विद्यार्थी जोखिम उठाएं, नवाचार करें और अपने जीवन को एक साहसिक यात्रा बनाएं: मनोज सिन्हा

भिलाई. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जोखिम लें, नवाचार करें और अपनी जिंदगी को एक साहसिक यात्रा बनाएं. सिन्हा ने छत्तीसग­ढ़ के दुर्ग जिले में भिलाई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पांचवें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, ”आप (स्नातक होने वाले छात्र) ऐसे समय में पेशेवर दुनिया में कदम रख रहे हैं जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से ब­ढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वर्ष 2027 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं.” सिन्हा ने कहा कि भारत ने व्यापार शुल्क और विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक कौशल की कमी (स्किल गैप) जैसी चुनौतियों के बावजूद सफलतापूर्वक एक गतिशील प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है. उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे तेजी से ब­ढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने अपनी स्थिति को मजबूत करना जारी रखा है.

उन्होंने कहा कि कई देश विनिर्माण में मंदी का सामना कर रहे हैं, लेकिन भारत का विनिर्माण क्षेत्र ब­ढ़ रहा है और इस साल जुलाई तक औद्योगिक उत्पादन में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सिन्हा ने कहा कि तकनीक क्षेत्र अब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग आठ प्रतिशत का योगदान देता है, जिससे वित्तीय वर्ष 2024-25 में 280 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ. सिन्हा ने कहा कि भारत में विविध प्रकार की प्रतिभा का भंडार इसकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक है, जिसमें ‘हायरिंग डाइर्विसटी रेट’ 67 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 47 प्रतिशत से अधिक है.

उन्होंने कहा, ” गैर मेट्रो शहरों में, इस साल लोगों को नौकरी देने में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. व्यापार शुल्क और कई क्षेत्रों में आवश्यक कौशल की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद, भारत एक गतिशील प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सफल रहा है.” सिन्हा ने कहा कि ‘एआई इंडिया मिशन’ ने देश के नवाचार संबंधी पारिस्थितिकी तंत्र में नई ऊर्जा भरी है और इसका लक्ष्य 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 1.7 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देना है.

उन्होंने कहा, ”भारत में काम कर रहे कुल वैश्विक क्षमता केंद्रों में से 500 कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन र्लिनंग पर काम कर रहे हैं. अपने सात स्तंभों के माध्यम से एआई मिशन कृषि, स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन और शासन क्षेत्रों में क्रांति लाएगा.” सिन्हा ने कहा कि ये सभी आंकड़े साबित करते हैं कि यह स्नातक होने वाले छात्रों के लिए एक सुनहरा दौर है. नवाचार की गति पर जोर देते हुए सिन्हा ने कहा कि दुनिया भर में हर दिन लगभग 16 हजार नवाचार दर्ज किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ”कृत्रिम मेधा, नवीकरणीय ऊर्जा, जैवप्रौद्योगिकी, चिकित्सा प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्र युवा अभियंताओं के लिए असीमित मौके पैदा कर रहे हैं.” सिन्हा ने कहा कि एआई सबसे तेजी से विकास करने वाले क्षेत्र में से एक बन गया है, जिसमें पेटेंट फाइलिंग सालाना 12 प्रतिशत ब­ढ़ रही है और विशेषज्ञ की मांग हर साल 20 प्रतिशत ब­ढ़ रही है.

उन्होंने कहा, ”एआई के पारंपरिक इंजीनियरिंग के साथ एकीकरण के कारण जेनरेटिव डिजाइन और प्रोडक्टिव मेंटेनेंस पेशेवर की भविष्य में मांग काफी ब­ढ़ जाएगी.” उपराज्यपाल ने कहा, ”हरित और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र भी जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) की चुनौतियों के बीच नए अवसर सृजित कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि 2030 तक दुनिया भर में ऊर्जा तंत्र से जुड़े 125 लाख इंजीनियरों की जरूरत होगी.” विद्यार्थियों से बड़े लक्ष्य रखने और असफल होने से ना डरने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, ”साधारण लक्ष्य साधारण लोगों के लिए होते हैं. आप असाधारण हैं, जोखिम लें, नवाचार करें और अपनी जिंदगी को एक साहसिक यात्रा बनाएं. जब आप नए रास्ते अपनाएंगे, तो आप नवाचार करेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे.” अदाणी सीमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोद बाहेती विशेष अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में मौजूद थे.
आईआईटी-भिलाई के अधिकारियों ने बताया कि इस समारोह में 2025 में स्नातक हुए 269 छात्रों को डिग्री दी गईं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button