‘एमएससी एरीज’ पोत पर सवार शेष 16 भारतीयों का स्वास्थ्य बेहतर : विदेश मंत्रालय

मानवाधिकारों के हनन संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट 'बेहद पक्षपातपूर्ण' है: विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली. ईरान की सेना द्वारा इजराइल से संबंधित एक पोत को जब्त किए जाने के लगभग दो सप्ताह बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि चालक दल में शामिल शेष 16 भारतीयों की वापसी में कुछ तकनीकी पहलू शामिल हैं. तेहरान में भारतीय मिशन और ईरानी सरकार के ‘संगठित प्रयासों’ के बाद 13 अप्रैल को जब्त किए गए पोत ‘एमएससी एरीज’ के 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों में से एकमात्र महिला कैडेट एन टेसा जोसेफ को 18 अप्रैल को रिहा कर दिया गया था.

यहां अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि 16 भारतीयों का स्वास्थ्य अच्छा है. भारतीय मिशन को ईरानी अधिकारियों द्वारा भारतीयों तक राजनयिक पहुंच प्रदान की गई है. जयसवाल ने कहा कि एमएससी एरीज पर अब भी 16 भारतीय सवार हैं.

जयसवाल ने कहा, ”इन 16 लोगों के लिए हमने राजनयिक पहुंच की मांग की थी जो हमें मिल गई. हमारे अधिकारी वहां गए और उनसे मुलाकात की. वे अपने परिवारों के साथ लगातार संपर्क में हैं. उनका स्वास्थ्य अच्छा है और पोत पर उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है.” उन्होंने कहा, ”जहां तक ??उनकी वापसी का सवाल है, तो इसमें कुछ तकनीकी पहलू शामिल हैं, कुछ संविदात्मक दायित्व हैं.” केरल के त्रिशूर के रहने वालीं जोसेफ 18 अप्रैल की दोपहर को कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरीं. कुल 17 भारतीय पोत के 25 सदस्यीय चालक दल का हिस्सा थे.

मानवाधिकारों के हनन संबंधी अमेरिकी रिपोर्ट ‘बेहद पक्षपातपूर्ण’ है: विदेश मंत्रालय

भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की उस रिपोर्ट को शुक्रवार को ”बेहद पक्षपातपूर्ण” बताया, जिसमें दावा किया गया है कि मणिपुर सहित देश में कथित तौर पर मानवाधिकारों का हनन हुआ है. भारत ने कहा कि इस रिपोर्ट के जरिये भारत की खराब छवि को पेश किया जा रहा है और वह इसे कोई महत्व नहीं देता है. अमेरिकी विदेश विभाग ने मानवाधिकारों पर अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के बाद राज्य में व्यापक तौर पर मानवाधिकारों का हनन हुआ है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ”यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत की खराब छवि को पेश करती है.” उन्होंने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ”हम इसे कोई महत्व नहीं देते और आपसे भी ऐसा ही करने का आग्रह करते हैं.” अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) के कार्यालय पर भारतीय कर अधिकारियों द्वारा छापेमारी का भी उल्लेख किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय मानवाधिकार संगठनों, अल्पसंख्यक राजनीतिक दलों और प्रभावित समुदायों ने मणिपुर में हिंसा को रोकने और मानवीय सहायता प्रदान करने में देरी के लिए देश की सरकार की आलोचना की. बीबीसी कार्यालयों पर कर छापेमारी का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कर अधिकारियों ने छापेमारी को बीबीसी के कर भुगतान और स्वामित्व संरचना में अनियमितताओं से प्रेरित बताया है.

विदेश विभाग ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी के एक वृत्तचित्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ”सरकार ने वृत्तचित्र को दिखाये जाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए आपात शक्तियों का इस्तेमाल किया, मीडिया कंपनियों को वीडियो के लिंक हटाने के लिए मजबूर किया और इस वृत्तचित्र को दिखाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले छात्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.”

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