अर्थव्यवस्था पर 2,000 का नोट वापस लेने का ‘बहुत सीमित’ असर पड़ेगा? शक्तिकांत दास

नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का अर्थव्यवस्था पर ‘बहुत सीमित’ प्रभाव ही देखने को मिलेगा क्योंकि ये नोट चलन में मौजूद कुल मुद्रा का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही हैं. दास ने 2,000 रुपये का नोट वापस लेने के कदम को रिजर्व बैंक की मुद्रा प्रबंधन व्यवस्था का हिस्सा बताते हुए कहा कि 30 सितंबर की निर्धारित समयसीमा तक इस मूल्य के अधिकांश नोट वापस आ जाने की उम्मीद है.

रिजर्व बैंक ने गत शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था कि फिलहाल इस वैध मुद्रा को 30 सितंबर तक बैंकों में जाकर जमा करने के अलावा बदला भी जा सकता है. हालांकि, एक बार में सिर्फ 10 नोट ही बदले जाएंगे.
आरबीआई गवर्नर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”इस कदम का अर्थव्यवस्था पर असर बहुत ही कम रहेगा क्योंकि यह चलन में मौजूद मुद्रा का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही है.” उन्होंने कहा, ”पहले भी 2,000 रुपये के नोट का इस्तेमाल लेनदेन में सामान्य रूप से नहीं होता था. हमें पता चला है कि लेनदेन में इस मुद्रा का विरले ही इस्तेमाल हो रहा था. इस वजह से आर्थिक गतिविधियों पर असर नहीं पड़ेगा.”

दास ने कहा कि आरबीआई अपनी ‘स्वच्छ नोट नीति’ के तहत पहले भी नोट को वापस लेता रहा है. इस तरह की एक कवायद वित्त वर्ष 2013-14 में की गई थी जिसमें 2005 से पहले छपे हुए नोट को चलन से वापस ले लिया गया था. उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये के नोट को चलन से हटाने का कदम ‘स्वच्छ नोट नीति’ का ही हिस्सा है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि 2,000 का नोट वैध मुद्रा बना रहेगा.

उन्होंने इसकी वैधता के बारे में पूछे जाने पर कहा, ”हम यह जानने के लिए इंतजार करेंगे कि कितने नोट लौटकर आते हैं. फिर 30 सितंबर का समय करीब आने पर कोई फैसला लेंगे.” उन्होंने कहा कि लोगों के पास अपने 2,000 रुपये के नोट को बैंक में जाकर जमा करने या बदलने के लिए पर्याप्त समय है लिहाजा किसी को भी घबराना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि नोट बदलने के लिए कम मूल्य वाले नोट पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं.

दास ने कहा, ”प्रणाली में पहले ही पर्याप्त नकदी है. सिर्फ रिजर्व बैंक ही नहीं, बैंकों के संचालन वाले करेंसी चेस्ट में भी पर्याप्त नकदी है. चिंता की कोई बात नहीं है.” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लंबी विदेश यात्रा पर गए लोगों या कामकाजी वीजा पर विदेश गए लोगों को इस फैसले से पेश आने वाली समस्याओं को लेकर आरबीआई संवेदनशील है. उन्होंने कहा, ”हमारी कोशिश होगी कि लोगों की समस्याओं को दूर करें और समूची प्रक्रिया सही तरह से संचालित हो.” आरबीआई गवर्नर ने 2,000 रुपये के नोट के जरिये काला धन वित्तीय प्रणाली में लौटकर आने के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि खाते में जमा या नकद विनिमय की बैंकों में एक स्थापित प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा, ”हमने अलग से कोई प्रक्रिया नहीं तय की है. आपको पता होना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति 50,000 रुपये से अधिक नकदी जमा करता है तो उसे अपना पैन नंबर देना होता है. इस मामले में भी मौजूदा नियम लागू होंगे.” गवर्नर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध और पश्चिम के देशों में कुछ बैंकों के विफल होने के बावजूद देश की मुद्रा प्रबंधन प्रणाली काफी मजबूत और विनिमय दर स्थिर है.
उन्होंने कहा कि जहां तक प्रणाली में नकदी या तरलता की बात है तो आरबीआई नियमित आधार पर इसकी निगरानी करता है.
उन्होंने 1,000 रुपये का नोट फिर से जारी करने की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल को अटकल बताते हुए कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.

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