
मरेदुमिल्ली/रायपुर. आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले में मंगलवार को सुरक्षार्किमयों के साथ मुठभेड़ में शीर्ष नक्सली कमांडर माडवी हिडमा और उसकी पत्नी समेत छह माओवादी मारे गए. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. कई हमलों के कथित सूत्रधार हिडमा की मौत को छत्तीसगढ़ पुलिस ने उग्रवाद के ‘ताबूत में आखिरी कील’ करार दिया. पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों ने प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के 31 सदस्यों को भी हिरासत में लिया है, जिनमें इसके एक शीर्ष नेता के आठ सुरक्षा गार्ड भी शामिल हैं.
हिडमा, जो 1990 के दशक में संगठन में जमीनी स्तर पर शामिल हुआ था, पिछले दो दशकों में कई हमलों का सूत्रधार था और 2010 में ताड़मेटला (दंतेवाड़ा) हमले के बाद सबसे वांछित माओवादियों में से एक बन गया, जिसमें 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. उसने तब हमले को अंजाम देने में एक अन्य शीर्ष माओवादी कमांडर पापा राव की सहायता की थी.
गुरिल्ला युद्ध में माहिर हिडमा एके-47 राइफल रखता था था, वहीं उसकी विशाल टुकड़ी के सदस्य भी अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते थे. जंगलों के अंदर उसकी चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे के कारण कथित तौर पर वह वर्षों तक लापता रहा. उसकी मृत्यु के समय उस पर एक करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का मूल निवासी हिडमा की उम्र और उसका रूप-रंग इस साल की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक पहेली बना रहा.
छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने बताया कि हिडमा (51) कई वर्षों से माओवादियों की ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी’ (पीएलजीए) की बटालियन नंबर-एक का नेतृत्व कर रहा था, जो दंडकारण्य में संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता है. दंडकारण्य बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है. अल्लूरी सीतारामराजू जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित बरदार ने बताया कि मुठभेड़ सुबह साढ़े छह से सात बजे के बीच मरेदुमिल्ली मंडल के जंगली इलाके में हुई.
बरदार ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ”आज सुबह साढ़े छह से सात बजे के बीच मरेदुमिल्ली मंडल इलाके में माओवादियों और पुलिस दल के बीच गोलीबारी हुई. मुठभेड़ के दौरान छह माओवादी मारे गए.” इस गोलीबारी में दो महिलाएं और चार पुरुष मारे गए. विश्वसनीय सूत्रों और जांच के आधार पर पुलिस ने पुष्टि की कि हिडमा, उसकी पत्नी मदकम राजे, देवे, लकमल (चैतू), मल्ला (मल्लालु) और कमलू (कमलेश) मारे गए.
पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों में मिली ख.ुफिया सूचनाओं से आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर माओवादी गतिविधियों में वृद्धि के संकेत मिले थे, जिसके कारण तलाशी अभियान तेज कर दिया गया था. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने दो एके-47 राइफल, एक पिस्तौल, एक रिवॉल्वर, कई इले्ट्रिरकल और नॉन-इले्ट्रिरकल डेटोनेटर, फ्यूज वायर, सात किट बैग और अन्य सामान जब्त किए.
विज्ञप्ति में कहा गया, ”आसपास के इलाकों में पूरी तरह से सफाए के लिए तलाशी अभियान जारी है ताकि माओवादी गतिविधियों को रोका जा सके.” एसपी के अनुसार, यह पुलिस विभाग की विभिन्न शाखाओं द्वारा चलाया गया एक संयुक्त अभियान था. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंध्र प्रदेश खुफिया विभाग के एडीजीपी महेश चंद्र लड्डा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगातार दबाव के कारण कुछ माओवादी आंध्र प्रदेश जाने की योजना बना रहे थे. इसके मद्देनजर पुलिस उनकी गतिविधियों पर कड़ी और निरंतर नज.र रख रही थी.
लड्डा ने कहा, ”पिछले दो दिनों से हमें विशिष्ट खुफिया जानकारी मिल रही थी कि कुछ शीर्ष माओवादी नेता राज्य में प्रवेश कर रहे हैं और आंदोलन को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं.” उन्होंने कहा कि सभी छह शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और उसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. इस बीच एनटीआर, कृष्णा, काकीनाडा और एलुरु जैसे अन्य जिलों में पुलिस की निगरानी के कारण प्रतिबंधित संगठन के 31 और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.
लड्डा ने कहा कि गिरफ्तार किए गए 31 लोगों में से नौ केंद्रीय समिति के सदस्य देवजी के सुरक्षा गार्ड हैं, जबकि बाकी अन्य बटालियन के हैं. अधिकारी के अनुसार, यह भी बताया गया है कि कुछ माओवादी मुठभेड़ स्थल से भागने में सफल रहे और फिलहाल तलाशी अभियान जारी है. मुठभेड़ पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि निर्दोष आदिवासी युवाओं को ‘शहरी नक्सलियों’ के झांसे में आकर अपनी जान नहीं गंवानी चाहिए.
मंत्री ने कहा, ”हथियार उठाकर उन्होंने निर्दोष दलितों और आदिवासियों की हत्या की है. उन्होंने पुलिसर्किमयों की हत्या की है. माओवादियों के पास केवल चार महीने बचे हैं. हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक माओवादियों का सफाया करना है. अमित शाह एक ऐसे नेता हैं जो अपनी बात पर अडिग रहते हैं.” मंत्री ने कहा, ”माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य हिडमा और उसकी पत्नी को आखिरकार क्या हासिल हुआ? एसी कमरों में आलीशान जिंदगी जी रहे शहरी नक्सलियों के बहकावे में आकर अपनी (आदिवासी युवाओं की) जान मत गंवाओ.” उन्होंने माओवादियों से आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने का आ”ान किया.
हिडमा के मारे जाने के बाद उससे कथित संबंधों के संदेह में जिन 31 संदिग्ध माओवादियों को मंगलवार को हिरासत में लिया गया उनमें से 28 को विजयवाड़ा के पास से पकड़ा गया. कृष्णा जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विद्या सागर नायडू ने बताया कि विजयवाड़ा के पास से हिरासत में लिए गए 28 संदिग्ध माओवादियों में से नौ का कथित तौर पर मारे गए माओवादी कमांडर हिडमा से सीधा संबंध था. एसपी नायडू के अनुसार, ये नौ संदिग्ध माओवादी तिप्पीरी तिरुपति (देवजी) के सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे.
एसपी ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोग कथित तौर पर छत्तीसगढ़ से कृष्णा जिले में आए थे.



