ओडिशा में महिला किसानों ने उद्यमी बन पेश की मिसाल

रायगड़ा. चमकीले नारंगी रंग के गेंदे के फूल, गहरे बैंगनी रंग के बैंगन और पत्ता गोभी का हरा रंग, न केवल कृषि उपज, बल्कि ओडिशा में रायगड़ा की महिलाओं के लिए आजादी के रंग हैं, जिन्होंने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता हासिल करने और एकल महिला के रूप में उनकी पहचान स्वीकार करने को अनिच्छुक समाज को चुनौती दी है.

अपने जीवन को अपने अनुसार जीने और सामाजिक बंधनों से मुक्त होने के लिए, 30 से अधिक विधवाओं, तलाकशुदा या अविवाहित महिलाओं ने 2019 में एकल नारी संगठन (एकल महिला सामूहिक) का गठन किया था. यह एक लाभकारी व्यावसायिक उद्यम की शुरुआत थी, जिसमें समय के साथ और अधिक महिलाएं शामिल हुईं, और उनके जीवन में काफी बदलाव आया. अपने हरे-भरे खेतों में जाते ही उनके जीवन में रंग पुन: लौट आ जाते हैं.

पुरुषों के साथ खेतों में सहायक के रूप में काम करने वाली महिलाएं पूरे भारत में एक आम दृश्य हैं. लेकिन, रायगड़ा में यह अंतर स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है. यहां के आदिवासी डेंगासरगी गांव की महिलाएं अपने जीवन के प्रमुख फैसले खुद लेती हैं. वे अपनी आजीविका के लिए खेती करती हैं, बाजार जाकर अपनी उपज बेचती हैं.
महिला किसानों के इस संगठन ने गेंदा फूल के साथ-साथ करेला, बैंगन और गोभी जैसी सब्जियां उपजाने की शुरूआत तीन एकड़ जमीन से की थी.
तब से तीन वर्षों के दौरान इसमें वृद्धि हुई है और अब 40 एकड़ जमीन पर खेती की जाती है. इन महिलाओं के परिवारों के पास 0.5 एकड़ से दो एकड़ के बीच की जमीन है, जिस पर वे फूल और सब्जियां उगाती हैं.
महिलाएं अपने खेतों की उपज बाजार में बेचती हैं और इससे होने वाली आय हर हफ्ते सीधे उनके बैंक खातों में जमा हो जाती है.
मोरंिपगिधि नामक एक महिला किसान ने कहा,‘‘हमने पिछले साल 47 लाख रुपये का कारोबार किया था और इस मौसम में हमने 76 लाख रुपये का कारोबार किया है. इसमें से, प्रत्येक महिला किसान को 80,000-1.5 लाख रुपये के बीच लाभ होता है, जो उस भूमि के आकार पर निर्भर करता है, जिस पर वे खेती कर रही हैं. ’’ वह अन्नपूर्णा बोर्ड की सदस्य भी हैं. इसका गठन उपज बेचने के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों की मदद से किया गया था. अभी इस कंपनी में 98 महिलाएं हैं.

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