सिलक्यारा सुरंग में बचाव अभियान का कार्य अंतिम हिस्से में पहुंचा

उत्तरकाशी. निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बहु-एजेंसी प्रयास बुधवार शाम को सफलता के करीब दिखायी दिया. इसके मद्देनजर एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है और चिकित्सकों को घटनास्थल पर बुला लिया गया है. सिलक्यारा के अधिकारियों ने शाम करीब चार बजे एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुरंग के ढह गए हिस्से के मलबे में ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करके क्षैतिज पाइप का छह मीटर का एक और हिस्सा डाल दिया गया है.
पहले दिन में दिए गए आंकड़े से यह संकेत मिलता है कि सुंरग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए मलबे के अनुमानित 57 मीटर के हिस्से में से 45 मीटर तक पाइप डाला जा चुका है. इसी 57 मीटर मलबे के आगे श्रमिक 10 दिनों से अधिक समय से फंसे हुए हैं.
दिल्ली में, अपराह्न दो बजे तक की प्रगति की जानकारी देने वाले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा गया कि स्टील पाइप 42 मीटर तक डाल दिया गया है. इसमें कहा गया है कि ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का 67 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
इसमें कहा गया है कि पाइप डाल दिये जाने के बाद श्रमिक इसके माध्यम से बाहर निकल सकते हैं. यह पाइप एक मीटर से थोड़ा कम चौड़ा है. निकासी की प्रत्याशा में ‘चेस्ट स्पेशलिस्ट’ सहित 15 चिकित्सकों की एक टीम को घटनास्थल पर तैनात किया गया है. घटनास्थल पर 12 एम्बुलेंस तैयार स्थिति में रखी गई हैं. अभियान के लिए एक हेलीकॉप्टर भी तैनात रखे जाने की उम्मीद है.
सिलक्यारा में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे उत्साहित दिखे. उन्होंने कहा कि पिछले एक घंटे में बचाव पाइप का एक और छह मीटर का हिस्सा डाल दिया गया है. उन्होंने स्टील पाइप के टुकड़ों को निरंतर मलबे के जरिये भीतर डालने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा, ”उम्मीद है कि अगले दो-तीन घंटे वह हासिल करने के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे जिसका हम सभी इंतजार कर रहे हैं.” उन्होंने बाद में शाम को एक प्रेस वार्ता में ”इसी तरह ही अच्छी खबर” का पूर्वानुमान जताया.
निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 10 दिन से अधिक समय से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू होने से बचाव अभियान में तेजी आ गयी है. अधिकारियों ने बुधवार को यहां बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन से मंगलवार मध्यरात्रि के बाद फिर से ड्रिलिंग शुरू कर दी गयी है और अब तक मलबे के 45 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है.
ऑगर मशीन के शुक्रवार दोपहर को किसी कठोर सतह से टकराने के बाद उससे ड्रिलिंग रोक दी गयी थी. ड्रिलिंग रोके जाने तक मलबे को 22 मीटर तक भेद कर उसके अंदर छह मीटर लंबे 900 मिलीमीटर व्यास के चार पाइप डाले जा चुके थे. अंतिम पाइप का दो मीटर हिस्सा अगले पाइप को जोड़ने के लिए बाहर छोड़ा गया था.
अधिकारियों ने बताया कि अब मलबे के अंदर 900 मिलीमीटर की जगह 800 मिलीमीटर व्यास के पाइप डाले जा रहे हैं. प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार एवं उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने बताया कि ऑगर मशीन से दोबारा ड्रिलिंग शुरू होने के बाद से अब तक कुल 45 मीटर ड्रिलिंग पूरी कर ली गयी है.
इससे पहले, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने संवाददाताओं को बताया कि सुरंग में ड्रिलिंग के दौरान 40 से 50 मीटर का हिस्सा ‘बहुत महत्वपूर्ण’ है. उन्होंने कहा, ”हम इसे पार कर लें, इसके बाद हम ज्यादा विश्वास से कुछ कह सकते हैं.” यह पूछे जाने पर कि अभियान के पूरा होने में अब कितना समय और लगेगा, उन्होंने कहा, ”अगर हमें कोई अड़चन नहीं आती और हम इसी गति से चलते रहे तो हमें बुधवार देर रात या बृहस्पतिवार सुबह तक कोई अच्छी खबर मिल सकती है.”
अहमद ने बताया कि वैकल्पिक योजना के तहत सुरंग के बड़कोट छोर की ओर से भी ‘क्षैतिज ड्रिलिंग’ शुरू की गयी है. उन्होंने कहा, ”तीन ब्लास्टिंग की गयी हैं और हम वहां से भी करीब आठ मीटर अंदर प्रवेश कर चुके हैं.” उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए, जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है.
बचावर्किमयों को सोमवार को 53 मीटर लंबी छह इंच की पाइपलाइन को मलबे के आरपार डालने में सफलता मिली थी जिसके जरिए ज्यादा भोजन सामग्री श्रमिकों तक पहुंचाई जा रही है. इसी पाइपलाइन के जरिए ‘एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी’ कैमरा भेजकर मंगलवार तड़के श्रमिकों के सकुशल होने की पहली तस्वीरें तथा वीडियो मिला था.
बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा प्रतिवादन बल की टीम ने श्रमिकों के साथ एक ‘आडियो कम्यूनिकेशन चैनल’ भी स्थापित किया है .
उन्होंने कहा, ”एक तार, एक माइक्रोफोन और एक स्पीकर को मलबे के दूसरी ओर भेजा गया है और इस ओर मौजूद हेडफोन के जरिए उनसे अच्छी तरह बात हो पा रही है.” खैरवाल ने कहा कि सबसे पहले श्रमिकों से चिकित्सकों ने बातचीत की और उनके स्वास्थ्य का हालचाल जाना. श्रमिकों ने कब्ज की शिकायत की जिसके लिए उन्हें जरूरी दवाइयां भेजी गयीं.
उन्होंने कहा कि श्रमिकों के ‘मानसिक स्वास्थ्य’ का भी पहलू है जिसके लिए मनोचिकित्सक उनसे एक-एक करके बात करेंगे.
खैरवाल ने कहा कि श्रमिक अंदर अच्छी मानसिक स्थिति में हैं और उनका मनोबल ऊंचा है. उन्होंने कहा कि छह इंच की पाइप स्थापित होने के बाद से उनके पास लगातार ताजा पका भोजन भी पर्याप्त मात्रा में पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा, तौलिया, अंतर्वस्त्र और ब्रश आदि अन्य जरूरी चीजें भी उन तक पहुंचाई गयी हैं.
सुरंग में ड्रिलिंग के अलावा वैकल्पिक तौर पर सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग करने के लिए भी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात करके सिलक्यारा में चल रहे बचाव कार्यों की जानकारी ली. सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए धामी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को केंद्रीय एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं प्रदेश प्रशासन के परस्पर समन्वय के साथ संचालित बचाव कार्यों से अवगत कराया और उन्हें गत 24 घंटे में हुई सकारात्मक प्रगति एवं श्रमिकों और उनके परिजनों की बातचीत से बढ.े मनोबल की भी जानकारी दी.
धामी ने लिखा, ”प्रधानमंत्री जी का इस कठिन परिस्थिति से निपटने के लिए निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है जो हम सभी को पूरी ताकत से श्रमिक भाइयों को शीघ्र और सुरक्षित बाहर निकालने के लिए नित नई ऊर्जा प्रदान करता है.” दीवाली के दिन हुए सुरंग हादसे के बाद से प्रधानमंत्री लगातार मुख्यमंत्री से बात करके अद्यतन जानकारी ले रहे हैं. पिछले तीन दिनों में यह उनकी तीसरी बातचीत है.
इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और वरिष्ठ पार्टी नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह ने सिलक्यारा पहुंचकर वहां चल रहे बचाव अभियानों का जायजा लिया.
मौके पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सिंह ने कहा कि सुरंग का निर्माण करते समय सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गयी जिसकी वजह से यह स्थिति पैदा हुई. उन्होंने इसके लिए निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर राजनीति किए जाने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरोप पर दोनों नेताओं ने कहा कि उन्होंने बचाव कार्य में लगी सभी एजेंसियों को पूरा समर्थन दिया है और उनकी कामना है कि फंसे हुए सभी 41 श्रमिक सुरक्षित घर लौटें लेकिन अगर सरकार की ओर से कोई लापरवाही होगी तो विपक्षी दल होने के नाते जनता को सच बताना उनका दायित्व है.
श्रमिकों के लिए चिन्यालीसौड़ में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के बाहर आने के बाद उनकी देखभाल हेतु बुधवार को चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का एक अस्पताल तैयार कर लिया गया. अधिकारियों ने बताया कि 15 चिकित्सकों का एक दल मौके पर तैनात कर दिया गया है. इसके अलावा, श्रमिकों को तात्कालिक चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नियंत्रण कक्ष में भी आठ बिस्तरों का चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि मौके पर कई एंबुलेंस और एक हैलीकॉप्टर भी तैयार रखा गया है.
सुरंग में फंसे मजदूरों ने अपने परिवार से कहा, ‘घबराओ नहीं, हम जल्द मिलेंगे’
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा सुरंग के भीतर पिछले 10 दिनों से फंसे 41 में से दो मजदूरों से बात करने वाले इंद्रजीत कुमार ने कहा, ”उन्होंने (मजदूरों) मुझसे कहा कि घबराओ नहीं हम जल्द ही बाहर मिलेंगे.” इंद्रजीत के परिवार के दो सदस्य सुरंग के भीतर फंसे हुए हैं, जिनसे बात करने के बाद उन्हें उम्मीद की एक नयी किरण दिखाई दी है. इंद्रजीत के छोटे भाई विश्वजीत और संबंधी सुबोध कुमार सुरंग के भीतर फंसे हुए हैं.
झारखंड के गिरिडीह के रहने वाले इंद्रजीत ने बुधवार को कहा, ”विश्वजीत के तीनों बच्चे उनके लौटने का इंतजार और उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं. मैंने दिवाली पर उन्हें फोन किया था लेकिन बात नहीं हो सकी थी. जब मैंने उनके एक साथी से संपर्क किया तो उन्होंने मुझे बताया कि विश्वजीत सुरंग के भीतर फंसा हुआ है. मैं अगले दिन वहां पहुंचा.”
उन्होंने कहा कि मैंने मंगलवार को बचावर्किमयों द्वारा जारी मजदूरों के वीडियो में विश्वजीत और सुबोध को देखा. उन्होंने कहा, ”दोनों ही ठीक दिखाई दे रहे थे. आज (बुधवार) मैंने उनकी आवाज सुनी. उन्होंने मुझे बताया कि अब कुछ ही घंटों की बात है.” लगभग हर मजदूर का अपने परिवार के सदस्यों के प्रति यही संदेश था, जो कई दिनों से सुरंग के समीप डेरा डाले हुए हैं.
सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों में देवाशीष का साला सोनू शाह भी मौजूद है. देवाशीष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मजदूर जल्द ही बाहर आएंगे. देवाशीष ने कहा, ”आज (बुधवार) हमें सुरंग के अंदर ले जाया गया और हमने अपने परिवार के सदस्यों से बात की. सोनू ने मुझसे बार-बार कहा कि अब चिंता मत करों और हम जल्द ही मिलेंगे.” देवाशीष ने कहा कि अखबार में सोनू का नाम देखने के बाद उनके परिवार को पता चला कि वह सुरंग के अंदर फंस गया है.
उन्होंने कहा, ”हमने दिवाली पर उसे फोन किया था लेकिन संपर्क नहीं हो सका. उसके साथियों ने हमें बताया कि सोनू का मोबाइल फोन खराब हो गया था. बाद में हमने अखबार में उसका नाम देखा और पता चला कि वह सुरंग के अंदर फंसा हुआ है.” सोनू तीन साल से सुरंग में काम कर रहा था. उसकी पत्नी और एक साल की बेटी बिहार के छपरा में रहती हैं.