलों में भीड़ कम करने का समाधान हो सकता है: उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि खुली जेल स्थापित करना जेलों में भीड़भाड़ कम करने का समाधान हो सकता है और इससे कैदियों के पुनर्वास के मुद्दे का भी समाधान हो सकता है. अर्ध-खुली या खुली जेल प्रणाली के तहत दोषियों को दिन के दौरान परिसर के बाहर आजीविका कमाने और शाम को वापस लौटने की अनुमति होती है. इस अवधारणा को दोषियों को समाज में आत्मसात करने और उनके मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिए लाया गया था क्योंकि उन्हें बाहर सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
जेलों और कैदियों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वह देश भर में खुली जेलों की मौजूदगी का विस्तार करना चाहती है. पीठ ने कहा, “जेलों में भीड़भाड़ की समस्या का एक समाधान खुली हवा वाली जेलों/शिविरों की स्थापना करना हो सकता है. उक्त प्रणाली राजस्थान राज्य में कुशलतापूर्वक काम कर रही है. जेल में भीड़भाड़ की समस्या के समाधान के अलावा, यह कैदियों के पुनर्वास के मुद्दे का भी समाधान करती है.” इसने स्पष्ट किया कि वह जेलों और जेल सुधारों से संबंधित मुद्दों पर नहीं जाएगी जो पहले से ही कुछ अन्य याचिकाओं में उसकी समन्वय पीठों के समक्ष लंबित हैं.
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि उसने खुली जेलों पर सभी राज्यों से प्रतिक्रिया मांगी थी और उनमें से 24 ने जवाब दिया है. इस मामले में न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि दोषियों को इस बारे में सूचित नहीं किया जाता कि उन्हें कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अपीलीय अदालत से संपर्क करने का अधिकार है. पीठ ने कहा कि अगर पूरे देश में एक समान ‘ई-प्रिजन मॉड्यूल’ हो तो इनमें से कई चीजों को सुलझाया जा सकता है. उसने कहा कि व्यापक जेल प्रबंधन प्रणाली ‘ई-प्रिजन मॉड्यूल’ के मुद्दे को एक समन्वय पीठ द्वारा निपटाया जा रहा है.
पीठ ने कहा, ”हम इस कार्यवाही में खुली जेलों के मुद्दे पर भी विचार करेंगे. हम इसका विस्तार करने और यह सुनिश्चित करने की योजना बना रहे हैं कि खुली जेलों की इस प्रणाली को पूरे देश में अपनाया जाए.” न्यायालय ने वकील के. परमेश्वर से हंसारिया के साथ न्याय मित्र के रूप में सहायता करने का अनुरोध किया. इसने नालसा की ओर से पेश वकील से भी मामले में अदालत की सहायता करने का अनुरोध किया और सुनवाई 16 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी.