तिब्बत की आजादी नहीं सार्थक स्वायत्तता की मांग है: दलाई लामा

जम्मू. तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें यह अहसास है कि वह ‘स्वतंत्रता’ की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति के संरक्षण की मांग कर रहे हैं. सभी विवादों का बातचीत के जरिए हल निकालने की पैरवी करते हुए दलाई लामा ने कहा कि सभी इंसान बराबर हैं और उन्हें ‘मेरा देश, मेरी विचारधारा’ वाली संकीर्ण सोच से ऊपर उठने की जरूरत है क्योंकि यही लोगों में लड़ाई का प्रमुख कारण है.

दलाई लामा का यहां पहुंचने पर उनके अनुयायियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया. उनके अनुयायी भारी बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए. बीते दो साल में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से बाहर, उनकी यह पहली यात्रा है. वह शुक्रवार को लद्दाख जा सकते हैं. 87 वर्षीय आध्यात्मिक नेता ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ चीन के कुछ कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी और सुधार का विरोधी समझते हैं और हमेशा मेरी आलोचना करते हैं. लेकिन अब अधिक संख्या में चीन के लोगों को यह अहसास हो रहा है कि दलाई लामा स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं और उनकी इच्छा सिर्फ इतनी है कि चीन (तिब्बत को) सार्थक स्वायत्तता दे और तिब्बती बौद्ध संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित करे.’’

उनकी यात्रा को लेकर चीन की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर दलाई लामा ने कहा, ‘‘ यह सामान्य है. चीन के लोग ऐतराजÞ नहीं कर रहे हैं…. अधिक संख्या में लोग तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं. उनके कुछ विद्वानों को अहसास हो रहा है कि तिब्बती बौद्ध धर्म बहुत वैज्ञानिक है. चीजÞें बदल रही हैं.’’ दलाई लामा का असली नाम तेंजÞनि ग्यात्सो है और उन्हें 1989 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था.

इस महीने की शुरुआत में, दलाई लामा के 87वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए तिब्बत संबंधी मुद्दों का इस्तेमाल बंद करना चाहिए. वहीं भारत ने चीन की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि दलाई लामा देश के सम्मानित अतिथि हैं. आध्यात्मिक नेता लद्दाख जा सकते हैं जहां वह एक महीने से ज्यादा समय बिता सकते हैं. इससे चीन और नाराज होगा क्योंकि पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध चल रहा है.

दलाई लामा ने कहा, ‘‘ मैं कल (शुक्रवार को) लद्दाख जा रहा हूं जहां कुछ कार्यक्रमों में भाग लूंगा.’’ उन्होंने श्रीलंका में मौजूदा संकट पर भी नाखुशी जÞाहिर की. उन्होंने कहा, ‘‘ लोगों को मेरा मुख्य संदेश यही है कि हम सब भाई और बहन हैं और लड़ने का कोई मतलब नहीं है… लड़ाई संकीर्ण मानसिकता की वजह से तब होती है जब वे ‘मेरा देश, मेरी विचारधारा’ सोचना शुरू करते हैं.’’ दलाई लामा ने कहा कि इंसानियत का तकाजÞा है कि ‘‘हम सब साथ मिलकर रहें, चाहे हमें यह पसंद हो या नहीं. परिवार की तरह इसमें कुछ परेशानी हो सकती है जिन्हें बातचीत के जरिए सुझाया जा सकता है.’’

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