उच्चतम न्यायालय लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर मई में करेगा सुनवाई

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा की उस याचिका पर मई में सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती दी है. उनकी याचिका न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी. मोइत्रा की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनका इस मामले में लोकसभा महासचिव द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का इरादा नहीं है.

पीठ ने कहा, ”छह मई से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन की सूची बनाएं. याचिकाकर्ता (मोइत्रा) के वकील का कहना है कि उनका प्रत्युत्तर दाखिल करने का इरादा नहीं है.” शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को निष्कासन को चुनौती देने वाली मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा महासचिव से जवाब मांगा था.

पीठ ने उनके अंतरिम अनुरोध पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने अदालत से लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. लेकिन न्यायालय ने यह कहते हुए कि इसकी अनुमति नहीं दी कि यह उन्हें मुख्य राहत देने के समान होगा. शीर्ष अदालत ने लोकसभा अध्यक्ष और सदन की आचार समिति को नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया था. मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों को प्रतिवादी बनाया था.

पिछले साल आठ दिसंबर को आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में तीखी बहस के बाद, जिस दौरान मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी, संसदीय कार्य मंत्री प्र”ाद जोशी ने ‘अनैतिक आचरण’ के लिए टीएमसी सांसद को सदन से निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.

जोशी ने कहा था कि आचार समिति ने मोइत्रा को ‘अनैतिक आचरण’ और सदन की अवमानना ??का दोषी पाया क्योंकि उन्होंने लोकसभा सदस्यों के लिए बने पोर्टल की जानकारी (उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड) अनधिकृत लोगों के साथ साझा किए थे, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा था.

समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मोइत्रा के ‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण’ को देखते हुए सरकार द्वारा तय समय सीमा के साथ एक गहन कानूनी और संस्थागत जांच शुरू की जाए. जोशी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अशोभनीय पाया गया क्योंकि उन्होंने एक व्यवसायी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उससे उपहार और अवैध लाभी स्वीकार किये जो कि बहुत निंदनीय कृत्य है.

इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ दायर शिकायत पर समिति की रिपोर्ट पेश की थी. दुबे ने पिछले साल अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता जय अनंत देहद्रई द्वारा प्रस्तुत एक शिकायत के आधार पर आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे थे. हीरानंदानी ने 19 अक्टूबर, 2023 को आचार समिति को सौंपे गये अपने हलफनामें में दावा किया था कि मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यों से जुड़ी वेबसाइट से संबंधित अपने लॉगइन आईडी और पासवर्ड की जानकारी उनसे साझा की थी.

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