तस्करी मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ स्वप्ना सुरेश के आरोपों से मचा सियासी बवाल

पलक्कड़. सोने की तस्करी के सनसनीखेज मामले में एक प्रमुख आरोपी स्वप्ना सुरेश के चौंकाने वाले खुलासों ने केरल में बुधवार को सियासी बवाल मचा दिया. राज्य में यह घटनाक्रम किसी थ्रिलर फिल्म की पटकथा की तरह नजर आ रहा है. सुरेश ने सुबह पलक्कड़ में अपने कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उसने अपने जीवन को खतरा होने के कारण मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ आरोप लगाए हैं और इसके पीछे कोई निजी कारण या राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

सुरेश का संवाददाता सम्मेलन समाप्त होने के कुछ ही मिनट बाद, उसने एक टीवी चैनल से कहा कि उसके साथ एचआरडीएस इंडिया में काम करने वाले सरिथ पी एस को उसके (सुरेश के) घर के सामने से तीन-चार अज्ञात लोगों ने दिनदिहाड़े अगवा कर लिया. इस बीच, विपक्ष ने विजयन से इस्तीफा देने की मांग की. सुरेश ने पत्रकारों से कहा कि उसके खुलासे के बाद सरिथ का कुछ अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया. उसने आरोप लगाया कि सुबह उसकी प्रेस वार्ता के कुछ मिनट बाद ही सरिथ का अपहरण किया गया.

सुरेश ने दावा किया, ‘‘पहले आप पूछ रहे थे कि क्या खतरा है. अब यह खतरा नहीं है, बल्कि हमले शुरू हो गए हैं. एचआरडीएस इंडिया के कर्मचारी सरिथ को तीन-चार लोगों ने मेरे घर से जबरन अगवा कर लिया.’’ उसने कहा, ‘‘उन्होंने अब हमले शुरू कर दिए हैं. आप इसे सोच सकते हैं? मैंने बस जरा सी बात कही थी, मामले से जुड़ी सभी जानकारी अभी साझा भी नहीं की और वे घबरा गए हैं. यह उसी बात का संकेत है. वे इस तरह के घटिया हथकंडों के जरिए खुद ही सब कुछ स्वीकार कर रहे हैं.’’

सुरेश ने कहा, ‘‘अब आपको पता चला कि मैं, मेरा परिवार और सरिथ किस खतरे का सामना कर रहे हैं. केरल के लोगों को पता होना चाहिए कि दिनदहाड़े उनकी हत्या की जा सकती है या उन्हें अगवा किया जा सकता है.’’ इस बीच, यह बताया गया कि राज्य सतर्कता अधिकारी सोना तस्करी मामले में आरोपी सरिथ को ‘लाइफ मिशन’ परियोजना से जुड़े एक अन्य मामले में अपने साथ ले गए थे और उसे कुछ घंटों बाद सतर्कता विभाग की हिरासत से रिहा कर दिया गया.

सरिथ ने संवाददाताओं से कहा कि उसे पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया. उसने कहा कि उसे चप्पल तक नहीं पहनने दी गई और अधिकारी जबरन उसे अपने साथ ले गए. सरिथ ने आरोप लगाया कि उन्होंने उसे साथ ले जाते समय यह भी नहीं बताया कि वे कौन हैं.
उसने कहा कि सतर्कता विभाग में उससे केवल एक प्रश्न किया गया कि सुरेश ने किसके निर्देश पर आरोप लगाए हैं और ‘लाइफ मिशन’ मामले को लेकर कोई सवाल नहीं किया गया.

सरिथ ने कहा कि उसे ले जाए जाने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया और उसे केवल आज 16 जून को पेश होने के लिए नोटिस दिया गया तथा उसका फोन जब्त कर लिया गया है. सुरेश ने पत्रकारों से बात करते हुए यह भी सवाल किया कि बिना किसी पूर्व सूचना के सरिथ को कैसे ले जाया जा सकता है. उसने कहा कि उसे किसी का डर नहीं है. इससे पहले, सुरेश ने संवाददाताओं से सुबह कहा कि उसने अदालत के समक्ष आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत मामले में कथित रूप से शामिल लोगों और उनकी ‘‘संलिप्तता ’’ का खुलासा किया.

उसने कहा, ‘‘ खुद को सुरक्षित रखने के लिए मैंने अदालत के समक्ष तथ्यों के आधार पर बयान दिया. अभी मुझे और बहुत कुछ बताना है.’’ सुरेश ने कहा, ‘‘ मैं 16 महीने तक जेल में थी. मेरे बच्चों ने परेशानी झेली. मेरी नौकरी चली गई. वे मेरा शोषण कर रहे हैं, बरगला रहे हैं. अब, मैं बस जीना चाहती हूं और अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूं. कृपया मुझे यह करने दें. इसके अलावा मेरा कोई और मकसद नहीं है.’’ इसके बाद, केरल के विधायक एवं पूर्व मंत्री के टी जलील ने बुधवार को पुलिस से सुरेश द्वारा विजयन और उनके परिवार के खिलाफ लगाए गए नए आरोपों के पीछे की कथित साजिश की जांच करने का अनुरोध किया. वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने जांच सही दिशा में नहीं होने पर विधिक कार्रवाई की चेतावनी दी.

पूर्व में विजयन मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा विभाग संभाल चुके जलील मुख्यमंत्री और उनके परिवार के अलावा उन अन्य हाई प्रोफाइल व्यक्तियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ सुरेश ने मंगलवार को गंभीर आरोप लगाए थे. यहां छावनी पुलिस थाने में सुरेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद, थवनूर विधायक ने कहा कि प्रमुख आरोपी ‘‘झूठे और मनगढ़ंत’’ आरोप लगा रही है और एक अंतराल के बाद अब आरोप लगाए जाने के उसके कदम के पीछे स्पष्ट साजिश है.

सुरेश ने कोच्चि में एक मजिस्ट्रेट अदालत के सामने पेश होने के बाद मंगलवार को कहा कि उसने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत एक बयान दिया है, जिसमें तस्करी गतिविधियों में मुख्यमंत्री, उनके परिवार के कुछ सदस्यों और शीर्ष नौकरशाहों की भूमिका का वर्णन किया गया है. मुख्यमंत्री विजयन और सत्ताधारी एलडीएफ ने आरोपों को निराधार करार देते हुए इनहें खारिज किया.

इस बीच, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने सवाल किया कि केंद्रीय एजेंसियों ने जांच के दौरान मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूतों के साथ सुरेश द्वारा दिए गए बयान की जांच क्यों नहीं की. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी कहा कि विजयन ने मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है.

स्वप्ना सुरेश को सनसनीखेज सोने की तस्करी मामले में गिरफ्तारी के 16 महीने बाद पिछले साल नवंबर में जेल से रिहा किया गया था. यहां संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) वाणिज्य दूतावास की एक पूर्व कर्मचारी सुरेश को 11 जुलाई, 2020 को बेंगलुरु से एक अन्य आरोपी संदीप नायर के साथ एनआईए ने हिरासत में लिया था. इससे पहले पांच जुलाई, 2020 को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर यूएई वाणिज्य दूतावास के राजनयिक सामान से 15 करोड़ रुपये मूल्य के सोने की जब्ती के साथ एक रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था. एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीमा शुल्क ने इसकी अलग-अलग जांच की.

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