शिवकुमार ने धर्मांतरण-रोधी अध्यादेश पर कर्नाटक सरकार से किया सवाल-‘क्या यह रोजगार पैदा करेगा’

बेंगलुरु. अध्यादेश के जरिए धर्मांतरण-रोधी कानून को प्रभावी करने की भाजपा सरकार की ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के प्रमुख डी. के. शिवकुमार ने उस पर विधानसभा में चर्चा की प्रक्रिया की उपेक्षा करने का बुधवार को आरोप लगाया.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह रोजगार पैदा करेगा? और क्या इसका इस्तेमाल अलप्संख्यकों का उत्पीड़न करने के हथकंडे के तौर पर किया जाएगा?’’

शिवकुमार ने सवाल किया, ‘‘विधानसभा और विधानपरिषद में चर्चा नहीं कराते हुए अध्यादेश के जरिये धर्मांतरण रोधी कानून लाने की क्या जल्दबाजी थी.’’ कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मंगलवार को कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण अध्यादेश (धर्मांतरण-रोधी अध्यादेश) को मंजूरी दे दी, जिसके बाद राज्य सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया.

पिछले हफ्ते राज्य मंत्रिमंडल ने गैरकानूनी धर्मांतरण के खिलाफ विवादास्पद कानून को प्रभावी करने के लिए एक अध्यादेश लाने का फैसला किया था. कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक को पिछले साल दिसंबर में विधानसभा ने पारित कर दिया था. हालांकि, यह विधानपरिषद में लंबित है, जहां भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं है.

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