मोदी सरकार में देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को कोई खतरा नहीं: वी मुरलीधरन

तिरुवनंतपुरम. देश में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के मामलों में उचित सरकारी हस्तक्षेप की कमी को लेकर ‘लैटिन कैथोलिक आर्चडायोसिस’ की ओर से की गई आलोचना के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने शुक्रवार को यहां कहा कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को किसी भी खतरे का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन अट्टिंगल लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार भी हैं. मुरलीधरन ने कहा कि उन्होंने चर्च के वरिष्ठ पादरियों के साथ काफी बातचीत की है लेकिन उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उनको इस बात को लेकर चिंता है कि ईसाई समुदाय देश में सुरक्षित नहीं है.

देश में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा, खासकर मणिपुर में, का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और वामपंथियों द्वारा भाजपा को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. केरल में खाता खोलने के लिए भाजपा ईसाई समुदाय को लुभाने का प्रयास कर रही है. भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि वरिष्ठ पादरियों ने भी कहा है कि हिंसा की घटनाएं कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह नस्ली मामला है. वह यहां भाजपा कार्यालय में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे, जहां यह घोषणा की गई कि वह शनिवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे.

यह भी घोषणा की गई कि नामांकन के साथ जमा की जाने वाली 25,000 रुपये की राशि को रूस के साथ युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन से बचाए गए विद्यार्थियों ने प्रदान की है. इस घोषणा के बाद पत्रकारों ने इस बात की ओर इंगित किया कि लैटिन कैथोलिक मेट्रोपॉलिटन आर्कबिशप थॉमस जे नेट्टो ने सुबह कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों खासकर मणिपुर और उत्तर भारत में ईसाइयों को ‘दुष्ट ताकतों द्वारा क्रूरता और हिंसा’ का शिकार बनाया जा रहा है और आरोप लगाया गया कि सरकारी अधिकारियों द्वारा इसके खिलाफ कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया गया. इस पर मुरलीधरन ने कहा कि वह आर्कबिशप के बयान को सुने बिना इसके बारे में कोई टिप्प्णी नहीं कर सकते.

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