‘एअर इंडिया’ बम विस्फोट मामले में बरी किए गए सिख व्यक्ति की संभावित लक्षित गोलीबारी में मौत

टोरंटो. एअर इंडिया कनिष्क आतंकवादी बम विस्फोट मामले में बरी किए गए 75 वर्षीय सिख व्यक्ति की बृहस्पतिवार को कथित लक्षित गोलीबारी में मौत हो गई. कनाडा की पुलिस का कहना है कि वह अब भी हमले के पीछे के कारण का पता लगाने की कोशिश कर रही है. अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी में मारे गए रिपुदमन सिंह मलिक और अजैब सिंह बागरी को एअर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट मामले में मार्च 2005 में अदालत ने बरी कर दिया था.

गौरतलब है कि वैंकूवर के हवाई अड्डे पर एक विमान में सूटकेस में बम ले जाया गया था, जिसे फिर टोरंटो में एअर इंडिया विमान-182 में पहुंचाया गया. विमान 23 जून, 1985 को आयरलैंड तट पर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 24 भारतीयों सहित 329 लोग मारे गए थे. एक अन्य बम को भी एअर इंडिया के जापान जाने वाले विमान में लगाए जाने का षड्यंत्र रचा गया था, लेकिन वह तोक्यो के नरिता हवई अड्डे पर फट गया था. इसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी.

‘सीबीसी’ की एक खबर के अनुसार, सर्रे में गोलीबारी के एक चश्मदीद ने बताया, ‘‘उसने तीन गोलियां चलने की आवाज सुनी और फिर मलिक को उनकी लाल टेस्ला कार से बाहर निकाला. मलिक की गर्दन पर गोली लगने का निशान था.’’ अन्य एक चश्मदीद ने बताया कि एक कोरोबारी ने मलिक की पहचान की. सर्रे रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने कहा, ‘‘ एक व्यक्ति को सुबह करीब साढ़े नौ बजे गोलियां मारी गईं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. ’’ उन्होंने कहा कि यह लक्षित गोलीबारी प्रतीत होती है और वह अभी मृतक की नाम जारी नहीं कर रहे हैं.

खबर के अनुसार, पुलिस ने बताया कि उन्होंने ‘‘संदिग्ध वाहन’’ का पता लगा लिया है, जो ‘‘जलकर खाक हो चुका है.’’ ‘एबीसी’ की एक खबर के अनुसार, पुलिस ने शुरुआत में मृतक की पहचान उजागर नहीं की थी, लेकिन मलिक के बेटे जसप्रीत मलिक के सोशल मीडिया पर पिता की मौत की जानकारी देने के बाद उन्होंने पहचान उजागर की.

खबर के अनुसार, मलिक के बेटे ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘ मीडिया उन्हें हमेशा एअर इंडिया बम विस्फोट का एक आरोपी मानेगी. मीडिया और आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) कभी अदालत का फैसला स्वीकार नहीं करेगी. मैं दुआ करता हूं कि आज की इस वारदात का उससे कोई लेना-देना ना हो.’’ ‘इंटिग्रेटिड होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम’ ने एक बयान में कहा, ‘‘ हम मलिक के इतिहास से वाकिफ हैं, हालांकि हम अब भी हमले का मकसद पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि गोलीबारी लक्षित प्रतीत होती है और आमजन को कोई खतरा नहीं है.’’

सीबीसी’ की एक खबर के अनुसार, मलिक की मौत की खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. एक ओर मलिक के दोस्तों का कहना है कि ‘‘सिख समुदाय ने अपना एक नायक खो दिया’’, वहीं ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर उज्ज्वल दोसांझ ने कहा कि वह एक विवादित शख्सियत थे.

खबर के अनुसार, दोसांझ ने कहा, ‘‘ एक और पेचीदा तथ्य यह है कि वह हाल में भारत गए थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनकी नीतियों के पक्ष में एक पत्र लिखा था….मुझे लगता है कि इसका समुदाय के भीतर असर पड़ा होगा.’’ ‘सीबीसी’ की खबर के अनुसार, मलिक पिछले कुछ वर्षों से खालसा स्कूल के अध्यक्ष थे और सर्रे एवं वैंकूवर में दो निजी स्कूल चला रहे थे. वह वैंकूवर स्थित खालसा क्रेडिट यूनियन (केसीयू) के अध्यक्ष भी थे, जिसके 16,000 से अधिक सदस्य हैं.

‘एअर इंडिया’ बम विस्फोट मामले में केवल इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया था और उसने 30 साल जेल में भी बिताए. वह 2016 में रिहा गया था. इस हमले के पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि 1984 में स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई का बदला लेने के उन्होंने यह हमला किया.

विवादों में रहे सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक के कई दुश्मन थे

सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक को जानने वाले लोगों ने कहा है कि वह एक ‘‘अतिवादी योद्धा’’ थे जिनके कई दुश्मन थे और वह आजीवन विभिन्न निजी विवादों में घिरे रहे. मलिक (75) की बृहस्पतिवार को ब्रिटिश कोलंबिया में उनकी कार के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई.

रॉयल कनाडियन माउंटेन पुलिस (आरसीएमपी) के सेवानिवृत्त उपायुक्त गैरी बास ने मलिक की हत्या पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हत्या के पीछे कई मकसद हो सकते हैं.’’ बास 1985 के एअर इंडिया बम विस्फोट में आतंकवाद मामले की जांच के प्रभारी थे.

बास ने अखबार ‘टोरंटो सन’ से कहा, ‘‘मैं अभी मलिक से संबंधित जांच के बारे में नहीं जानता, लेकिन इतना कह सकता हूं कि जब मैं कार्यरत था कि वह कई गतिविधियों में शामिल रहे, जिसकी वजह से अन्य लोगों के साथ उनका टकराव हुआ होगा.’’ जांच अधिकारी यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि मलिक की किसने हत्या की. मलिक का नाम बम विस्फोट मामले में संदिग्ध के तौर पर आया था. वह खालसा क्रेडिट यूनियन और खालसा स्कूल के संस्थापक भी थे.

मलिक हाल में गुरु ग्रंथ साहिब को भारत के बाहर छापने के संबंध में धार्मिक आदेश का उल्लंघन करने को लेकर विवादों में रहे थे. हालांकि, कई सूत्रों ने यह भी कहा कि मलिक का पिछले कुछ वर्षों से कई लोगों के साथ विवाद चल रहा था. मार्च 2005 में, मलिक और बब्बर खालसा के उनके सहयोगी अजैब सिंह बागरी को ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कनाडा के सबसे भीषण आतंकी हमले में हत्या और साजिश के आरोपों से बरी कर दिया था.

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कार्रवाई के प्रतिशोध में विस्फोट की साजिश रची गई थी, जिसमें सैकड़ों सिख तीर्थयात्री मारे गए थे.
मलिक और बागरी पर ब्रिटिश कोलंबिया के चरमपंथियों के एक छोटे समूह की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगा था, जिन्होंने वैंकूवर हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली दो उड़ानों में सूटकेस में बम रखे थे.

वैंकूवर के हवाई अड्डे पर एक विमान में सूटकेस में बम ले जाया गया था, जिसे फिर टोरंटो में एअर इंडिया विमान-182 में पहुंचाया गया. विमान 23 जून, 1985 को आयरलैंड तट पर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 24 भारतीयों सहित 329 लोग मारे गए थे. एक अन्य बम को भी एअर इंडिया के जापान जाने वाले विमान में लगाए जाने का षड्यंत्र रचा गया था, लेकिन उसमें तोक्यो के नरिता हवाईअड्डे पर विस्फोट हो गया था. इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button