जमीन पर कब्जा करने वाले सभी लोगों को उसे खाली करना होगा, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान: हिमंत विश्व शर्मा

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने विपक्षी दलों की अपीलों को दरकिनार करते हुए बुधवार को कहा कि भाजपा शासित राज्य ‘‘असम में सरकारी और वन भूमि’’ को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए अभियान जारी रहेगा. यह बयान राज्य के नौगांव जिले के बटद्रवा में इस सप्ताह की शुरुआत में एक अभियान की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें असम के मध्यकालीन वैष्णव संत शंकरदेव के जन्मस्थान के आसपास के क्षेत्र स्थित सरकारी भूमि से 5,000 से अधिक “अतिक्रमण करने वालों” को हटाया गया.

राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ द्वारा शून्यकाल में यह मुद्दा उठाए जाने के दौरान शर्मा ने कहा, ‘‘अतिक्रमण हटाना एक सतत प्रक्रिया है और यह नहीं रुकेगी…इस पर बात करने का कोई मतलब नहीं है. हम जमीन खाली कराने का काम जारी रखेंगे. हम बटद्रवा सहित राज्यभर में सरकारी और वन भूमि को खाली कराएंगे.’’

मुख्यमंत्री ने सदन को यह भी बताया कि सरकारी जमीन से हटाये गए कई लोग, जो वास्तव में भूमिहीन थे, उन्हें सत्यापन के बाद सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर जमीन के ‘पट्टे’ दिए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ सभी लोगों को..चाहे वे ंिहदू हों या मुसलमान, उन्हें सत्रो (वैष्णव मठ) की जमीन खाली करनी होगी. हम सभी से अतिक्रमण वाली जमीन खाली करने का आग्रह करते हैं..नहीं तो हमें उसे खाली करवाना पड़ेगा.’’

कांग्रेस के विधायक रकीबुल हुसैन ने सरकार से बटद्रवा में विस्थापित किए गए लोगों की पेयजल, भोजन जैसी मौलिक आवश्यकताओं पर गौर का आग्रह किया. इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का काम है. उन्हें पेयजल मुहैया कराने के लिए कोई नीति नहीं है. उन्होंने जमीन पर कब्जा करके कानून तोड़ा है, इसलिए हम उनके लिए शिविर नहीं बना सकते.’’ जब हुसैन ने दावा किया कि हटाये गए लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं और तालाबों का पानी पी रहे हैं, तो शर्मा ने जवाब दिया कि असमिया लोग युगों से ऐसा पानी का उपयोग करते आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने चुनाव घोषणापत्र में कहा था कि अतिक्रमण करने वाले हमारी जिम्मेदारी नहीं हैं. मैं हमेशा कहता हूं कि हमें (भाजपा) उनके वोटों की जरूरत नहीं है. लेकिन कांग्रेस ने चर (नदी के द्वीपों) का सर्वेक्षण क्यों नहीं किया?’’ जिन लोगों को जमीनों से हटाया गया है उनमें से अधिकांश बांग्ला भाषी मुसलमान हैं, हालांकि असमिया सहित कई अन्य जातीय समूह भी प्रभावित हुए हैं.
मुख्यमंत्री ने वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए गौहाटी उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया और कहा कि अगला बड़ा अभियान निचले असम के गोलपारा जिले में चलाया जाएगा.

शर्मा ने कहा, ‘‘बटद्रवा ने लगातार कांग्रेस को वोट दिया है. पार्टी ने पिछले 75 वर्षों में (आजादी के बाद से) लोगों को जमीन के पट्टे क्यों नहीं दिए? वे सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को जमीन का अधिकार दे सकते थे. तब हमने उन्हें नहीं हटाया होता.’’ मुख्यमंत्री ने बटद्रवा के कांग्रेस विधायक एस. बोरा से जमीनों से हटाये गए लोगों में से वास्तविक भूमिहीनों की पहचान करने और उन्हें ‘पट्टा’ प्राप्त करने के लिए मिशन वसुंधरा के तहत आवेदन करने में मदद करने के लिए कहा.

उन्होंने कांग्रेस विधायकों से सवाल किया कि क्या उन्होंने पीड़ितों की असुरक्षा के साथ “राजनीति” करने के बजाय सरकार में अपने कार्यकाल के दौरान उनके लिए कुछ नहीं करने के लिए बटद्रवा, गोरुखुटी और अन्य स्थानों से निकाले गए लोगों से माफी मांगी.
असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में लौटने के बाद से राज्य में अतिक्रमण रोधी कई अभियान चलाए गए हैं.

Related Articles

Back to top button