‘ए टू जेड’ 50वां जन्मदिन: सचिन तेंदुलकर के जीवन की ‘ए टू जेड’ कहानी

नयी दिल्ली. भारतीयों के लिये सचिन तेंदुलकर ‘हर परिस्थितियों’ में प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी रहे हैं. इस महान बल्लेबाज को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहे 10 साल हो गए हैं और यह दिग्गज जब अपना 50वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं जो ‘पीटीआई-भाषा’ उनके जीवन के घटनाक्रम को पेश कर रहा है जिसमें उनसे संबंधित लोग, स्थान और घटनाएं शामिल हैं जो साढ़े तीन दशक से हमारे जीवन पर हावी रहे हैं.

ए (अंजलि, अर्जुन, अजीत)
जैसा कि सचिन तेंदुलकर कहते हैं, अर्धांगिनी अंजलि उनके जीवन की ‘सर्वश्रेष्ठ साझेदारी’ है. बेटे अर्जुन क्रिकेट की पिच पर तेंदुलकर की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और अगर भाई अजीत की कोशिश नहीं होती तो क्या पता हम बांद्रा के उस शख्स की बल्लेबाजी की जादूगरी से वंचित रह जाते.

बी (ब्रिस्टल)
इस स्थल का तेंदुलकर के साथ हमेशा भावनात्मक जुड़ाव रहेगा. यहीं पर उन्होंने कीनिया के खिलाफ 140 रन बनाए थे लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उनके पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर की मृत्यु के एक सप्ताह से भी कम समय में आया था.

सी (सेंचुरियन)
दक्षिण अफ्रीका का वह स्थान जहां तेंदुलकर ने शायद अपनी सबसे शानदार एकदिवसीय पारियों में से एक- 2003 विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की खेली थी. तेज गेंदबाज शोएब अख्तर के ओवर में प्वाइंट के ऊपर से लगाए छक्के को प्रशंसक हमेशा याद रखेंगे.

डी (द डॉन)
सर डॉन ब्रैडमैन हमेशा 99.94 के अपने औसत के साथ ‘महानतम’ बने रहेंगे लेकिन जब ‘द डॉन’ ने कहा कि तेंदुलकर की बल्लेबाजी शैली उनकी जैसी है तो समकालीन क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज पर बहस वहीं समाप्त हो गई.

ई (ईडन गार्डन्स)
जहां तेंदुलकर ने अपना 200वां टेस्ट खेला वह वानखेड़े उनकी आत्मा हो सकती है लेकिन ईडन गार्डन्स जहां उन्होंने अपना 199वां मैच खेला, वह उनके पसंदीदा मैदानों में से एक है. गेंदबाज के रूप में तेंदुलकर ने 1993 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हीरो कप सेमीफाइनल आखिरी ओवर फेंककर ‘स्टारडम’ हासिल किया. भारत दक्षिण अफ्रीका को नौ विकेट पर 193 रन पर रोककर 195 रन का बचाव करने में सफल रहा. तेंदुलकर ने 50वें ओवर में सिर्फ तीन रन दिए.

एफ (फरारी)
तेंदुलकर की पसंदीदा कार और उनकी पसंदीदा फार्मूला वन टीम भी. वह 2002 में एक चमचमाती लाल फरारी के मालिक बने जब कंपनी ने 2002 में सर डॉन ब्रैडमैन के 29 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी करने के लिए उन्हें कार देने का फैसला किया था.

जी (गुजरांवाला)
तेंदुलकर ने अपने वनडे करियर का अंत 49 शतक के साथ किया था लेकिन उनके 463 मैचों में से पहला इस पाकिस्तानी शहर में खेला गया था. उन्होंने पदार्पण मुकाबले में कितने रन बनाए थे? वह खाता खोले बिना लौटे थे.

एच (हैरिस शील्ड)
मुंबई का प्रसिद्ध अंतर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट जहां विनोद कांबली के साथ 664 रनों की साझेदारी के बाद दुनिया को पहली बार सचिन रमेश तेंदुलकर के बारे में पता चला.

आई (इंजमाम उल हक)
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान के पास बताने के लिए एक दिलचस्प कहानी थी. उनका बेटा इब्तिसाम तेंदुलकर का बहुत बड़ा प्रशंसक था. 2004 के पाकिस्तान के ऐतिहासिक दौरे के दौरान इंजमाम स्कूल जाने वाले अपने बेटे को तेंदुलकर से मिलवाने के लिए भारतीय अभ्यास सत्र के दौरान लाए थे.

जे (जॉन मैकेनरो)
तेंदुलकर टेनिस के शौकीन हैं और अपनी किशोरावस्था के दौरान वह अमेरिकी जॉन मैकनरो के बहुत बड़े प्रशंसक हुआ करते थे. बुजुर्गों का कहना है कि 80 के दशक की शुरुआत में मैकेनरो की तरह, घुंघराले बालों वाले तेंदुलकर को लाल हेडबैंड पहने हुए अपनी ‘हाउसिंग सोसाइटी’ में घूमते देखा जा सकता था.

के (विनोद कांबली)
तेंदुलकर के बचपन के दोस्त कांबली हैरिस शील्ड में 664 रन की विश्व रिकॉर्ड साझेदारी में उनके जोड़ीदार थे. दोनों एक साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट भी खेले लेकिन तेंदुलकर काफी आगे निकल गए जबकि कांबली अच्छी शुरुआत के बावजूद रास्ता भटक गए.

एल (ब्रायन लारा)
दोनों में से बड़ा क्रिकेटर कौन था, इस पर बहस कभी खत्म नहीं होगी लेकिन तेंदुलकर की स्तर का लुत्फ उठाने के लिए ब्रायन लारा की भी सराहना करनी होगी. दोनों ने 90 के दशक को ऐसे जगमगाया जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था और आपसी सम्मान हर किसी को देखने को मिल रहा था.

एम (ग्लेन मैकग्रा)
तेंदुलकर बनाम मैकग्रा वह प्रतिस्पर्धा थी जिसने टेस्ट क्रिकेट को जीवंत बना दिया था. जब वे एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे तो दोनों दिग्गजों ने अपना सब कुछ झोंक दिया. 1990 और 2000 के दशक में दोनों में से कोई भी एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं था और इनकी प्रतिद्वंद्विता अब तक की सबसे आकर्षक प्रतिद्वंद्विताओं में से एक है.

एन (नरसिंह देवनारायण)
नरसिंह देवनारायण के अंतरराष्ट्रीय करियर के बारे में लिखने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन वेस्टइंडीज के इस गेंदबाज को हमेशा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तेंदुलकर को आउट करने वाले आखिरी गेंदबाज के रूप में याद रखा जाएगा. इस आॅफ स्पिनर ने 2013 में वानखेड़े स्टेडियम में दूसरे टेस्ट के दौरान तेंदुलकर को 74 रन बनाने के बाद आउट किया. भारत ने यह मैच पारी और 126 रन से जीता था.

ओ (ओल्ड ट्रैफर्ड)
मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड की तुलना में दुनिया का कोई भी क्रिकेट स्थल तेंदुलकर के दिल के करीब नहीं है. यह वह मैदान है जहां उन्होंने अपने 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों में से पहला शतक बनाया था. उनके नाबाद 119 से इंग्लैंड के खिलाफ 1990 की श्रृंखला का दूसरा टेस्ट भारत ड्रॉ कराने में सफल रहा.

पी (पेशावर)
यह वह स्थान था जहां विश्व क्रिकेट का पहली बार इस किशोर भारतीय की विलक्षणता पर ध्यान गया. तेंदुलकर ने सिर्फ 18 गेंद पर 53 रन बनाए. यह एक प्रदर्शनी मैच था जो बारिश से प्रभावित रह लेकिन तेंदुलकर ने दर्शकों को लुभाने और उन पर स्थायी छाप छोड़ने के लिए टी20 शैली की पारी खेली.

क्यू (अब्दुल कादिर)
जब हम उस पेशावर मैच की बात करते हैं तो क्या अब्दुल कादिर बहुत पीछे रह सकते हैं? कई मौकों पर तेंदुलकर ने उस घटना को याद किया है जहां कादिर ने मुश्ताक अहमद पर बड़े शॉट खेलने के बाद उनसे छींटाकशी की कोशिश की. कादिर ने कहा था ‘‘बच्चे को क्या मरते हो, हमें मार के दिखाओ.’’ बाकी तो इतिहास है क्योंकि तेंदुलकर ने कादिर के एक ओवर में 28 रन मारे.

आर (राहुल द्रविड़)
अपने आप में एक उत्कृष्ट बल्लेबाज राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर सबसे सफल टेस्ट बल्लेबाजी जोड़ी हैं जिनके बीच 20 से अधिक शतकीय साझेदारियां हैं और दोनों ने साझेदारी में 6,920 रन बनाए हैं.

एस (शिवाजी पार्क जिमखाना)
यह वह स्थान है जहां से सब कुछ शुरू हुआ. रमाकांत आचरेकर की चौकस निगाहों के बीच तेंदुलकर ने मुंबई क्रिकेट का पालना माने जाने वाले इस मैदान पर खेल के गुर सीखे.

टी (टोरंटो)
टोरंटो का स्केंिटग और र्किलंग क्लब मैदान तेंदुलकर के लिए हमेशा खास रहेगा. यहीं पर उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ जीत के दौरान 89 गेंदों में नाबाद 89 रन बनाकर कप्तान के रूप में अपना पहला ‘मैन आॅफ द मैच’ हासिल किया.

यू (यू2)
तेंदुलकर लता मंगेशकर के भक्त हैं लेकिन जब अंग्रेजी गानों की बात आती है तो वे विश्व प्रसिद्ध आयरिश रॉक बैंड यू2 के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. यू2 का उनका पसंदीदा गाना ‘व्हेयर स्ट्रीट्स हैव नो नेम’ है.

वी (विराट कोहली)
जिस दिन तेंदुलकर ने संन्यास लिया उस दिन विराट कोहली ने अपने पिता से मिली चेन तेंदुलकर को उपहार में दी और वानखेड़े ड्रेसिंग रूम के अंदर ‘तुझ में रब दिखता है’ गाया.

डब्ल्यू (ंिवबलडन)
एक टूर्नामेंट जहां जाने से तेंदुलकर शायद ही चूकते हों. इस दिग्गज को हर साल ंिवबलडन में वीआईपी स्टैंड में बैठकर सेंटर कोर्ट पर मुकाबले को देखते हुए देखा जा सकता है.

एक्स (सेंट जेवियर्स स्कूल)
यह वह स्कूल था जिसके खिलाफ तेंदुलकर और कांबली ने शारदाश्रम विद्यामंदिर के लिए खेलते हुए हैरिस शील्ड में 664 रन की साझेदारी की थी.

वाई (यॉर्कशायर)
इंग्लिश काउंटी की यॉर्कशायर टीम नस्लवाद के कई आरोपों का सामना कर रही है लेकिन 1990 में उन्होंने तेंदुलकर का खुले दिल से स्वागत किया. भारतीय दिग्गज इस क्लब से जुड़ने वाले पहले विदेशी खिलाड़ी थे.

जेड (जिम्बाब्वे)
जिम्बाब्वे के गेंदबाज हेनरी ओलोंगा ने तेंदुलकर को शारजाह में 1998 चैंपियंस ट्रॉफी के एक लीग मैच के दौरान बाउंसर पर आउट किया. हालांकि फाइनल में इस दिग्गज बल्लेबाज ने 124 रन बनाए और भारत ने 120 गेंद शेष रहते 10 विकेट से जीत हासिल की.

तेंदुलकर ने द्रविड और गांगुली की बजाय लक्ष्मण को बताया था अपना मनपसंद खिलाड़ी

महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसकों और खिलाड़ियों के चहेते है लेकिन अपने करियर में कई रिकॉर्ड कायम करने वाले मास्टर ब्लास्टर वीवीएस लक्ष्मण की बल्लेबाजी के कायल है. तेंदुलकर ने 1999-2000 के आॅस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अपने पूर्व टीम के ‘पसंदीदा साथी वीवीएस लक्ष्मण की बल्लेबाजी की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘आप प्रतिभा के धनी है. आप गेंद को मुझसे एक सेकंड पहले देख सकते हैं.’’ इस वाकये का जिक्र तेंदुलकर की जीवन पर पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एमएसके प्रसाद की नयी किताब ‘सचिन@50: सेलिब्रेंिटग ए मेस्ट्रो’ में जिक्र हौ. इस किताब में तेंदुलकर को ‘ क्रिकेट का भगवान’ बताया गया है.

