बिल्कीस मामले में रिहाई के बाद एक दोषी ने कहा- हम राजनीति का शिकार हुए

अहमदाबाद. साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या से संबंधित मामले में जेल से रिहा होने के बाद एक दोषी शैलेश भट ने दावा किया कि वह और 10 अन्य दोषी ”राजनीति का शिकार” हुए हैं.

भट (63) ने कहा कि गिरफ्तारी के समय वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का स्थानीय पदाधिकारी था. उसने कहा कि वह, उसके भाई व सह-आरोपी मितेश और अन्य दोषी गोधरा जेल से बाहर आने के बाद गुजरात के दाहोद जिले में अपने गांव ंिसगोर के लिये रवाना हो गए.

इस मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले 11 दोषियों को 15 साल से अधिक समय जेल में काटने के बाद गुजरात सरकार की क्षमा नीति के तहत सोमवार को रिहा कर दिया गया. मंगलवार को गांव पहुंचने पर लोगों की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दिखी.

शैलेश भट ने संवाददाताओं से कहा, ”ंिसगोर एक छोटा सा गांव है. सभी दोषी इसी गांव के हैं. हम सभी राजनीति के शिकार हुए हैं.” भट ने कहा कि वह एक किसान था और गिरफ्तारी के समय भाजपा की जिला इकाई का पदाधिकारी भी था, जबकि उसका भाई पंचमहल डेयरी में लिपिक के रूप में काम करता था.

भट ने कहा, ”हमें 2004 में गिरफ्तार किया गया था और 18 साल से अधिक समय तक जेल में रहे. अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर में रहना अच्छा लगता है. हर कोई खुश है कि हम वापस आ गए हैं. मेरा बेटा तब आठ या नौ साल का था, अब वह वयस्क है और पंचमहल डेयरी में काम करता है. मैं उसको लेकर खुश हूं.” भट ने कहा कि 2007 में जब वह जेल में था तब उसकी मां की मृत्यु हो गई थी. अदालत ने उसे अंतिम संस्कार करने के लिए अंतरिम जमानत दी थी.

उल्लेखनीय है कि 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद भड़की ंिहसा से बचकर भागते समय बिल्कीस बानो से बलात्कार किया गया था. उस समय वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.

एक और दोषी राधेश्याम ने सोमवार को अपनी रिहाई के बाद जोर देकर कहा कि वे निर्दोष हैं. राधेश्याम ने मीडिया के सामने दावा किया था, ”खास विचारधारा से जुड़े होने के कारण हमें फंसाया गया.” राधेश्याम ने कहा कि हममें से एक दोषी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी जबकि कुछ दोषियों की पत्नी इस दुनिया में नहीं रहीं.

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