ओलंपिक से अयोग्य करार दिये जाने के खिलाफ विनेश की अपील खारिज
पेरिस. ओलंपिक फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने के खिलाफ भारतीय पहलवान विनेश फोगाट की अपील खेल पंचाट (सीएएस) के तदर्थ प्रभाग ने खारिज कर दी है . भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बुधवार को यह जानकारी दी और खिलाड़ियों के ‘मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तनाव’ को समझने में नाकाम ‘अमानवीय नियमों ‘ की आलोचना की. 29 वर्ष की विनेश को पिछले सप्ताह महिला 50 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से पहले अयोग्य करार दिया गया था क्योंकि उनका वजन निर्धारित सीमा से सौ ग्राम अधिक था .
एक बयान में आईओए अध्यक्ष पी टी उषा ने कहा ,” पहलवान विनेश फोगाट की युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के खिलाफ दायर अपील पर खेल पंचाट के एकमात्र पंच के फैसले से स्तब्ध और निराश हूं .” उन्होंने कहा ,” पेरिस ओलंपिक खेलों में महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग में साझा रजत पदक दिए जाने के विनेश के आवेदन को खारिज करने वाले 14 अगस्त के फैसले का प्रभावी हिस्सा विशेष रूप से उनके लिए और बड़े पैमाने पर खेल समुदाय के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है.” इस फैसले के मायने हैं कि पेरिस ओलंपिक में भारत के छह ही पदक होंगे जिसमें एक रजत और पांच कांस्य शामिल हैं .
अयोग्य करार दिये जाने के बाद टूट चुकी विनेश ने सोशल मीडिया के जरिये कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया था. आईओए ने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्याओं को लेकर कड़ी आलोचना की है. आईओए ने एक बयान में कहा ,” 100 ग्राम की मामूली विसंगति और उसके परिणाम का गहरा प्रभाव पड़ता है, न केवल विनेश के करियर के संदर्भ में, बल्कि अस्पष्ट नियमों और उनकी व्याख्या के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है.”
इसमें आगे कहा गया ,” आईओए का मानना है कि दो दिन में से दूसरे दिन किसी खिलाड़ी को वजन में इतनी मामूली सी विसंगति के लिये पूरी तरह अयोग्य करार देने के मामले की गहरी समीक्षा की जरूरत है .” इसमें कहा गया ,” विनेश का मामला बताता है कि कड़े और अमानवीय नियम खिलाड़ियों खासकर महिला खिलाड़ियों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनावों को समझने में नाकाम रहे हैं .” आईओए ने कहा कि यह फैसला अधिक न्यायसंगत और उचित मानकों की आवश्यकता की “सख्त याद दिलाता है” जो एथलीटों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं. इस मामले में भले ही विनेश के पक्ष में सहानुभूति रही हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाक और यूडब्ल्यूडब्ल्यू के प्रमुख नेनाद लालोविच ने कहा था कि नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसी छूट देने के व्यापक परिणाम होंगे.