त्रिपुरा : भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की

‘पाक साफ’ छवि वाले माणिक साहा जीते, मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलने की संभावना

अगरतला. भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 31 सीटें जीतकर इस पूर्वोत्तर राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, भाजपा को 30 सीटें मिली हैं जबकि ‘इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट आॅफ त्रिपुरा’ (आईपीएफटी) को एक सीट पर जीत मिली है. वहीं, भाजपा दो और सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.

इस बीच, निवर्तमान मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा, ‘‘भाजपा की जीत अपेक्षित थी… हम इसकी व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहे थे. निर्णायक जनादेश के साथ हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.’’ साहा ने टाउन बोरदोवाली सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार आशीष कुमार साहा को 1,257 मतों के अंतर से हराया.

‘पाक साफ’ छवि वाले माणिक साहा जीते, मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलने की संभावना
मुख्यमंत्री पद पर कम समय रहने के बावजूद माणिक साहा ने बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी भाजपा को सीमावर्ती राज्य त्रिपुरा में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत दिलाई. करीब छह साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए साहा ने टाउन बोरडोवाली सीट पर कांग्रेस नेता आशीष कुमार साहा को 1,257 वोट से हराया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता भी इस सीट पर साहा के लिए ‘‘मुकाबला कठिन’’ मान रहे थे.

भाजपा से 2016 में जुड़े माणिक साहा (69) पिछले साल मुख्यमंत्री बनाए गए. डेंटल सर्जन साहा ने कम समय में बड़ी कामयाबी हासिल की. भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पाया कि पिछले मुख्यमंत्री बिप्लब देब की कार्यशैली और खराब कानून-व्यवस्था के रिकॉर्ड से पार्टी की लोकप्रियता में कमी आ रही है. वहीं, भाजपा के समर्थक भी उंगली उठा रहे थे, ऐसे में पार्टी ने केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक समेत कई अन्य नेताओं के बजाय कम र्चिचत और सुर्खियों से दूर रहने वाले साहा को कमान सौंपने का फैसला किया.

‘पाक साफ’ छवि वाले साहा को 2020 में भाजपा की त्रिपुरा इकाई की कमान सौंपी गई और कुछ समय के लिए पिछले साल तीन अप्रैल से चार जुलाई तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे. एक समय कांग्रेस के वफादार माने जाने वाले साहा पिछले छह साल में लगातार आगे बढ़ते गए. मुख और मैक्सिलोफेशियल (मुख, चेहरा, जबरा) सर्जरी विशेषज्ञ साहा ने 2022 में उपचुनाव में राज्य की राजधानी अगरतला के बाहर स्थित टाउन बोरडोवाली से जीत हासिल की. राजनीति में आने से पहले साहा हापनिया स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाते थे.

देब की जगह लेने के बाद उनके पास राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में केवल 10 महीने बचे थे, लेकिन 16 फरवरी के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की छवि को बेहतर बनाने में वह कामयाब रहे. ‘विनम्र नेता’ के तौर पर मशहूर साहा ने 1970 के दशक की शुरुआत में अपनी स्कूली शिक्षा त्रिपुरा में की और फिर बिहार और उत्तर प्रदेश में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की. जनवरी में, साहा ने ट्विटर पर साझा किया कि कैसे उन्होंने त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में लंबे समय के बाद 10 साल के बच्चे की सर्जरी की. सोशल मीडिया पर लोगों ने डॉक्टर के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए उनकी प्रशंसा की और इसे प्रेरणादायी बताया.

भाजपा द्वारा डॉ साहा को मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने से पार्टी की त्रिपुरा इकाई के भीतर विवाद शुरू हो गया. कई मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने असंतोष व्यक्त किया. हालांकि विवाद पार्टी हलकों में कभी खत्म नहीं हुआ. फरवरी में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में साहा ने कहा था कि वह कुछ ही महीनों में लोगों का विश्वास हासिल करने में सफल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जहां भी जाता हूं, मैं देखता हूं कि लोग खुश हैं क्योंकि उन्हें पीएमएवाई (पीएम-आवास योजना) से लेकर पाइप से पानी, शौचालय समेत कई योजनाओं के लाभ मिले हैं. (हालांकि) मेरा मानना है कि रोजगार सृजन के क्षेत्र में और अधिक काम करने की आवश्यकता है.’’

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक ंिहसा के विपक्षी दलों के आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए दावा किया ‘‘पिछले पांच वर्षों में राज्य में समग्र कानून और व्यवस्था में सुधार हुआ है तथा सभी प्रकार के अपराध-हत्या, बलात्कार और अपहरण में भारी कमी आई है. एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट कानून-व्यवस्था की स्थिति पर हमारे विचार का समर्थन करती है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे, साहा ने स्पष्ट कर दिया था, ‘‘यह पार्टी और मोदीजी तय करेंगे. अगर वे सोचते हैं कि मैं काम करने वाला व्यक्ति हूं, तो मुझे चुना जाएगा…मैं हमेशा सीधे बल्ले से खेलना पसंद करता हूं.’’

अधूरी प्रतिबद्धताओं पर, साहा ने कहा कि वह 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और आईपीएफटी (इंडीजेनस पीपुल्­स फ्रंट आॅफ त्रिपुरा) के साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) के तहत राज्य के मूल लोगों के सामाजिक-आर्थिक-भाषाई विकास पर गौर करने के लिए गठित ‘उच्च स्तरीय तौर तरीका समिति’ का मुद्दा दिल्ली के समक्ष उठाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस तरह की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है लेकिन इसकी सिफारिशों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

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