एक साथ चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को जरूरत होगी लगभग 30 लाख ईवीएम की

नयी दिल्ली. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए निर्वाचन आयोग को लगभग 30 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की जरूरत होगी. साथ ही सुगमतापूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए तैयारियों में करीब डेढ़ साल का समय लगेगा. सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

एक ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट और एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) यूनिट होती है. सूत्रों के अनुसार, आयोग को एक साथ चुनाव कराने के लिए लगभग 30 लाख कंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग 32 लाख वीवीपीएटी की आवश्यकता होगी. सूत्रों ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए लगभग 35 लाख वोटिंग यूनिट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपीएटी यूनिट) की कमी है.

एक साथ चुनाव कराने पर विचार-विमर्श तेज होने के बीच निर्वाचन आयोग ने कुछ महीने पहले विधि आयोग को सूचित किया था कि उसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को रखने के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर एक रिपोर्ट पर काम कर रहे विधि आयोग ने निर्वाचन आयोग के साथ उसकी जरूरतों और चुनौतियों पर बातचीत की थी.

बातचीत से अवगत सूत्रों ने कहा कि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस तरह की कवायद कब होगी. जब कुछ राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं, तो मतदाता दो अलग-अलग ईवीएम में अपना वोट डालते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में 12.50 लाख मतदान केंद्र थे. आयोग को अब 12.50 लाख मतदान केंद्रों के लिए लगभग 15 लाख कंट्रोल यूनिट, 15 लाख वीवीपीएटी यूनिट और 18 लाख बैलेट यूनिट की आवश्यकता है.

इस बारे में हालांकि कोई आधिकारिक अनुमान उपलब्ध नहीं है कि इन वोटिंग इकाइयों की लागत कितनी है, लेकिन पिछली खरीद दरों के हिसाब से भी देखा जाए तो एक करोड़ यूनिट के लिए कुल लागत 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी, जिसमें वीवीपीएटी इकाइयों के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक शामिल हैं.

अगर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं तो लागत और भी बढ़ सकती है. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति संविधान के तहत मौजूदा ढांचे और अन्य वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है.

सूत्रों के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने विधि आयोग के साथ अपनी बातचीत में ईवीएम के लिए अधिक भंडारण सुविधाओं की आवश्यकता जैसी चुनौतियों को भी सूचीबद्ध किया. उन्होंने करीब डेढ़ साल की तैयारियों का जिक्र करते हुए कहा कि ईवीएम बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों ईसीआईएल और बीईएल को भी पहले से सूचित करने की जरूरत होगी.

उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए सेमीकंडक्टर उद्योग को भी स्थिर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब बातचीत हुई थी, सेमीकंडक्टर उद्योग से संबंधित समस्याएं थीं, जो अब सुलझ गई हैं. निर्वाचन आयोग को चुनाव से पहले ईवीएम की ‘प्रथम स्तर की जांच’ (एफएलसी) के लिए भी समय की जरूरत होगी. आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पूरे भारत में चरणबद्ध तरीके से एफएलसी शुरू कर दी है.

एफएलसी के दौरान, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के इंजीनियरों द्वारा वीवीपीएटी सहित ईवीएम, मशीनों की यांत्रिक खामियों की जांच की जाती है. दोषपूर्ण मशीनों को मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए निर्माताओं को वापस कर दिया जाता है. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में दोनों मशीनों की जांच के लिए एक ‘मॉक पोल’ भी आयोजित किया जाता है.

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