पुस्तक में पूर्व भारतीय क्रिकेटर एमएसके प्रसाद ने तेंदुलकर, द्रविड़, गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण से उस आॅस्ट्रेलिया दौरे (1999-2000) पर की गयी बातचीत का जिक्र किया है. इस दौरे पर तेंदुलकर भारतीय टीम के कप्तान थे.   प्रसाद ने कहा कि राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण तीनों उनके चहेते खिलाड़ी है. लेकिन तत्कालीन भारतीय कप्तान ने लक्ष्मण को अपना पसंदीदा खिलाड़ी घोषित किया.

भारत के पूर्व चयनकर्ता रहे प्रसाद के मुताबिक तेंदुलकर ने चेहरे पर हमेशा मुस्कान करने वाले लक्ष्मण से कहा, ‘‘ अगर आप बिना मुस्कुराये मुझे अपना दांत दिखाएंगे, तो मैं आपको अपना चहेता खिलाड़ी मानूंगा.’’ लक्ष्मण को लगा कि तेंदुलकर उनका मजाक बना रहे है लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने द्रविड़ और गांगुली की तुलना में उन्हें अपना चहेता खिलाड़ी चुनने का कारण बताया.

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ आप प्रतिभा के काफी धनी हैं. आप गेंद को मुझसे एक सेकेंड पहले देख सकते हैं. ईश्वर ने आपको असाधारण प्रतिभा दी है जिसे आप समझ नहीं पा रहे हैं. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ मेरी बल्लेबाजी चार गियर (चरण) में होती है ‘डिफेंस, पुश, ड्राइव और लॉफ्ट’ . मैं परिस्थितियों को समझ कर उसके मुताबिक खेलने की कोशिश करता हूं. लेकिन आपके पास इतनी प्रतिभा है कि आप सीधे चौथे गियर में बल्लेबाजी कर सकते है. आप गेंद को जल्दी देख लेते है और परिस्थितियों के बारे में ज्यादा ंिचता नहीं करते है. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में आप कभी सफल होते है तो कभी असफल. जिस दिन आप पहले तीन गियर के बारे में समझ लेंगे आप इस खेल के महान खिलाड़ी बन जायेंगे.’’ इस किताब का विमोचन तेंदुलकर के 50वें जन्मदिन पर सोमवार को किया जायेगा .

2017 में सचिन की सलाह से मुझे अपने कैरियर का विस्तार करने में मदद मिली : मिताली

दो दशक से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शीर्ष स्तर पर खेलने वाले सचिन तेंदुलकर और मिताली राज उत्कृष्टता और लंबे कैरियर की मिसाल बन गए हैं . तेंदुलकर ने लोगों को क्रिकेट से प्यार करना सिखाया तो मिताली महिला क्रिकेट की पहली सुपरस्टार हैं . हालांकि ऐसे महान खिलाड़ियों के कैरियर में भी उतार चढाव आते रहे हैं. तेंदुलकर के 50वें जन्मदिन से पहले मिताली ने उनसे पहली बार बातचीत, अपनी बल्लेबाजी पर उनके प्रभाव और उनसे मिली सलाह से खेल में सुधार के अनुभव को साझा किया .

मिताली ने कहा ,‘‘ मुझे अभी भी याद है जब 2017 में इंग्लैंड में विश्व कप से पहले मैने उनसे बात की थी . मैं उनसे पूछना चाहती थी कि उनका कैरियर इतना लंबा कैसे रहा है और युवा पीढ़ी के नये गेंदबाजों का सामना करने के लिये वह क्या करते हैं .’’ उन्होंने कहा ,‘‘ जब आपका कैरियर लंबा होता है तो हर पीढ़ी में बेहतरीन गेंदबाज आते हैं . मैं जानना चाहती थी कि उन्होंने इससे तालमेल कैसे बिठाया . उम्र के साथ लोग बात करने लगते हैं कि आपका फुटवर्क धीमा हो गया है और आप गेंद को तेजी से भांप नहीं पाते .’’ उन्होंने कहा ,‘‘मैं जानना चाहती थी कि वह इन चीजों से कैसे निपटते हैं . उन्होंने सुझाव दिये जिन पर मैने अमल किया .’’ मिताली ने 2017 विश्व कप में 409 रन बनाये और उनकी कप्तानी में भारत फाइनल तक पहुंचा . मिताली ने बताया कि उन्होंने सचिन से तकनीक के बारे में नहीं बल्कि खेल के मानसिक पहलू पर बात की थी .

