चीनी ऋण एप की जालसाजी को लेकर सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि चीनी ऋण एप की जालसाजी के कारण कई लोग आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं, लेकिन सरकार ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सवाल किया कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले पर मूकदर्शक क्यों बने हुए हैं? उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले 2 साल में चीनी ऋण एप, जिनकी संख्या लगभग 1100 हो चुकी है, उनमें से 600 अवैध हैं. 2017-2020 के बीच इन ऋण एप से डिजिटल ट्रांजेक्शन में 12 गुना की वृद्धि हुई है.’’

वल्लभ ने दावा किया, ‘‘चीनी ऋण एप के कारण देश के 52 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.’’ उनका कहना था, ‘‘कोरोना के बाद मध्यम व निम्न आय वर्ग के परिवारों को भयंकर आर्थिक चोट लगी. एक तो उनकी नौकरी गई ऊपर से महंगाई की मार. इस दौरान रोजमर्रा के खर्च के लिए वे इन चीनी लोन एप के शिकंजे में फंस गए.’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘इन चीनी ऋण लोन एप के द्वारा चीन के पास हवाला के जरिए 500 करोड़ रुपये भेजे गए हैं. मतलब पहले बेरोजगारी दो, फिर महंगाई दो और फिर इनसे निपटने के लिए जनता को चीनी एप से पैसा लेने के लिए बोल दो.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या जांच एजेंसियों का काम सिर्फ विपक्षी दल के नेताओं को फिजूल में परेशान करना है या इन 500 करोड़ रुपयों की भी जांच की जाएगी? क्या डिजिटल इंडिया का मतलब यह है कि भारत के लोगों का डाटा चीन की कंपनियों को प्लेट में सजाकर दे दिया जाए?’’

वल्लभ ने यह भी पूछा, ‘‘ भारत सरकार किसका इंतजार कर रही है? सरकार और मोदी जी मूकदर्शक क्यों बने हुए हैं?’’ उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के बीते मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कहा था कि सरकार संदिग्ध ऋण एप के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा था कि उन भारतीय लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने ऐसे एप को स्थापित करने में मदद दी है.

वित्त मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक सवाल का जवाब देते हुए यह भी कहा था कि ज्यादातर संदिग्ध एप एक विशेष देश से जुड़े हैं और ऋण लेने वाले कई लोगों को परेशान किया जा रहा है और इन एप के जरिए पैसे उगाहे जा रहे हैं. मंत्री से चीनी कंपनियों से जुड़ी संदिग्ध डिजिटल ऋण एप को लेकर सवाल किया गया था जो ऋण देने में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं.

राज्यसभा सीट पर संकट आने के बाद आजाद को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई

कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद द्वारा पार्टी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधे जाने के बाद मंगलवार को एक बार फिर उन पर पलटवार किया और कहा कि राज्यसभा की सीट पर संकट आने के बाद ही उन्हें उस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई जो अब दे रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने जम्मू-कश्मीर में आजाद के समर्थन में कई नेताओं के पार्टी छोड़ने को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की कोशिश करते हुए यह भी कहा कि इस केंद्रशासित प्रदेश में पार्टी मौजूद है और लोगों के मुद्दे उठा रही है.

उन्होंने आजाद पर प्रहार करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘जो पार्टी से इस्तीफा देते हैं, पांच पन्नों के पत्र लिखते हैं, अंग्रेजी ऐसी लिखते हैं जैसे किसी अंग्रेज ने लिखा हो, उनसे यह सवाल यह है कि आपको 2021 से पहले यह दिव्य ज्ञान क्यों नहीं आया?’’ वल्लभ ने कहा, ‘‘2021 से पहले आपकी सीट सुरक्षित थी और आपका बंग्ला सुरक्षित था. जब सीट पर संकट आया तो दिव्य ज्ञान मिला.’’ वल्लभ ने कहा कि चाहे ये लोग कुछ भी कर लें, लेकिन चार सितंबर को रामलीला मैदान में महंगाई के खिलाफ ऐतिहासिक रैली होगी और सात सितंबर से कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो’ यात्रा होगी.

वल्लभ ने कहा, ‘‘आजाद साहब को यह सूचित करना चाहते हैं कि राहुल गांधी चार सितंबर को रामलीला मैदान में रैली कर रहे हैं. सात सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा शुरू करेंगे. 150 दिनों तक राहुल गांधी देश के मुद्दों को उठाने और देश को जोड़ने का काम करेंगे.’’ उन्होंने यह दावा भी किया कि इस तरह के आरोप इसलिए लगाए जा रहे हैं ताकि कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार से जनता के मुद्दों पर सवाल नहीं पूछ सके.

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा कार्यकाल फरवरी, 2021 में पूरा हुआ था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें उच्च सदन में नहीं भेजा. कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया था. सोमवार को उन्होंने अपने पुराने दल और उसके नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि ‘बीमार’ कांग्रेस को दुआ की नहीं, दवा की जरूरत है, लेकिन उसका इलाज ‘कम्पाउंडर कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले होने के कांग्रेस के आरोप पर भी उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उनको निशाने पर लिया था और सवाल पूछा था कि जो संसद में भाषण देने के बाद प्रधानमंत्री से गले मिले, वह मोदी के साथ मिले या नहीं?

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