WTO को खुले मन से कृषि सब्सिडी मुद्दे पर विचार करने की जरूरत: सीतारमण

सतत वृद्धि के लिए ढांचे, नवोन्मेषण, निवेश, समावेशन पर ध्यान देने की जरूरत

इंचियोन. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को खुले मन से खाद्य सब्सिडी के मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है. इसका कारण यह है कि कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को प्रभावित करता है.

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के ‘एशिया को पटरी पर लाने का समर्थन करने वाली नीतियां’ विषय पर सेमिनार में सीतारमण ने कहा कि जितनी जल्दी डब्ल्यूटीओ इसका समाधान निकालेगा, दुनिया के लिये उतना अच्छा होगा. उन्होंने कहा, ‘‘विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के बाद से कृषि उत्पादों के निर्यात के संबंध में एक शिकायत रही है. यह शिकायत आमतौर पर व्यापार में वैश्विक दक्षिण और उभरते बाजारों की आवाज को विकसित देशों के बराबर नहीं सुने जाने को लेकर है.’’ वैश्विक दक्षिण से आशय अपेक्षाकृत कम विकसित देशों से है. इसमें एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देश शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में कृषि और गरीब किसानों के लिये सब्सिडी को ध्यान नहीं दिया जाता था. कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में खाद्य और उर्वरक सुरक्षा महत्वपूर्ण हो गई है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम सभी को खुले दिमाग से डब्ल्यूटीओ में फिर से खाद्य और उर्वरक सुरक्षा के बारे में बात करनी होगी.’’ सीतारमण ने कहा, ‘‘विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में खाद्य सुरक्षा बेहतर है. व्यापार समझौते एकतरफा हुए हैं, जिनका समाधान खोजना होगा.’’ वैश्विक व्यापार नियमों के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों का खाद्य सब्सिडी बिल 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन मूल्य का 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए.

भारत ने स्थायी समधान के तौर पर खाद्य सब्सिडी सीमा के आकलन के फॉर्मूले में संशोधन जैसे उपाय करने को कहा है. साथ ही 2013 के बाद शुरू कार्यक्रमों को शांति उपबंध के तहत शामिल करने को कहा है. डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश इंडोनेशिया के बाली में दिसंबर, 2013 में हुई बैठक में अंतरिम उपाय के तहत एक व्यवस्था बनाने पर सहमत हुए थे, जिसे शांति उपबंध कहा जाता है. साथ ही मामले के स्थायी समाधान को लेकर बातचीत की प्रतिबद्धता जताई थी. शांति उपबंध के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्य देश विकासशील देशों की तरफ से सब्सिडी सीमा के उल्लंघन को चुनौती नहीं देने पर सहमत हुए. यह उपबंध मामले के स्थायी समाधान तक बना रहेगा.

सतत वृद्धि के लिए ढांचे, नवोन्मेषण, निवेश, समावेशन पर ध्यान देने की जरूरत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि दीर्घावधि में स्थिर वृद्धि हासिल करने के लिए चार आई- इंफ्रा (ढांचागत), इनोवेशन (नवोन्मेष), इन्वेस्टमेंट (निवेश) और इनक्लूजिविटी (समावेशन) पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ समय में परीक्षणों और संकट का सामना किया है. उन्होंने कहा कि देशों ने भारी कर्ज लेकर समाज के कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए प्रयास किए हैं.

‘एशिया के पुनरुद्धार का समर्थन करने वाली नीतियां’ विषय पर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के गवर्नर सेमिनार में सीतारमण ने कहा कि निवेश और नवोन्मेष बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने की जरूरत है. मंत्री ने चार ‘आई’ के महत्व को समझाते हुए कहा कि रोजगार पैदा करने की क्षमता रखने वाले ढांचागत विकास को बढ़ाने के लिए निवेश जरूरी है.

उन्होंने कहा कि देश की समस्याओं के समाधान के लिए स्टार्टअप से नवाचारयुक्त समाधान की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने समावेशन पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि विकास प्रक्रिया में सभी लोगों को शामिल करने की जरूरत है. वित्त मंत्री ने कहा कि श्रम गहन उद्योगों और कौशल विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

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