दुनिया में भारी उथल पुथल की आशंका; बहुत जरूरी है देश की कमान मजबूत हाथों में हो: जयशंकर

अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ अलगाववाद के समर्थन की आजादी नहीं: विदेश मंत्री जयशंकर

नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगाह किया है कि संघर्षों, सत्ता केंद्रों में बदलाव और तेज होती प्रतिस्पर्धा के कारण इस दशक में दुनिया में ‘बहुत अधिक उथल-पुथल’ होगी और ऐसे में बहुत जरूरी है कि देश की कमान मजबूत और परिपक्व हाथों में हो.
जयशंकर ने बृहस्पतिवार शाम को ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष साक्षात्कार में 2020 के दशक के अंत तक एक ऐसी दुनिया की तस्वीर चित्रित की जो हमारे आज के संसार से बिल्कुल अलग होगी. वैश्विक शक्ति संतुलन के इस आकलन में उन्होंने कूटनीति और राजनीति में अपने लगभग 50 वर्ष के अनुभव के आधार पर कुछ चिंतित करने वाले तथ्य पेश किए.

चीन और अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके जयशंकर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2019 में राजनीति में लेकर आए थे. जयशंकर ने कहा, ”कई सारे संघर्ष, तनाव, विभाजन! इन सभी पहलुओं के साथ जो मैं आपके सामने रख रहा हूं,… मैं वास्तव में, इस दशक की शेष अवधि में बहुत अधिक उथल-पुथल वाले अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की तस्वीर पेश कर रहा हूं.” विदेश मंत्री ने इस ‘उथल-पुथल’ की भविष्यवाणी के लिए विशेष रूप से अमेरिका के घटते दबदबे, यूक्रेन में युद्ध, गाजा में संघर्ष, लाल सागर में हमले, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती और नई प्रौद्योगिकियों के आविर्भाव को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ”मेरा मानना है कि आज ये सभी घटनाक्रम मिलकर एक जबदरस्त उथल-पुथल की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं और इन सबसे ऊपर प्रतिस्पर्धा भी तेज हो रही है.” इस संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा,” ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोकसभा चुनाव में मतदाता विवेकपूर्ण तरीके से चुनाव करें ताकि भारत में एक मजबूत, स्थिर और परिपक्व नेतृत्व कायम रहे.” राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को बनाए रखने की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा,” मेरे हिसाब से, आज के हालात में भारतीय मतदाताओं को जो सबसे बड़ा चुनाव करना है- वह ये है कि आप भारत सरकार की कमान सौंपने के लिए किस पर भरोसा करेंगे?” अपने राजनयिक अनुभव से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और मोदी सरकार की साख बढ़ाने के लिए देश में लोकप्रिय जयशंकर ने संकेत दिया कि दुनिया में यह उथल-पुथल पहले से ही शुरू हो चुकी है.

उन्होंने कहा, ”आज यूक्रेन में युद्ध हो रहा है, गाजा में संघर्ष के हालात हैं, लाल सागर और अरब सागर में हमले हो रहे हैं, दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में तनाव की स्थिति है, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद है, हमारे सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ समस्या है, लेकिन अन्य देशों के भी चीन के साथ अपने अलग मुद्दे हैं.” उन्होंने कहा कि इन सबके साथ अमेरिका का दबदबा भी कम हो रहा है.

जयशंकर ने कहा, ”अमेरिका आज भी दुनिया की प्रमुख महाशक्ति है. लेकिन कई कारणों से, आप कह सकते हैं कि अमेरिका और पायदान पर उसके बाद खड़ी महाशक्तियां पहले की तुलना में उसके काफी करीब पहुंच गई हैं. दुनिया को लेकर अमेरिका के रवैये में भी बदलाव आया है.” विदेश मंत्री ने यह भी तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास क्रम में पिछले 25 वर्षों में वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप एक भौगोलिक क्षेत्र में विनिर्माण और प्रौद्योगिकी केंद्रित हो गई है जबकि कई देशों की क्षमताएं कमजोर पड़ गई हैं.
उन्होंने कहा कि इन दोनों पर ही प्रतिक्रिया सामने आ रही है और दुनियाभर के देशों ने विनिर्माण के और अधिक केंद्रों तथा अधिक आपूर्ति शृंखलाएं निर्मित करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.

