सुरंग हादसा: ऑगर मशीन के हिस्से बाहर निकाले गए, लंबवत ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंची
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए जल्द शुरू होगी हाथ से खुदाई : एनडीएमए

उत्तरकाशी/नयी दिल्ली. उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान के 16वें दिन सोमवार को मलबे में फंसी अमेरिकी ऑगर मशीन के हिस्से बाहर निकाल लिए गए हैं जबकि सुरंग के ऊपर से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंच गयी है.
बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि तड़के तक मलबे के अंदर फंसी ऑगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकाल दिया गया. उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का हेड (सिरा) भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि मशीन के ‘हेड’ को निकालने के लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा .
खैरवाल ने बताया कि उसके बाद सुरंग के मलबे के अंदर बारी-बारी से 220 मिमी, 500 मिमी और 200 मिमी लंबी यानी कुल 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली गई. खैरवाल ने कहा कि ऑगर मशीन के हिस्से निकालने के बाद हाथ से काम शुरू हो गया है, लेकिन इसके पूरा होने की समयसीमा नहीं बतायी जा सकती. उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना है कि कठिनाइयां न आएं ताकि जल्द से जल्द श्रमिकों तक पहुंचा जा सके.
उन्होंने कहा कि ‘रैट माइनिंग’ तकनीक से हाथ से मलबा साफ किया जाएगा, लेकिन अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आयीं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा. सुरंग बना रही राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि मलबे में 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली जा चुकी है जबकि एक मीटर पाइप और डालकर पहले वाली लंबाई प्राप्त करनी होगी.
उन्होंने कहा कि इसके बाद मलबे में छह मीटर लंबी पाइप डालना कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है और सभी प्रकार के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द मलबे को पार किया जा सके.
सुरंग के सिलक्यारा छोर से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाने के लिए 25 टन वजनी ऑगर मशीन से की जा रही क्षैतिज ड्रिलिंग में शुक्रवार शाम को तब अवरोध आ गया था जब उसके हिस्से मलबे में फंस गए थे. ड्रिलिंग रुकने के समय श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 10-12 मीटर तक एकत्र मलबे को भेदा जाना शेष था.
क्षैतिज ड्रिलिंग में आए व्यवधान के बाद रविवार को बचाव दलों ने वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग शुरू की जो 36 मीटर तक पहुंच गयी. अहमद ने बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा सुरंग के शीर्ष से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग का काम बहुत अच्छे से चल रहा है और अब तक 36 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है. उन्होंने बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ड्रिलिंग की जानी है जिसमें से 50 मीटर तक ड्रिलिंग करना शेष है.
एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पीके मिश्र ने सोमवार को सिलक्यारा पहुंचकर पिछले दो सप्ताह से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया.
उन्होंने सुरंग के अंदर चल रहे बचाव कार्य की बारीकियों को समझा और अधिकारियों के साथ ही इस काम में जुटे इंजीनियर और श्रमिकों से बात करके उनका हौसला बढ़ाया. मिश्र ने अधिकारियों को अंदर फंसे श्रमिकों के साथ राहत बचाव कार्य में जुटे सभी लोगों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए.
श्रमिकों से बातचीत में उन्होंने उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहा तथा उन्हें बताया कि बचाव अभियान में सभी लोग मेहनत कर रहे हैं और कई मोर्चों पर कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि सभी को जल्द बाहर निकालने की कोशिश जारी है. मिश्र ने फंसे श्रमिकों के परिजनों से भी मुलाकात करके उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि पूरा देश श्रमिकों की शीघ्र और सुरक्षित निकासी के लिए दुआ कर रहा है.
उन्होंने कहा कि परिजनों को हौसला बनाए रखना होगा और सरकार उनके साथ खड़ी है. यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है.
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए जल्द शुरू होगी हाथ से खुदाई : एनडीएमए
उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए ऊपर से नीचे की ओर जारी ‘ड्रिलिंग’ के अलावा हाथ से क्षैतिज खुदाई जल्द शुरू की जाएगी. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने सोमवार को यह जानकारी दी.
ऑगर मशीन के खराब हो जाने के बाद अब हाथ से खुदाई की जाएगी. ऑगर मशीन से 46.8 मीटर तक क्षैतिज खुदाई की जा चुकी थी, लेकिन उसके बाद इस मशीन के टूट जाने के कारण उससे और खुदाई नहीं की जा सकी.
बचाव कार्यों पर अद्यतन जानकारी देते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ह्लऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को मलबे से हटा दिया गया है. टूटे हुए हिस्सों को निकालने में कुछ बाधाएं थीं लेकिन उन्हें दुरुस्त कर दिया गया.ह्व उन्होंने कहा, ह्लअब, भारतीय सेना के इंजीनियरों, ‘रैट होल माइनिंग’ और अन्य टेकनिशियन की मदद से हाथ से खुदाई की तकनीक को आज शाम तक लागू किया जाएगा.ह्व ‘रैट होल’ खनन के माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक ऊध्र्वाधर गड्ढा खोदा जाता है.
हसनैन ने कहा कि छह सदस्यों का दल होगा जो तीन के समूह में काम करेगा. लंबवत और हाथ से क्षैतिज ड्रिलिंग दो विधियां हैं, जिन पर इस समय ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. सुरंग के बारकोट छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग जैसे अन्य विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है. सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी. इसके तहत 1.2 मीटर व्यास की पाइप को लंबवत तरीके से सुरंग के ऊपर से नीचे की ओर डाला जाएगा. फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिये इस दूसरे विकल्प के रूप में रविवार से इसपर काम शुरू किया गया.
उन्होंने कहा, ह्लएसवीएनएल द्वारा करीब 32 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की गयी है. आरवीएनएल एक और पाइपलाइन पर काम कर रहा है जो लंबवत ‘लाइफलाइन’ बनेगी और इसे 75 मीटर तक डाला गया है. अनुमानित गहराई लगभग 86 मीटर है.ह्व उन्होंने आगे कहा कि सरकार 12 नवंबर से सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर हसनैन ने कहा, ह्लबचाव अभियान पूरा करने के लिए कोई समयसीमा बताना बहुत मुश्किल है. एक बार शाम को हाथ से खुदाई शुरू हो जाएगी, तो हम कल सुबह कुछ कह पाएंगे.ह्व उन्होंने कहा कि हाथ से खुदाई में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.
एनडीएमए सदस्य ने कहा, ह्लएक बार जब हम उन (बाधाओं) पर काबू पाने में सक्षम हो जाएंगे, तो प्रगति तेज होगी.ह्व हसनैन ने हालांकि कहा कि बचाव अभियान पूरा होने के बारे में ह्लहम कोई अनुमान नहीं दे सकतेह्व, लेकिन निजी और सार्वजनिक दोनों एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक, दोनों एजेंसियां बचाव अभियान में जुटी हुई हैं. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस.एस. संधू ने भी जारी बचाव अभियान का जायजा लिया.