सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे में मोदी को एसआईटी की क्लीन चिट का सही ठहराया
नयी दिल्ली/अहमदाबाद. उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. न्यायालय ने इसके साथ ही कहा कि इन आरोपों के समर्थन में पुख्ता तथ्य उपलब्ध नहीं हैं कि 2002 के गोधरा दंगों को गुजरात में सर्वोच्च स्तर पर रची गई आपराधिक साजिश के कारण पूर्व-नियोजित घटना कहा जाए.
यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की एक पीठ ने मामले को दोबारा शुरू करने के सभी रास्ते बंद करते हुए कहा कि जांच के दौरान एकत्रित की गई सामग्री से मुसलमानों के खिलाफ सामूहिक हिंसा भड़काने के लिए ‘‘सर्वोच्च स्तर पर आपराधिक षड्यंत्र रचने संबंधी कोई संदेह उत्पन्न नहीं होता है.’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में कार्यवाही 2006 से चल रही है ताकि ‘‘गुप्त उद्देश्य के लिए मामला को गरमाये रखा जा सके.’’ अदालत ने कहा कि जो प्रक्रिया का इस तरह से गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कटघरे में खड़ा करके उनके खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई की जानी चाहिए.’’ पीठ ने 452 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा, ‘‘अपीलकर्ता की दलील का समर्थन करने के लिए तथ्य उपलब्ध नहीं हैं. इन दलीलों के समर्थन में कोई मूर्त सामग्री उपलब्ध नहीं है कि 27 फरवरी, 2002 की गोधरा घटना और इसके बाद की घटनाएं, राज्य में उच्चतम स्तर पर रची गयी आपराधिक साजिश के तहत पूर्व नियोजित घटना थीं.’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘ हम मामले की जांच के सिलसिले में कानून के उल्लंघन और अंतिम रिपोर्ट को लेकर मजिस्ट्रेट तथा उच्च न्यायालय के रुख के खिलाफ अपीलकर्ता के प्रतिवेदन से सहमत नहीं हैं.’’ जकिया जाफरी ने एसआईटी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी सहित 64 लोगों को मामले में दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी.
शीर्ष अदालत ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में विशेष जांच दल (एसआईटी) के ‘‘अथक प्रयासों’’ के लिए उसकी सराहना की और कहा कि उसने बेहतरीन काम किया है. पीठ ने कहा कि एसआईटी की जांच में कोई दोष नहीं पाया जा सकता और मामले को बंद करने से संबंधित उसकी आठ फरवरी 2012 की रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है.
पीठ ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करने और उसके खिलाफ दाखिल जाकिया की याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा. जकिया ने उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘हम मामले की जांच के सिलसिले में कानून के उल्लंघन और अंतिम रिपोर्ट को लेकर मजिस्ट्रेट तथा उच्च न्यायालय के रुख के खिलाफ अपीलकर्ता के प्रतिवेदन से सहमत नहीं हैं.’’ कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 1044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे.
इस संबंध में विवरण देते हुए, केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा को सूचित किया था कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिंदू और 790 मुस्लिम मारे गए थे. शीर्ष अदालत ने कहा कि एसआईटी ने आरोप खारिज करने के लिए राय बनाने से पहले अधिकारियों सहित सभी संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए थे, जैसा कि अंतिम रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है.
इसने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक समुदाय को लक्षित करके राज्य भर में सामूहिक हिंसा का कारण बनने के लिए आपराधिक साजिश रचने में नामित व्यक्तियों की संलिप्तता को लेकर स्पष्ट और प्रत्यक्ष सामग्री का अभाव है.’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘अंतत: यह हमें प्रतीत होता है कि गुजरात सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों का एक संयुक्त प्रयास (इस प्रकार के) खुलासे करके सनसनी पैदा करना था, जबकि उनकी जानकारी झूठ पर आधारित थी.
न्यायालय ने कहा, ‘‘तदनुसार, हमें अपील में कोई दम नजर नहीं आता और हम इसे खारिज करते हैं.’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य प्रशासन के एक वर्ग के कुछ अधिकारियों की निष्क्रियता या विफलता राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा पूर्व नियोजित आपराधिक साजिश का अनुमान लगाने या इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ राज्य द्वारा प्रायोजित अपराध (हिंसा) के रूप में घोषित करने का आधार नहीं हो सकता है.
शीर्ष अदालत ने जकिया की याचिका पर पिछले साल नौ दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एसआईटी ने कहा था कि जकिया के अलावा किसी ने भी 2002 दंगे मामले में हुई जांच पर ‘‘सवाल नहीं उठाए’’ हैं. इससे पहले जकिया के वकील ने कहा था कि 2006 मामले में उनकी शिकायत है कि ‘‘एक बड़ी साजिश रची गई, जिसमें नौकरशाही की निष्क्रियता और पुलिस की मिलीभगत थी और अभद्र भाषा एवं हिंसा को बढ़ावा दिया गया.’’
गुजरात दंगा मामले में प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट पर भाजपा ने कहा: ‘सत्यमेव जयते’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने उच्चतम न्यायालय द्वारा 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किए जाने पर शुक्रवार को इसे ‘‘सत्य की जीत’’ करार दिया.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘‘सत्यमेव जयते! भारत के उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुई हिंसा पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी गई है और क्लीन चिट दी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिका में दम नहीं है.’’ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अदालत के फैसले पर ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते.’’ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी ‘‘सत्यमेव जयते’’ ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्या कुमार ने दावा किया कि मोदी की छवि को धूमिल करने का कांग्रेस का आखिरी प्रयास भी औंधे मुंह गिर गया और न्याय की जीत हुई.
एहसान जाफरी के बेटे ने कहा, उच्चतम न्यायालय के निर्णय से निराशा हूं
कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने शुक्रवार को कहा वह 2002 में हुए गुजरात दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की तरफ से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ याचिका खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय से निराश हैं. दंगों के दौरान एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी. एहसान की पत्नी जकिया ने मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देने वाली विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी.
तनवीर जाफरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”मैं अदालत के निर्णय से निराश हूं. चूंकि मैं देश से बाहर हूं, इसलिये निर्णय का अध्ययन करने के बाद मैं विस्तृत बयान दूंगा.” तनवीर के वकील के अनुसार तनवीर फिलहाल हज यात्रा के लिए मक्का में हैं जबकि जकिया अपनी बेटी के साथ अमेरिका में हैं.