तेंदुलकर के बाउंसर से जब बंटू सिंह के नाक से निकला था खून
सचिन तेंदुलकर ने अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी से कई गेंदबाजों को डराया लेकिन 1991 में दिल्ली और मुंबई के बीच खेले गए रणजी मैच में ‘मास्टर ब्लास्टर’ की गेंद पर बंटू सिंह के नाक में कई फ्रैक्चर हो गए और खून बहने लगा. बंटू 1980 और 90 के दशक में दिल्ली की बल्लेबाजी के स्तंभ थे. उन्होंने तेंदुलकर के 50वें जन्मदिन से एक दिन पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में 32 साल पहले के वाक्यें को याद दिया. यह घटना 20 अप्रैल 1991 को घटी थी.

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे नाक का नक्शा बदल गया, तेंदुलकर के उस बाउंसर के बाद अब मेरे पास एक नया नाक है.’’  उस दौर में मुंबई और दिल्ली की प्रतिद्वंद्विता चरम पर थी और दोनों टीमों के बीच कांटे का मुकाबला होता था. बंटू ने बताया, ‘‘ हमने कोटला में एक घसियाली पिच तैयार करने की कोशिश की थी, जिस पर गेंद को उछाल मिलता लेकिन बाद में यह बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग बन गया.  हमारे तेज गेंदबाज संजीव (शर्मा) और अतुल (वासन) ने अपना आखिरी सत्र खेल रहे दिलीप भाई (वेंगसरकर) को कुछ बाउंसर फेंके थे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि कम से कम दो मौकों पर, अतुल के बाउंसरों ने दिलीप भाई के सीने पर लगा था और छींटाकशी शुरू हो गई थी.

दिल्ली की टीम क्वार्टर फाइनल में एक रन से हार गई क्योंकि उन्होंने पहली पारी में मुंबई के 390 रन के जवाब में 389 रन बनाये थे.
दूसरी पारी में मुंबई ने संजय मांजरेकर, तेंदुलकर और चंद्रकांत पंडित के शतकों की मदद से 719 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया.
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे यह चोट दूसरी पारी में लगी थी. पहली पारी में मैंने शतक बनाया था और महज औपचारिकता वाली  दूसरी पारी में मैंने तेंदुलकर के खिलाफ चौका जड़ा लेकिन उनकी अगली गेंद घास पर टप्पा खाकर उछाल लेती हुए तेजी मेरी ओर आयी, मैने पुल शॉट खेला और गेंद  बल्ले का किनारा लेते हुए नाक पर जा लगी.  यह चोट इतना गंभीर था कि मैंने अपना संतुलन खो दिया, मांजरेकर स्लिप से दौड़कर मेरे पास पहुंचे और मुझे गिरने से बचाया. मेरा और मांजरेकर दोनों का शार्ट खून से लाल हो गया था.’’   बंटू को कोटला के ठीक पीछे संजीवन अस्पताल ले जाया गया और पता चला कि उसकी नाक में कई फ्रैक्चर हैं, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत है. उन्हें कम से कम दो महीने तक तरल आहार पर रहना पड़ा. बंटू ने हालांकि तेंदुलकर की इंसानियत को याद किया.

उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई की टीम मैच समाप्त होने के बाद उसी शाम को चली गई थी. रात के लगभग 11 बजे थे कि हमारे लैंडलाइन फोन की घंटी बजी और मेरे पिताजी ने उठाया. दूसरी तरफ तेंदुलकर थे. पता नहीं उन्होंने मेरा फोन नंबर कैसे ढूंढा. उन्होंने मेरे उसने पिताजी से पूछा, ‘बंटू कैसे  है? डॉक्टर क्या कह रहे हैं?’.’’ बंटू ने बताया, ‘‘बाद में, जब भी हम मिलते थे, वह पूछते थे, ‘नाक ठीक है न तेरा’.’’

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