जयशंकर ने कहा, ”इसका एक पहलू वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में विविधता लाने वाला है, जबकि दूसरा है कि कई अर्थव्यवस्थाओं में अर्थव्यवस्था के खोखले होने के कारण आज अपनी नौकरियों को बचाने की इच्छा है. मैं कहूंगा कि वे वैश्वीकरण के इस तरह के एक बहुत ही त्रुटिपूर्ण मॉडल के सामाजिक परिणामों को देख रहे हैं. यह एक बहुत बड़ा कारक बनता जा रहा है.” विदेश मंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, चिप, ड्रोन, विद्युत चालित वाहन, बैटरी, हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकी जैसी नई तकनीकों के ‘अत्यधिक प्रभाव’ को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ”वैश्विक व्यवस्था दरअसल संक्रमण काल में है. यह पांच या 10 प्रतिशत का सूक्ष्म क्रमिक बदलाव नहीं है. हम दरअसल बहुत बड़ी उथल-पुथल की बात कर रहे हैं.”

भारत-अमेरिका के संबंधों की प्रगति पर नहीं पड़ा कोई असर: पन्नू मामले को लेकर जयशंकर ने कहा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हत्या की एक असफल साजिश में किसी भारतीय के शामिल होने के आरोपों से भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगति पर कोई असर नहीं पड़ा है. नवंबर में, अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक पर न्यूयॉर्क में सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था. बृहस्पतिवार शाम ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के बुनियादी सिद्धांत बहुत मजबूत हैं और आरोपों का संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है.

उन्होंने कहा, ह्लअमेरिका ने सकारात्मक भाव के साथ हमारा ध्यान कुछ जानकारी की ओर दिलाया है. हमारा यह भी मानना है कि इसमें से कुछ का हमारी अपनी प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है.ह्व विदेश मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ के मुख्यालय में हुई बातचीत में कहा, “हम इसकी जांच कर रहे हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगति जरा भी प्रभावित होगी.ह्व इस साजिश में भारत का हाथ होने के आरोप लगने के कुछ दिन बाद, भारत ने मामले में अमेरिका से प्राप्त जानकारी की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की.

आतंकवाद के आरोप में भारत में वांछित पन्नून के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है. पिछले महीने, वाशिंगटन पोस्ट ने कथित तौर पर पन्नून की हत्या की साजिश रचने के लिए एक भारतीय अधिकारी का नाम लिया था. कुछ दिन बाद, भारत ने कहा कि खबर में एक गंभीर मामले के सिलसिले में “अनुचित और निराधार” आरोप लगाए गए हैं और मामले की जांच जारी है.

अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ अलगाववाद के समर्थन की आजादी नहीं: विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि खालीस्तानी अलगाववादी तत्वों को राजनीतिक प्रश्रय देकर कनाडा सरकार यह संदेश दे रही है कि उसका वोट बैंक उसके कानून के शासन से “अधिक शक्तिशाली” है. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान और पालन करता है, लेकिन इसका मतलब विदेशी राजनयिकों को धमकाने, अलगाववाद को समर्थन देने या हिंसा की वकालत करने वाले तत्वों को राजनीतिक प्रश्रय देने की स्वतंत्रता नहीं है.

पंजाब के सिख प्रवासियों के बीच खालीस्तान समर्थकों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले लोगों को कनाडा में प्रवेश करने और रहने की अनुमति कैसे दी जा रही है. उन्होंने कहा, “किसी भी नियम-आधारित समाज में आप लोगों की पृष्ठभूमि, वे कैसे आए, उनके पास कौन सा पासपोर्ट था, आदि चीजों की जांच करेंगे.”

विदेश मंत्री ने कहा, “अगर आपके यहां ऐसे लोग हैं जो संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर वहां मौजूद हैं, तो यह आपके बारे में क्या कहता है? यह वास्तव में कहता है कि आपका वोट बैंक आपके कानून के शासन से अधिक शक्तिशाली है.” कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगभग 18 लाख है और देश में अन्य दस लाख अनिवासी भारतीय रहते हैं. देश में भारतीय प्रवासियों में ज्यादातर सिख हैं जो वहां की राजनीति में एक प्रभावशाली समूह माने जाते हैं.

पिछले साल सितंबर में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोप लगाए जाने के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तल्खी आ गई थी. नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को “निराधार” बताते हुए खारिज किया था. भारत कहता रहा है कि मुख्य मुद्दा कनाडा द्वारा कनाडाई धरती से सक्रिय खालीस्तानी समर्थक तत्वों को प्रश्रय देने का है.

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