सुनक ने प्रधानमंत्री आवास के दिवाली उत्सवों को याद किया

चुनाव में करारी हार के बीच पहले ब्रिटिश भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक की विरासत सुरक्षित

लंदन. ब्रिटेन के निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने शुक्रवार को कहा कि आम चुनाव में अपनी पार्टी की हार की “जिम्मेदारी” लेते हुए वह कंजर्वेटिव पार्टी के नेता का पद छोड़ देंगे. इसके साथ ही सुनक ने उन दिवाली उत्सवों को याद किया जो उन्होंने भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आवास) पर अपने परिवार के साथ मनाए थे.

सुनक (44) का कार्यकाल करीब 20 महीना रहा और प्रधानमंत्री के रूप में अपने विदाई भाषण में वह भावुक हो गए. उन्होंने मतदाताओं से माफी मांगी लेकिन जोर दिया कि उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री पूरे समर्पण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. उन्होंने अपनी पार्टी के सहयोगियों से भी माफी मांगी जो चुनाव में हार गए.

सुनक ने कहा, ”सबसे पहले मैं यह कहना चाहूंगा कि मुझे खेद है. मैंने इस पद पर पूरी ईमानदारी से काम किया, लेकिन आपने स्पष्ट संकेत दे दिया कि ब्रिटेन की सरकार को बदलना होगा.” इस दौरान सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति भी मौजूद थीं. उन्होंने कहा, ”आपका फैसला ही मायने रखता है. मैंने आपका गुस्सा, आपकी निराशा सुनी है, और मैं इस हार की जिम्मेदारी लेता हूं… इस नतीजे के बाद, मैं पार्टी नेता का पद छोड़ दूंगा, तुरंत नहीं, मेरे उत्तराधिकारी के चयन की औपचारिकता पूरी होने के बाद.” निवर्तमान प्रधानमंत्री ने संसद में नए विपक्ष की “अहम भूमिका” संभालने के लिए अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर आवश्यक फेरबदल पर जोर दिया.

सुनक ने अपने कार्यकाल के दौरान अपनी कुछ प्रमुख उपलब्धियों की भी चर्चा की जिनमें महंगाई में गिरावट और ब्रिटेन को “मजबूत और अधिक सुरक्षित” बनाना शामिल है. उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का स्वागत किया और कहा, ”सर कीर स्टार्मर मेरे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, वह जल्दी ही हमारे प्रधानमंत्री बन जाएंगे. इस पद पर, उनकी सफलताएं हम सभी की सफलताएं होंगी, और मैं उन्हें और उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं.” उन्होंने अपने भाषण का समापन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ही अपनी टीम के प्रति आभार जताते हुए किया, जिन्होंने त्याग किया और वह देश की सेवा कर सके.

सुनक ने कहा, “ब्रिटेन के बारे में सबसे उल्लेखनीय चीजों में से एक यह है कि यह कितना असाधारण है कि मेरे दादा-दादी बहुत कम जमा पूंजी के साथ यहां आए और दो पीढि.यों बाद मैं प्रधानमंत्री बन सका… और मैं अपनी दो छोटी बेटियों को डाउनिंग स्ट्रीट की सीढि.यों पर दिवाली की मोमबत्तियां जलाते हुए देख सका.” उन्होंने कहा, ”हमें इस विचार पर कायम रहना चाहिए कि हम कौन हैं. दयालुता, शालीनता और सहिष्णुता का वह दृष्टिकोण जो हमेशा ब्रिटेन की मूल भावना रहा है. यह एक मुश्किल दिन है, कई मुश्किल दिनों के अंत में. यह दुनिया का सबसे अच्छा देश है और यह पूरी तरह से आप, ब्रिटिश लोगों के कारण है, जो हमारी सभी उपलब्धियों, हमारी ताकत और हमारी महानता के सच्चे स्रोत हैं.”

चुनाव में करारी हार के बीच पहले ब्रिटिश भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक की विरासत सुरक्षित
ऋषि सुनक ने शुक्रवार को कंजर्वेटिव पार्टी की करारी हार के बीच पराजय स्वीकार कर ली लेकिन उनके लिए राहत देने वाली बात यह हो सकती है कि भारतीय पहचान वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत सुरक्षित है. सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को 14 साल के शासन के बाद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है. इसके साथ ही पार्टी में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शपथ लेने के 20 महीने बाद सुनक प्रधानमंत्री के पद से अपदस्थ हो गए हैं.

