न्यायालय ने अतिरिक्त पदों के सृजन संबंधी प. बंगाल कैबिनेट के फैसले की सीबीआई जांच का आदेश खारिज किया

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के उस हिस्से को मंगलवार को खारिज कर दिया जिसमें राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त विद्यालयों में अतिरिक्त पदों के सृजन के पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल के फैसले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराए जाने का आदेश दिया गया था।
भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित अन्य पहलुओं की जांच जारी रहेगी।
‘‘अतिरिक्त पद’’ से तात्पर्य ऐसे अस्थायी पद से है जो किसी ऐसे कर्मचारी को समायोजित करने के लिए बनाया जाता है जो नियमित पद पर नियुक्ति का हकदार है लेकिन वर्तमान में ऐसा नियमित पद उपलब्ध नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्य सरकार द्वारा संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था और कहा था कि पूरी चयन प्रक्रिया ‘‘त्रुटिपूर्ण एवं दागदार’’ थी।
पीठ ने फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया था कि वह ‘‘अतिरिक्त पदों के सृजन के निर्णय पर सीबीआई जांच की दिशा के संबंध में’’ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर स्वतंत्र रूप से विचार करेगी। पीठ ने राज्य सरकार की याचिका के इस विशेष पहलू पर मंगलवार को विचार करते हुए कहा, ‘‘उपर्युक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना ??है कि मंत्रिमंडल के निर्णय पर अतिरिक्त पदों के सृजन के मुद्दे को सीबीआई को सौंपने का उच्च न्यायालय का निर्णय उचित नहीं था।’’
पीठ ने मंत्रिमंडल के निर्णयों पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन पर कानून की अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि इस आदेश में हमारी टिप्पणियां अतिरिक्त पदों के सृजन की जांच करने के निर्देश तक सीमित हैं और वे अन्य पहलुओं को लेकर सीबीआई की जांच एवं उसके द्वारा दायर आरोपपत्रों को किसी भी तरह से प्रतिंिबबित नहीं करतीं।’’