वह दिन आएगा जब पाकिस्तान भारत के साथ कूटनीतिक, आर्थिक रूप से जुड़ सकेगा: जरदारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री जरदारी ने कश्मीर की स्थिति पर संरा मानवाधिकार प्रमुख को पत्र लिखा

दावोस/इस्लामाबाद. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक दिन आएगा जब उनका देश भारत के साथ कूटनीतिक और आर्थिक रूप से भी जुड़ सकेगा. जरदारी ने विभिन्न पड़ोसी देशों के साथ पाकिस्तान के आर्थिक और कारोबारी अवसरों को खोलने के लिए आवश्यक विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आज नहीं तो कल, वह दिन आएगा. उस दिन हम अपनी पूरी आर्थिक संभावनाओं को खोल सकेंगे और समृद्धि का फल मिल कर चखेंगे.’’

अपने देश के पड़ोस में कई संघर्षों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि मेरे जीवन में वह दिन जरूर आएगा, जब हम अपने क्षेत्र में संघर्षों को हल करने में सक्षम होंगे और उस दिन हम अपनी पूर्ण विकास क्षमता को खोलने में सक्षम होंगे.’’ हालांकि, जरदारी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान जब भी किसी अन्य देश के साथ कूटनीतिक या आर्थिक रूप से जुड़ेगा तो वह अपने राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन संकट को हल करने का एकमात्र तरीका बातचीत और कूटनीति है. जरदारी ने वार्षिक विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक, 2022 से इतर दावोस में पाथफाइंडर ग्रुप और मार्टिन डॉव ग्रुप द्वारा आयोजित वार्षिक पाकिस्तान ब्रेकफास्ट सत्र में को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा समय है जब मानवता एक नहीं बल्कि अस्तित्व संबंधी कई संकटों का सामना कर रही है, चाहे वह कोविड-19 महामारी हो, जलवायु परिवर्तन या अनय संघर्ष हों.’’

जरदारी ने कहा, ‘‘क्या हम इतिहास में किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में पहचाने जाना चाहेंगे, जिसने बातचीत के माध्यम से अस्तित्व से जुड़े संकटों और संघर्षों को हल किया या जिसने अधिक संघर्ष पैदा किए?संघर्षों को हल करना हमारे जैसे छोटे देशों के लिए नहीं बल्कि बड़े देशों और सभी के हित में है.’’ उन्होंने कहा कि जहां पाकिस्तान यूक्रेन के लोगों के प्रति सहानुभूति रखता है, वहीं हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस संघर्ष को कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान विभिन्न संघर्षों के गंभीर आर्थिक परिणामों का भी सामना कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हमें बार-बार वही पुरानी लड़ाइयां लड़नी चाहिए या हमें आधुनिक मुसलमानों के देश के रूप में पहचाने जाने की और एक समृद्ध भविष्य की आकांक्षा रखनी चाहिए?’’ मंत्री ने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि राजनीतिक कलह को किनारे कर दिया जाए और पाकिस्तान की विशाल अनछुई क्षमता का पता लगाया जाए और उन्हें खोला जाए.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री जरदारी ने कश्मीर की स्थिति पर संरा मानवाधिकार प्रमुख को पत्र लिखा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को पत्र लिखकर भारत से यह अपील करने का अनुरोध किया है कि वह कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी करे और जेल से उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि कश्मीर में स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने के पाकिस्तान के जारी प्रयासों के तहत विदेश मंत्री ने 24 मई को बैश्लेट को एक पत्र भेजा. कार्यालय के अनुसार, ‘‘पत्र में कश्मीरियों और उनके नेतृत्व को परेशान करने एवं दबाने तथा झूठे एवं किसी अन्य मकसद से प्रेरित मामलों में उन्हें फंसाने की भारत सरकार की जारी कोशिशों से उच्चायुक्त को अवगत कराया गया.’’

मंत्री ने उच्चायुक्त और मानवाधिकार परिषद से अपील की कि वह ‘‘किसी अन्य मकसद से प्रेरित मामलों में कश्मीरी नेतृत्व को भारत द्वारा निशाना बनाए जाने और खासकर मलिक के साथ हो रहे व्यवहार’’ का तत्काल संज्ञान ले.
उन्होंने उच्चायुक्त से भारत से अपील करने का अनुरोध किया कि वह मलिक को ‘‘सभी निराधार आरोपों से बरी’’ कर दे और उसकी जेल से तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से पुन: मिल सके, उसके स्वास्थ्य में सुधार हो सके और वह फिर से सामान्य जीवन जी सके.

इसके अलावा, बिलावल ने ओआईसी (इस्लामी सहयोग संगठन) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा को एक पत्र लिखकर उन्हें ‘‘कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवीय स्थिति’’ से अवगत कराया. भारत पाकिस्तान से बार-बार कहता रहा है कि जम्मू कश्मीर उसका अहम हिस्सा ‘‘था, है और रहेगा.’’ उसने पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने और भारत विरोधी सभी दुष्प्रचार रोकने की सलाह भी दी है. भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और ंिहसा रहित माहौल में उसके साथ पड़ोसियों जैसे सामान्य संबंध चाहता है.

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