
खंडवा/इंदौर. मध्यप्रदेश सरकार ने उज्जैन के ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे की तर्ज पर ओंकारेश्वर में 120 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से ‘ममलेश्वर लोक’ गलियारा बनाने की योजना स्थानीय नागरिकों और साधु-संतों के भारी विरोध के बाद मंगलवार को वापस ले ली. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
नर्मदा नदी के तट पर बसा ओंकारेश्वर, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है और इसकी गिनती हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में होती है. अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) काशीराम बड़ोले ने बताया कि प्रशासन ने स्थानीय लोगों और साधु-संतों की भावनाओं को देखते हुए ओंकारेश्वर में प्रस्तावित स्थल पर ‘ममलेश्वर लोक’ बनाने की योजना वापस ले ली है. उन्होंने हालांकि कहा कि यदि स्थानीय जन प्रतिनिधि और साधु-संत चाहेंगे, तो ओंकारेश्वर में ‘सर्वसम्मति के आधार पर’ किसी दूसरी जगह पर ‘ममलेश्वर लोक’ के निर्माण की नयी योजना बनाई जाएगी.
ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ‘ममलेश्वर लोक’ के लिए प्रशासन ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया था, लेकिन विस्थापन की योजना के विरोध में स्थानीय नागरिकों के आह्वान पर इस तीर्थनगरी में पिछले दो दिन से तमाम कारोबारी प्रतिष्ठान बंद थे. इससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. स्थिति यह थी कि श्रद्धालुओं को पीने का बोतलबंद पानी और चाय-नाश्ता तक नहीं मिल पा रहा था.
ओंकारेश्वर में जिस जगह ‘ममलेश्वर लोक’ प्रस्तावित था, वहां साधु-संतों के कई आश्रम और धर्मशालाएं भी हैं. इसलिए संत समुदाय ने भी ‘ममलेश्वर लोक’ की योजना का खुलकर विरोध शुरू कर दिया था. अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2028 के दौरान उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले ओंकारेश्वर में ‘ममलेश्वर लोक’ का निर्माण पूरा करने की योजना बनाई थी.
उन्होंने बताया कि 120 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली इस परियोजना के तहत ओंकारेश्वर के प्राचीन ममलेश्वर मंदिर के आस-पास 6.50 हेक्टेयर पर गलियारा विकसित किया जाना था. अधिकारियों ने बताया कि ‘ममलेश्वर लोक’ गलियारे में अलग-अलग निर्माण कार्यों के जरिये ओंकारेश्वर की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की झांकी पेश की जानी थी और श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं भी विकसित की जानी थीं.



