‘निहित स्वार्थ’ लोगों तक विकास का लाभ पहुंचने से नहीं रोक सकेंगे : उमर
श्रीनगर. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह ‘निहित स्वार्थों’ को जम्मू-कश्मीर के लोगों तक शांति और विकास का लाभ पहुंचने से रोकने की अनुमति नहीं देंगे, जिन्होंने हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में ‘उत्साहपूर्वक’ हिस्सा लिया था. उमर का यह बयान जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में एक सुरंग निर्माण स्थल पर हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद आया है, जिसमें एक डॉक्टर और छह प्रवासी मजदूरों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी.
श्रीनगर में पत्रकारों से मुखातिब उमर ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को विकास का लाभ मिलने में कोई बाधा न आए. उन्होंने कहा, ”लोगों ने इस उम्मीद से चुनाव में बढ.-चढ.कर हिस्सा लिया था कि उनके जीवन में सुधार होगा. हम उस उद्देश्य से पीछे नहीं हटेंगे.” मुख्यमंत्री रविवार रात गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में हुए आतंकी हमले में घायल लोगों का हाल जानने के लिए सौरा स्थित एसकेआईएमएस अस्पताल पहुंचे थे.
यह पूछे जाने पर कि क्या निहित स्वार्थ वाले लोग जम्मू-कश्मीर में विकास परियोजनाओं को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उमर ने कहा कि वह ऐसा नहीं होने देंगे. उन्होंने सवाल किया, ”निहित स्वार्थ वाले लोग कब चाहते थे कि यहां स्थिति सामान्य हो? यह कोई नयी बात नहीं है, लेकिन हमने अतीत में इन निहित स्वार्थों को हराया है और हम उन्हें फिर से हराएंगे.”
उमर ने कहा, ”हम जम्मू-कश्मीर में विकास रुकने नहीं देंगे. अगर सुरक्षा ढांचे में कमियां हैं, तो हम उन्हें दूर करेंगे. मैंने डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) से बात की है और हम सभी बड़ी परियोजनाओं को सलाह देंगे कि सुरक्षा संबंधी मुद्दों को हल्के में न लें.” उन्होंने कहा, ”वे खुद जो कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें करने दें और जो कमियां रह गई हैं, उन्हें सुरक्षा बलों को दूर करने दें.” मुख्यमंत्री ने सुरंग निर्माण स्थल पर हुए आतंकवादी हमले को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया.
उन्होंने कहा, ”इस हमले की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं. निर्दोष लोगों के खिलाफ आतंक का सहारा लेने से क्या हासिल किया जा सकता है? हम पिछले 35 वर्षों से यह देख रहे हैं और जम्मू-कश्मीर में कुछ भी नहीं बदला है.” उमर ने कहा, ”जम्मू-कश्मीर के लिए जो कुछ भी हासिल किया जा सकता है, वह शांतिपूर्ण माहौल में मुमकिन है. जाहिर तौर पर इस हमले के पीछे की वजह यह साबित करना है कि जम्मू-कश्मीर में हालात अनुकूल नहीं हैं.”