स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए छह मोर्चों पर काम कर रही है सरकार : प्रधानमंत्री

भारत में आरोग्य और आध्यात्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं: प्रधानमंत्री मोदी

मोहाली/फरीदाबाद.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गरीब से गरीब व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को अपनी प्राथमिकता बताया और कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार एक साथ छह मोर्चों पर काम कर रही है तथा वह रिकॉर्ड निवेश कर रही है.
यहां ‘‘होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र’’ का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितना काम पिछले आठ साल में हुआ है उतना पिछले 70 वर्षों में भी नहीं हुआ.

टाटा मेमोरियल सेंटर ने 660 करोड़ रुपये की लागत से इस अस्पताल का निर्माण किया है, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत सहायता-प्राप्त संस्थान है. उन्होंने ‘प्रीवेंटिव हेल्थ केयर’ यानी बीमारी से बचाव को बढ़ावा दिए जाने को पहला और गांवों में छोटे एवं आधुनिक अस्पताल खोले जाने को दूसरा मोर्चा बताया.

इस कड़ी में उन्होंने शहरों में मेडिकल कॉलेज और शोध वाले बड़े संस्थान खोलना, देश भर में चिकित्सकों और पैरामेडिकल र्किमयों की संख्या बढ़ाना, मरीजों को सस्ती दवाइयां व सस्ते उपकरण उपलब्ध कराने और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर मरीजों की मुश्किलें कम करने को अन्य चार मोर्चा बताया, जिन पर सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘इस पर केंद्र सरकार रिकॉर्ड निवेश कर रही है… हजारों करोड़ रुपए खर्च कर कर रही है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का मतलब सिर्फ चार दीवारें बनाना नहीं होता है.

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी देश का स्वास्थ्य सिस्टम तभी मजबूत होता है, जब वो हर तरह से समाधान दे, कदम-कदम पर मरीजों का साथ दे और इसलिए पिछले आठ वर्षों में देश में संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा गया है.’’ मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी का भी पहली बार इतने व्यापक स्तर पर समावेश किया जा रहा है और आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर मरीजÞ को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मिले.

उन्होंने कहा कि अस्पताल बनाना जितना जÞरूरी है, उतना ही जरूरी पर्याप्त संख्या में अच्छे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्यर्किमयों का उपलब्ध होना भी है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए भी आज देश में मिशन मोड में काम किया जा रहा है. साल 2014 से पहले देश में 400 से भी कम चिकित्सा कॉलेज थे. यानि 70 साल में 400 से भी कम चिकित्सा कॉलेज. वहीं पिछले आठ साल में 200 से ज्यादा नए चिकित्सा कॉलेज देश में बनाए गए हैं.’’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कैंसर मरीजों और उनके परिवारों को भी हिम्मत देने का प्रयास किया और कहा कि उन्हें इससे डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है, जिन्होंने इस लड़ाई में कैंसर को परास्त किया है और जीत हासिल की है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ स्थित स्रातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआई) में बहुत भीड़ होने की वजह से मरीजों और उनके परिवारों को कई सारी परेशानियां होती थीं. उन्होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एम्स बन गया है और यहां कैंसर के इलाज के लिए इतनी बड़ी सुविधा बन जाने से लोगों को सहूलियत होगी.

भारत में आरोग्य और आध्यात्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत में आरोग्य और आध्यात्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और देश में कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान आध्यात्मिक-निजी भागीदारी का सफल उदाहरण है. यहां 6,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 133 एकड़ क्षेत्र में बने 2,600 बिस्तरों वाले अमृता अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां इलाज एक सेवा है और आरोग्य एक दान है. जहां आरोग्य और आध्यात्म, दोनों एक दूसरे से जुड़े हुये हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में देश ने समाज के हर वर्ग, हर संस्था और हर क्षेत्र के प्रयास का नतीजा देखा और इसमें भी आध्यात्मिक-निजी भागीदारी अहम रही. उन्होंने कहा कि जब भारत ने टीके बनाए तो कुछ लोगों ने दुष्प्रचार की कोशिश की थी और इसकी वजह से समाज में कई तरह की अफवाहें फैलने लगी लेकिन जब समाज के धर्मगुरु और आध्यात्मिक गुरु एक साथ आए तो उसका तुरंत असर भी हुआ.

उन्होंने कहा, ‘‘टीकों को लेकर भारत में लोगों के बीच उस प्रकार असमंजस नहीं देखा गया जैसा अन्य देशों में देखने को मिला. यही भावना है, जिसकी वजह से भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक चला पाया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के धार्मिक और सामाजिक संस्थानों द्वारा शिक्षा-चिकित्सा से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन की व्यवस्था एक तरह से पुराने समय का सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी (पीपीपी)मॉडल है लेकिन वह इसे ‘‘परस्पर प्रयास’’ के तौर पर भी देखते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य अपने स्तर से व्यवस्थाएं खड़ी करते थे, बड़े बड़े विश्वविद्यालयों के निर्माण में भूमिका निभाते थे. लेकिन साथ ही धार्मिक संस्थान भी इसका एक महत्वपूर्ण केंद्र होते थे. आज देश भी ये कोशिश कर रहा है कि सरकारें पूरी निष्ठा और ईमानदारी से मिशन मोड में देश के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र का कायाकल्प करें.’’ मोदी ने कहा कि इसके लिए सामाजिक संस्थाओं को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करके प्रभावी पीपीपी मॉडल तैयार हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘अमृता अस्पताल का ये प्रकल्प देश के दूसरे सभी संस्थाओं के लिए एक आदर्श बनेगा. हमारे कई दूसरे धार्मिक संस्थान इस तरह की संस्थाएं चला भी रहे हैं. हमारे निजी क्षेत्र, पीपीपी मॉडल के साथ साथ आध्यात्मिक-निजी भागीदारी को भी आगे बढ़ा सकते हैं. ऐसी संस्थाओं को संसाधन उपलब्ध करवाकर उनकी मदद कर सकते हैं.’’

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