मोदी सरकार में महिलाओं ने सबसे ज्यादा सोने के गहने बेचे और गिरवी रखे: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पलटवार करते हुए सोमवार को दावा किया कि उनके कार्यकाल में भारत की महिलाओं को सबसे ज्यादा सोने के आभूषण बेचने और गिरवी रखने पड़े. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के कई कदमों ने देश के बहुत सारे परिवारों को कर्ज के जाल में फंसा दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में रविवार को एक रैली में कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की गाढ़ी कमायी और संपत्ति ”घुसपैठियों” तथा ”ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों” को देने की है.

मोदी ने कहा था, ”ये अर्बन नक्सल वाली सोच…. मेरी माताओं- बहनों ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे. इस हद तक चले जाएंगे.ह्व रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री मोदी को इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाएगा जिनके कार्यकाल में भारत की महिलाओं के सबसे ज़्यादा सोने के आभूषण बेचे और गिरवी रखे गए.”

उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी, ग.लत ढंग से डिजाइन की गई जीएसटी, बिना किसी तैयारी के लगाए गए लॉकडाउन और ख.राब कोविड राहत पैकेज जैसी आर्थिक आपदाओं ने भारत के परिवारों को क.ज.र् के उच्चतम स्तर (जीडीपी का 40 प्रतिशत) के जाल में फंसा दिया. शुद्ध बचत अब तक के सबसे निचले स्तर (जीडीपी के पांच प्रतिशत) पर है. परिवारों को अपना सोना बेचने या गिरवी रखकर लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. ” उनका कहना है कि यह गंभीर संकट और हताशा की स्थिति है.

रमेश ने कहा, ”पिछले पांच वर्षों में, बकाया गोल्ड लोन 300 प्रतिशत बढ़ गए हैं! फरवरी 2024 में, गोल्ड लोन भारत के इतिहास में पहली बार एक लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया. ये शर्मनाक आंकड़े हैं.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”सिफ.र् महामारी के दौरान, मोदी सरकार की अक्षमता, लापरवाही और कुप्रबंधन के कारण, भारत की महिलाओं को कॉलेटरल के रूप मे 60,000 करोड़ रुपए से अधिक के सोने का त्याग करना पड़ा था. बैंकों द्वारा अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर उनके सोने की नीलामी की गई.”

प्रधानमंत्री ने ध्यान भटकाने का प्रयास किया, ‘झूठ के कारोबार’ का अंत निकट: विपक्ष

विपक्षी के कई प्रमुख दलों ने ‘संपत्ति बांटने’ संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को पर उन ‘जहरीली भाषा’ का इस्तेमाल करने और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के प्रयास का आरोप लगाया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस बयान के खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायत करें. कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2021 की जनगणना नहीं कराना बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान को खत्म करने की साजिश है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अब ‘झूठ के कारोबार’ का अंत नजदीक है.

उन्होंने कहा, ”देश में बेरोजग़ारी और महंगाई का पीक (उच्चतम स्तर) है और नरेन्द्र मोदी कहते हैं- सब कुछ ठीक है. उनके पास ‘मुद्दों से भटकाने’ की नई-नई तकनीक हैं, पर झूठ के कारोबार का अंत अब नज.दीक है.” प्रधानमंत्री मोदी ने रव­विार को राजस्थान की एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी.
मोदी ने यह बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कही, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर ‘पहला हक’ अल्पसंख्यक समुदाय का है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री जहरीली भाषा में दुनिया भर की बातें बोलते हैं. उन्हें एक सीधे से सवाल का जवाब भी देना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”1951 से हर दस साल के बाद जनगणना होती आ रही है. इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का वास्तविक डेटा सामने आता है. इसे 2021 में कराया जाना चाहिए था लेकिन आज तक किया नहीं गया. इस पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं?” रमेश ने आरोप लगाया कि यह बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को खत्म करने की साज.शि है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी आपत्तिजनक है, लेकिन चुनाव आयोग की चुप्पी बदतर है. येचुरी ने कहा, ”मोदी का भड़काऊ भाषण आदर्श आचार संहिता और नफरत भरे भाषण पर उच्चतम न्यायालय के फैसलों का घोर उल्लंघन है.” उन्होंने कहा, ”सख्त कार्रवाई और अदालत की अवमानना ??का मामला बनता है.” उन्होंने यह भी कहा, ”उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस भड़काऊ भाषण पर स्वत: संज्ञान लेगा और मोदी को अदालत की अवमानना ??का नोटिस जारी करेगा और उसके बाद कड़ी सजा दी जाएगी.” माकपा से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ”संबंधित नागरिकों” द्वारा हस्ताक्षरित एक याचिका आज दिन में चुनाव आयोग को भेजी जाएगी.

तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले ने भी लोगों से मोदी की टिप्पणी पर चुनाव आयोग को पत्र लिखने की अपील की. उन्होंने ‘एक्स’ पर किए एक पोस्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त की ईमेल आईडी साझा की और लोगों से इस पर शिकायत भेजने का आग्रह किया. गोखले ने कहा, ”चुनाव आयोग विपक्ष की अनदेखी करता है और मोदी और भाजपा को खुली छूट देता रहा है. चुनाव के दौरान, चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के प्रति जवाबदेह नहीं है. लेकिन – वे भारत के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं.”

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