1990 से पहले ही शुरू हो गयी थी कश्मीरी पंडितों के विरूद्ध हिंसा : सीतारमण
कश्मीर में अतीत की वास्तविकता जानने के लिए जांच आयोग गठित किया जाए: भाजपा सांसद
नयी दिल्ली. राज्यसभा में बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के इन खारोपों को खारिज कर दिया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन को रोकने में विफल रहने की जिम्मेदारी से भारतीय जनता पार्टी नहीं बच सकती क्योंकि उस समय केंद्र की तत्कालीन वी. पी. ंिसह सरकार को वह समर्थन दे रही थी. वित्त मंत्री ने 1989 की तमाम घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हिंसा पहले से ही की जा रही थी.
उच्च सदन में जम्मू कश्मीर के बजट और उससे जुड़े विनियोग विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ 1990 से पहले से ही आतंकवादी हिंसा हो रही थी जब राज्य में कांग्रेस के साथ गठजोड़ में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार सत्ता में थी. उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन की उस चेतावनी की याद दिलाई कि घाटी पर आतंकवाद के काले बादल छा गये हैं.
उन्होंने 1989 में आतंकवादियों द्वारा हिंदुओं की हत्या की सात प्रमुख घटनाओं की संबंधित प्राथमिकी संख्या के साथ उल्लेख किया.
चर्चा के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि जब 1990 में कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ, उस समय केंद्र में भाजपा के समर्थन से वी. पी. ंिसह सरकार चल रही थी.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैं रिकार्ड पर कुछ तथ्य लाना चाहती हूं. जम्मू कश्मीर में नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन से नेशनल कांफ्रेंस सरकार चल रही थी. और राज्यपाल जगमोहन तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के इस्तीफे के बाद…20 जनवरी 1990 को जम्मू कश्मीर पहुंचे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘1990 में जो कुछ भी हुआ, हम सब जानते हैं, हम सब ने गिनवाया और हम सब इसे देख रहे हैं. ंिकतु 1989 में क्या हुआ, जब यह (फारूक अब्दुल्ला) सरकार वहां थी, नवंबर 1986 के बाद से 18 जनवरी 1990 तक. मैं केवल 1989 का ही उदाहरण लेती हूं जब नेशनल कांफ्रेंस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार वहां थी.’’ वित्त मंत्री ने विपक्ष से कहा कि राज्यपाल जगमोहन ने (अपने पहले कार्यकाल में) जुलाई 1989 में तत्कालीन राज्य सरकार को आतंकवाद के प्रति आगाह किया था.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह सही नहीं है कि जगमोहन जी ने भी, राज्यपाल रहने के अपने पहले दौर में जब उनसे जुलाई 1989 में हटने के लिए कहा गया था, उस समय के अधिकारियों को आगाह किया था कि आतंकवादियों के घने बादल घाटी पर छा गये हैं तथा तत्कालीन राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए. ’’
कश्मीर में अतीत की वास्तविकता जानने के लिए जांच आयोग गठित किया जाए: भाजपा सांसद
भारतीय जनता पार्टी के सांसद अरविंद शर्मा ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि अतीत में जम्मू-कश्मीर के पंडितों और अन्य लोगों के साथ जो हुआ, उसकी वास्तविकता जानने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन होना चाहिए. उन्होंने संसद के निचले सदन में शून्यकाल के दौरान यह मांग उठाई.
हरियाणा के रोहतक से लोकसभा सदस्य ने कहा कि देश की अखंडता के लिए अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘अब हम अलग-अलग माध्यम से देख रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों, गुर्जरों और अन्य लोगों के साथ क्या अन्याय हुआ था…सरकार से आग्रह है कि उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग बनाया जाए ताकि पता चल सके कि वास्तव में क्या हुआ था.’’ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद रघु रामकृष्ण राजू ने अपनी पार्टी के सदस्यों की टोकाटोकी के बीच कहा कि जन प्रतिनिधियों को बोलने से रोका जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदन के नेता प्रधानमंत्री जी से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि जन प्रतिनिधि को बोलने पूरा मौका मिलना चाहिए. जनप्रतिनिधि जो चाहे वो बोल सकता है.’’ बसपा के रामशिरोमणि वर्मा, रितेश पांडे, भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती और कुछ अन्य सदस्यों ने लोक महत्व के अलग-अलग विषय उठाए.
भाजपा धर्म के आधार पर लोगों को उकसाने के लिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रचार कर रही
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी धर्म के आधार पर लोगों को उकसाने के लिए विस्थापित कश्मीरी पंडितों की दशा पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रचार कर रही है.
महबूबा ने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण रही परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की भी मांग की. उनका यह बयान नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की उस मांग के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने (फारूक ने) कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन और हत्या की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की थी.
पीडीपी प्रमुख ने लोगों से यह फिल्म देखने, लेकिन मुसलमानों के प्रति नफरत की भावना नहीं रखने की अपील करते हुए कहा कि 2020 के दिल्ली दंगे और गुजरात में 2002 में हुई साम्प्रदयिक ंिहसा के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की भी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने यहां अपनी पार्टी के सम्मेलन से अलग संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिल्कुल, भारत सरकार को इस सिलसिले में (कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच) एक निर्णय लेना चाहिए. ’’ जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को एक सत्य एवं सुलह समिति का गठन करना चाहिए, जो न सिर्फ कश्मीरी पंडितों के पलायन की, बल्कि गुजरात और दिल्ली दंगों की भी जांच करे.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ नहीं देखी है. मैंने सुना है कि फिल्म में काफी ंिहसा और खूनखराबा दिखाया गया है तथा इसमें दर्दनाक दृश्य हैं. कश्मीरी पंडितों के साथ जो कुछ हुआ वह खौफनाक है. हम उनका दर्द महसूस करते हैं. लेकिन आप (कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए) कश्मीरी मुस्लिमों से नफरत नहीं कर सकते. ’’ पीडीपी प्रमुख ने चित्तींिसहपुरा में सिखों का, बजराला (डोडा) और कोटधारा में ंिहदुओं का, और सुरनकोट में मुस्लिमों के नरसंहार को याद करते हुए कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में हर समुदाय ने अत्यधिक उत्पीड़न का सामना किया है. जम्मू कश्मीर के लोग पाकिस्तान और भारत की बंदूकों के बीच फंस गये हैं. कश्मीरी पंडित भी इसके पीड़ित हैं. ’’
महबूबा ने कहा कि यह फिल्म बनाने वालों को पैसा कमाना था. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर लोगों को धर्म के आधार पर उकसाने के लिए इस फिल्म का प्रचार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा और प्रधानमंत्री (इस फिल्म का) मुफ्त टिकट बांट कर और इसे टैक्स फ्री कर इसका प्रचार कर रहे हैं. वे लोगों को उकसा रहे हैं. वे धार्मिक आधार पर लोगों को बांट रहे हैं. ’’