आम चुनाव में अपनी रिचमंड और नॉर्थहेलर्टन सीट जीतने के बाद अपने भाषण के दौरान सुनक ने कहा, “ब्रिटिश लोगों ने एक स्पष्ट फैसला सुनाया है और इससे बहुत कुछ सीखने एवं देखने को मिलता है.” टोरी नेता ने कहा, ”मैं हार की जिम्मेदारी लेता हूं. कई अच्छे, मेहनती कंजर्वेटिव उम्मीदवार अपने अथक प्रयासों, अपने स्थानीय रिकॉर्ड और अपने समुदायों के प्रति समर्पण के बावजूद हार गए हैं. इसका मुझे दुख है.” ब्रेक्जिट और कोविड महामारी के चलते कई झटकों का सामना करने वाली कंजर्वेटिव पार्टी के उथल-पुथल भरे रहे 14 साल के शासन के दौरान नेताओं की एक लंबी कतार के अंत में 44 वर्षीय सुनक को प्रधानमंत्री पद मिला था.

भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने से पहले सुनक भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश वित्त मंत्री भी थे जिन्होंने घबराई हुई जनता को उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में आश्वस्त करने के लिए असंभव कार्य की ओर कदम बढ.ाया. उस दौरान तत्काल प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का नाम पार्टीगेट स्कैंडल में सामने आया था जिससे वह अलोकप्रिय हो गए थे. कोविड रोधी लॉकडाउन के समय संबंधित नियमों का उल्लंघन कर बोरिस जॉनसन के घर पार्टी की गई थी जिसे पार्टीगेट स्कैंडल के नाम से जाना जाता है.

सुनक को अक्टूबर 2022 में दीपावली के दिन कंजर्वेटिव पार्टी का नेता चुना गया था. तब उन्होंने 210 साल में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री और देश के पहले अश्वेत नेता के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट में प्रवेश किया था. प्रधानमंत्री के रूप में 10 डाउनिंग स्ट्रीट के द्वार पर अपने पहले संबोधन में सुनक ने देश की समस्याओं को “करुणा” के साथ देखने और “आर्थिक स्थिरता एवं विश्वास को अपनी सरकार के प्रमुख एजेंडे के रूप में रखने” का संकल्प किया था. उन्होंने पूर्ववर्ती लिज. ट्रस के नुकसानदेह साबित हुए मिनी-बजट के कारण बढ.ती महंगाई के बीच विशेष रूप से अस्थिर अवधि में कार्यभार संभाला था.

हालांकि, वह महंगाई कम करने के अपने उद्देश्य में सफल रहे, लेकिन आतंरिक रूप से अत्यधिक विभाजित उनकी पार्टी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की व्यापक भावना और तेज हो गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सुनक दोनों ने एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हासिल करने की दिशा में काम किया, लेकिन 14वें दौर में बातचीत रुक गई क्योंकि दोनों नेता अपने-अपने देशों में आम चुनाव की तैयारियों में लग गए.

सुनक ने पिछले साल सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा के बाद ब्रिटिश संसद में कहा था, ”मैंने हमारे देशों के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी और मुक्त व्यापार समझौते के क्षेत्र में हमारे संबंधों को मजबूत करने पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ सार्थक और उपयोगी चर्चा की.” साउथेम्प्टन में जन्मे सुनक के माता-पिता-सेवानिवृत्त डॉक्टर यशवीर और फार्मासिस्ट उषा सुनक भारतीय मूल के हैं, जो 1960 के दशक में केन्या से ब्रिटेन पहुंचे थे.

उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति तथा शिक्षिका, लेखिका एवं वर्तमान में भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य सुधा मूर्ति की बेटी हैं. सुनक जब स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में छात्र थे तब उनकी मुलाकात अक्षता से हुई थी. वह 2015 में यॉर्कशायर के रिचमंड से संसद सदस्य चुने गए. सुनक और अक्षता के बीच संबंधों की मजबूत भावना गत सप्ताहांत तब दिखी जब धर्मनिष्ठ हिंदू दंपति ने उत्तरी लंदन के नेसडेन स्थित प्रतिष्ठित बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर का दौरा किया.

सुनक ने कहा, “यह धर्म है जो सार्वजनिक सेवा के प्रति मेरे दृष्टिकोण में मेरा मार्गदर्शन करता है.” उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि उन्हें पहला ब्रिटिश भारतीय प्रधानमंत्री होने पर गर्व है, लेकिन उन्हें “इससे भी अधिक गर्व यह है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है”. तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्रिटेन दुनिया का सबसे सफल बहु-जातीय, बहु-आस्था वाला लोकतंत्र है.” ब्रिटेन में आम चुनाव के लिए कल चार जुलाई को मतदान हुआ था. इसमें लेबर पार्टी ने बहुमत हासिल कर लिया है जबकि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को अब तक की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा है.

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