यमन के विद्रोहियों, सऊदी अरब ने संघर्ष विराम बरकरार रखने के लिए वार्ता शुरू की

काहिरा: यमन में लड़ाई में नौ महीने से अधिक समय तक तक विराम के बीच, सऊदी अरब और उसके विरोधी ईरान सर्मिथत हूती विद्रोहियों ने अनौपचारिक संघर्ष विराम को मजबूत करने की उम्मीद से पिछले दरवाजे से वार्ता फिर से शुरू कर दी है यह संघर्ष विराम नाजुक है। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुए संघर्ष विराम के अक्टूबर में खत्म होने के बाद से कोई औपचारिक संघर्ष विराम नहीं हुआ है।

युद्ध के आठ साल बाद सभी पक्ष समाधान खोजते नजर आ रहे हैं। इस युद्ध में 1,50,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और अरब का सबसे गरीब देश यमन भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है तथा दुनिया के सबसे भयावह मानवीय संकट से जूझ रहा है।
सऊदी अरब ने सितंबर में हूती विद्रोहियों के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता फिर से शुरू की थी। तब तक यह साफ हो गया था कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले संघर्ष विराम समझौते का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। ओमान इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘अगर वे अच्छी सोच और पूरे विश्वास के साथ बातचीत करते हैं और वार्ता में अधिकारियों जैसे अन्य यमनी तत्व भी शामिल होते हैं, तो यह युद्ध खत्म करने का अवसर है।’’ सऊदी अरब के एक कूटनीतिज्ञ ने कहा कि उनके देश ने चीन तथा रूस से तनाव न बढ़ने देने के लिए ईरान तथा हूती पर दबाव बनाने को कहा है। हूती तथा ओमान वार्ता पर ईरान को नियमित रूप से जानकारी देते हैं। ईरान ने अभी तक अघोषित संघर्ष विराम का समर्थन किया है। यमन में युद्ध तब शुरू हुआ जब हूती विद्रोहियों ने 2014 में राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। इसके बाद देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार के पदाधिकारी पहले दक्षिण की ओर गए और फिर उन्हें सऊदी अरब में निर्वासन के लिए मजबूर होना पड़ा।

हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में सऊदी अरब ने 2015 में कदम रखा। उसने, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य अरब देशों के साथ एक सैन्य गठबंधन का नेतृत्व किया। अमेरिका सर्मिथत इस गठबंधन ने विद्रोहियों के खिलाफ कठोर अभियान चलाया। धीरे-धीरे यह संघर्ष क्षेत्रीय प्रतिद्वन्द्वियों सऊदी अरब और ईरान के बीच छद्म युद्ध बन गया।

संघर्ष से किसी भी पक्ष को क्षेत्रीय लाभ नहीं मिला। हूती विद्रोहियों ने उत्तर, सना और पश्चिम के बड़ी आबादी वाले हिस्से पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। यमन के तेल भंडार वाले अधिकतर प्रमुख केंद्रीय क्षेत्रों सहित दक्षिण और पूर्व में सरकार और उसके समर्थक मिलीशिया का कब्जा है।

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