श्रीलंका और पाकिस्तान में अस्थिरता के बीच आंबेडकर के संविधान की वजह से स्थिर और एकजुट है भारत

मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के दिये संविधान की वजह से ही भारत स्थिर और संगठित बना हुआ है. पवार ने डॉक्टर आंबेडकर की 131वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में यह बात कही. समारोह में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार, राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल और अन्य लोग शामिल हुए.

शरद पवार ने कहा कि देश के प्रति आंबेडकर का योगदान निर्विवाद है और उन्होंने राजनीतिक दृष्टि से भारत को स्थिरता प्रदान की .
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘पड़ोसी देश श्रीलंका में हालात ऐसे हैं कि उसका लोकतंत्र संकट में पड़ सकता है. हमारे एक और पड़ोसी देश, पाकिस्तान में क्या हालात हैं? हमारे पड़ोसी देशों में स्थिरता नहीं है.’’ शरद पवार ने कहा, ‘‘भारत महाद्वीप जैसा देश है जहां विभिन्न जातियों के और विविध भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं और जहां अनेक क्षेत्र हैं. फिर भी उसकी स्थिरता अक्षुण्ण रही है. इसका महत्वपूर्ण कारण बाबासाहेब द्वारा दिया गया संविधान है. इसलिए, यह देश संगठित रहा है.’’

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में बाबासाहेब आंबेडकर के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता. राकांपा नेता ने कहा, ‘‘उन्हें संविधान के रचनाकार के रूप में जाना जाता है. वह उतने ही महत्वपूर्ण अर्थशास्त्री भी थे.’’ पवार ने कहा कि आंबेडकर ने देश की स्वतंत्रता से पहले बनी सरकार में विद्युत उत्पादन और जल संरक्षण जैसे विभागों का काम संभाला था और इन क्षेत्रों में कई अहम फैसले लिये.

मोदी सरकार की नीतियां आंबेडकर के सामाजिक न्याय के संदेश के खिलाफ: कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियां संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के सामाजिक न्याय के संदेश के पूरी तरह खिलाफ हैं. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह दावा भी किया कि केंद्र सरकार ने दलितों से संबंधित योजनाओं के बजट में लगातार कटौती की है.

उन्होंने आंबेडकर जयंती के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘दलित के प्रति भाजपा का जो रवैया है, वो उनकी नीति, नीयत और बजट में प्रर्दिशत होता है. इस सरकार में दलितों के लिए बजट आवंटन में लगातार कमी की गई है. इस वित्त वर्ष में दलित छात्र-छात्राओं के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 5600 करोड़ रुपये है, जो पर्याप्त नहीं है. साल 2021 में दलित बच्चों के वास्ते पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का पैसा छह राज्यों के लिए नहीं मिला.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015-2020 के बीच मैला ढोने वाले और सेप्टिक टैंकों की सफाई में लगे 376 लोगों की मौत हुई. सरकार कहती है कि मैला ढोना और सेप्टिक टैंकों की सफाई अलग-अलग है, जबकि सच यह है कि मैला ढोने वाले और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले एक ही लोग हैं.’’ सुप्रिया ने आरोप लगाया कि सरकार ने झूठ बोला है कि सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान किसी की मौत नहीं हुई. उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘‘बाबासाहब का सबसे बड़ा संदेश सामाजिक न्याय था, लेकिन सरकार की मंशा और उसकी नीतियां इसके पूरी तरह खिलाफ हैं.’’

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