छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र, पहले दिन दिवंगत नेताओं को दी गई श्रद्धांजलि

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को कांग्रेस विधायक और राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी सहित दो नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई. बृहस्पतिवार की सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष चरणदास महंत ने विधायक मंडावी और पूर्व विधायक दीपक पटेल के निधन का उल्लेख किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

विधानसभा अध्यक्ष महंत ने कहा कि मंडावी के निधन से राज्य ने एक वरिष्ठ राजनेता, जनजातियों का जन नेता और सामाजिक कार्यकर्ता खो दिया है. भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व करने वाले 58 वर्षीय वरिष्ठ जनजातीय नेता मंडावी का 16 अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.

महंत ने पूर्व विधायक दीपक पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राज्य की मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट से वर्ष 2008 में विधायक चुने गए पटेल एक अनुभवी और कुशल राजनेता थे. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विपक्ष के नेता नारायण चंदेल, स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और अन्य सदस्यों ने भी दोनों नेताओं को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया.
बघेल ने कहा कि मंडावी जनजाति समुदाय से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाते थे और हमेशा जानजाति समुदाय की प्रगति और अपने क्षेत्र के विकास के लिए प्रयासरत रहते थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका काम, व्यक्तित्व और विचार हमेशा जीवित रहेंगे. भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि ‘सनातन धर्म’ में मंडावी की आस्था और धार्मिक कार्यों में रुचि उन्हें विरासत में मिली थी, राजनीतिक कारणों से नहीं. चंद्राकर ने कहा, ”उनके पिता भारतीय जनसंघ के विधायक थे. वह (मंडावी) कहा करते थे कि वह कुछ स्थानीय कारणों से कांग्रेस में शामिल हुए थे. राज्य विधानसभा (मौजूदा कांग्रेस सरकार में) का उपाध्यक्ष बनाए जाने से पहले उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें कैबिनेट मंत्री इसलिए नहीं बनाया गया, क्योंकि वह सीधे-सादे व्यक्ति हैं.” श्रद्धांजलि के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित दी गई.

छत्तीसगढ़ में विभिन्न वर्गों को आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. इस सत्र में राज्य सरकार आरक्षण से संबंधित दो विधेयकों को पेश करेगी. राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक विधेयकों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए चार फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है.

विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो जाएगा. राज्य में आरक्षण का मुद्दा तब उठा जब छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गत सितंबर महीने में वर्ष 2012 में जारी राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाने के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है. इस फैसले के बाद राज्य में जनजातियों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है. राज्य में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या जनजातियों की है.

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